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डॉ. कमला सोहनी

18 जून 2023

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आज इस अध्याय में हम उस महान शख्सियत के बारे में जानेंगे। जिन्होंने विज्ञान की दुनिया में अपनी अलग ही पहचान बनाई।इनका नाम है डॉ. कमला सोहनी ।    डॉ. कमला सोहनी का जन्म 18 जून 1911 को मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में हुआ। डॉ.कमला सोहनी भारत देश की पहली ऐसी महिला थी। जिन्होंने विज्ञान में पी.एच. डी की थी। और वह भारत देश की पहली महिला वैज्ञानिक बनी । डॉ. कमला सोहनी 1993 में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की । डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने एस .सी में दाखिला लिया। जिसमें वह  अकेली महिला थी। डॉ. कमला सोहनी के बाद महिलाओं को आई-आई. एस. सी में दाखिला देना शुरू कर दिया गया
पीएचडी डिग्री लेने के बाद डॉ. सोहनी ने भारत आकर खाद्य पदार्थों के फायदों पर स्टडी की और नीरा नाम के पाम से बने एक किफायती आहार का विकास किया। इस अहार में विटामिन सी भरपूर मात्रा में मौजूद है, जो कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार लाता है। इसके लिए उन्हें देश के राष्ट्रपति से पुरुस्कार भी मिला था।

इसके अलावा उन्होंने और भी बहुत सारी खोजें की । उनमें से संल्यूर एंजाइम, साईटोक्रोम, दालों में प्रोटीन, दुध में प्रोटीन आदि बहुत सारी खोजें की । डॉ. सोहनी महिलाओं के लिए एक मिसाल बनी। उनको बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।  लेकिन फिर भी उन्होंने अपने लक्ष्य को हासिल किया। डॉ. कमला सोहनी के 112 वे जन्म दिवस पर गूगल ने डुडल सेलिब्रेट कर रहा है। पुरे भारत देश को ऐसी महिला शख्शियत पर नाज है।

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रचनाएँ
मानव द्वारा प्रक्रिति का विनाश
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मानव जीवन में जंगल बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जंगल मानव की बहुत सी जरुरतों को पूरा करते हैं। जंगल बहुत सी लकड़ियां प्रदान करते हैं। जो हमारे अलग -अलग कामों के लिए उपयोग की जाती है। जैसे कि भोजन पकाने के लिए, फर्नीचर बनाने के लिए , कुर्सी टेबल बनाने के लिए और कागज बनाने के लिए और इसके सिवाय और भी अन्य उद्योगों के लिए उपयोग की जाती है। जंगल बरखा लाने में सहायक होते हैं। जिससे हवा का तापमान ठंडा रहता है। जंगल हमारे वातावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाने में मददगार साबित होते हैं।जंगल बहुत बड़ी मात्रा में हवा में मोजूद कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और हवा में आक्सीजन छोड़ते हैं। जो मानव और जानवरों को जीवित रखने में सहायक होती है। इसके बिना मानव और जानवरों का जीवन असंभव है।लेकिन यह सब जानते हुए भी मानव जंगलों की अंधाधुंध कटाई करता जा रहा है। तेजी से कम हो रहे जंगलों ने देश के जंगली जीवन पर बहुत बुरा असर पाया है। कई जंगली जीवों की प्रजातियों की गिनती बहुत कम हो गई है। कई प्रजातियां तो आलोप हो चुकी है।यह बहुत ही गंभीर समस्या है। जो कुदरती वातावरण के संतुलन के लिए बहुत बुरा है। यह सिर्फ मानव के द्वारा लगातार पेड़ काटने की वजह से ही हुआ है। मानव के द्वारा कुदरत में बहुत ज्यादा दखलअंदाजी दी जाती है।अगर मानव अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पेड़ काटता है तो उसे उसके बदले और पेड़ लगाने चाहिए। कुदरती वनस्पति मानव के लिए किसी अर्थ व्यवस्था के लिए वरदान साबित होते हैं। वनस्पति रकबा बढ़ाने और कुदरती वनस्पति को बचाने की सख्त ज़रूरत है। अधिक से अधिक पेड़ लगाने की और उनकी देखभाल करने की प्रेरणा दी जानी चाहिए। जंगल की खेती या फिर समाजिक जंगलात उत्पादन को अपनाना चाहिए। नदियों, नहरों, दरियावों सड़कों और रेल मार्गों के पास खाली जमीन पर दरख़्त लगाने चाहिए। अधिक से अधिक पेड़ लगाकर ही हम अपनी लकड़ी की जरूरतों को पूरा कर सकते है और अपने वातावरण को साफ सुथरा और शुद्ध रख सकते हैं।
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जंगलों की कटाई

26 मई 2023
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मानव जीवन में जंगल बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। जंगल मानव के लिए या फिर अर्थ व्यवस्था के लिए वरदान साबित होते हैं। लेकिन दुख की बात यह है कि मोजूदा संसार में मानव द्वारा जंगलों को बहुत तेजी से

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अमिर्ता देवी बिश्नोई

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उद्योग क्रांति से वनों पर प्रभाव

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20 दिसंबर, 2018 को, संयुक्त राष्ट्र  द्वारा  विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस ( WFSD)( world food safty day )की स्थापना की गई थी।  विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस 7 जून, 2019 को मनाया गया, जो खाद्य सुरक्षा चुनौतियों

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