महिला दिवस पर प्रस्तुत दोहा आधारित गीतिका
"गीतिका"
पाना है सम्मान तो, करो शक्ति का मान
जननी है तो जीव है, बिन माँ के क्या गान
नारी की महिमा अमिट, अमिट मातु आकार
अपनापन की मुर्ति यह, माता बहुत महान।।
संचय करती चाहना, बाटें प्रतिपल स्नेह
धरती जैसी महकती, रजनीगंधा जान।।
कण पराग सी कोमली, सुंदर शीतल छाँव
खंजन जस आतुर नयन, मोहक प्रेम मिलान।।
सुख-दुख की सहभागिनी, रखती आँचल रत्न
जगत सृष्टि परिचायिनी, देवी सकल विधान।।
ममता जिसके पेट में, दिल में सुत की चाह
जीवन जिसका गगन सा, सदगुण की पहचान।।
गौतम जो सम्मान से, गाता महिला गीत
लक्ष्मी उसके घर रहे, करे विश्व गुणगान।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी