अभी हाल ही में देश में दो बड़ी घटनाएँ घटीं, एक घटना तब घटी जब माननीय सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस जे. चम्लेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने मीडिया के समक्ष कहा कि “हम चारों इस बात से सहमत हैं कि इस संस्थान को बचाया नहीं जा गया तो इस देश या
आइये आज हम आपको बताते हैं दुनिया के10 सबसे खूबसूरत और बेहतरीन होटलों के बारे में, जिनको देख कर आप भी रह जायेंगे दंग ।प्रकृति ने दुनिया को पहले से ही बेहद खूबसूरत बनाया है, लेकिन इंसानी कारीगरी और रचनात्मकों ने इसमें और भी चार चाँद लगा दिए । वक्त के साथ इंसानी कारीग
आज के समय में ‘ओशो’ द्वारा धर्म के सम्बंध में काही गई बातें कितनी सटीक और विचारणीय है, एक बार गौर से पढिए... ...धर्मों के कारण ही,धर्मों का विवाद इतना है, धर्मों की एक दूसरे के साथ इतनी छीना-झपटीहै । धर्मों का एक दूसरे के प्रति विद
नोबेल पुरस्कार विजेता स्पेनिश कवि पाब्लो नेरुदा की कविता “You Start Dying Slowly” का हिन्दीअनुवाद... 1) * आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं,अगर आप :*- करते नहीं कोई यात्रा,- पढ़ते नहीं कोई किताब,- सुनते नहीं जीवन की ध्वनियाँ,- करते नहीं किसी की तारीफ़ । 2) * आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं,जब आप :*- मार डाल
आजादीके बाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जन्म-जंयती को“ बाल-दिवस ” के रूप में मनाया जाता है । इस दिन बच्चों के अधिकार, देखभाल और शिक्षा के बारे में लोगों को जागरुक किया जाता है । भारत के अलावाबाल दिवस दुनिया भर में अलग अलग तारीखों पर मनाया जात
, मशहूर कत्थक नृत्यांगना सितारा देवी को आज दिनांक 08.11.2017(बुधवार) को गूगल ने 'डूडल' बनाकर ‘कत्थक क्वीन’ सितारा देवी के 97वें जन्मदिवस परउनको सम्मान दिया है । कत्थक नृत्यांगना के रूप में जानी जाने वाली सितारा देवीकिसी परिचय की मोहताज नहीं है । उन्होंने सफलता का जो शिखर हासिल किया था, वहां तक पहुंच
आज (2 अक्टूबर) को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी औरपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती है । 2अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्मे मोहनदासकरमचंद गांधी आगे चलकर भारतवासियों के लिए ‘बापू’ बन गए । वहीं ठीक 35 साल बाद, मुगलसराय में शास्त्री ने जन्म लि
अशिमाचटर्जी : आजभी देश में कई जगह ऐसी हैं जहाँ पर लड़कियों को पढ़ाया नहीं जाता है । अगरहम सन् 1920 और 1930कीबात करें तो उस समय लड़कियों क
चरागों में तुझको ढूंढा, खुशबुओं में तुझको पाया,पता तेरा मालूम न था, तभी तो यह लुत्फ पाया।पिछली गली में साया कोई अंधेरे में गुनगुनाता था,तेरे लिए जो खरीदी थी पाजेब, मैं उसको दे आया।पगली ही थी, चीथरों में लिपटी दुआएं बांट रही थी,मेरी कोट में पड़ा गुलाब मैं उसके पल्लू में बांध आया।भुट्टे बेचती बुढ़िया न
आज समाज की स्थिति में असामाजिक तत्वों का समावेश अधिक होता जा रहा है, फिर हम नए भारत का निर्माण किसके लिए कर रहें हैं? जब देश के वर्तमान ही भविष्य के लिए सुरक्षित नहीं, फ़िर क्या बात की जाए? किस संस्कृति और आचरण को महत्व दिया जाए? इस बाज़ार में सब नंगे नजऱ आ रहें हैं। आज समाज को हवशीपने का जो ज्वार लगा
रे दरपनरे दरपन, तू फिर इतना उदास क्यों है,ऋतु बदली है, पगले निराश क्यों है,फिर पुरवाई महकी बासंती आ गई ,फिर थकी –थकी सी यह सांस क्यों है,चेहरे पर गुलाबी गंध महकी-महकी है,मयूर संग आम्रपाली फिर प्यास क्यों है ,झुरमुट मालती के , रात-रानी संग,अश्क यह मुरझाया सा पलास क्यों ह
यह लेख मेरे द्वारा कुछ WhatsApp समूहों पर १८ अगस्त २०१६ से २७ नवम्बर २०१६ तक सम्प्रेषित चर्चा का संकलन है. पाठकों की सुविधा के लिए इसे 6 खण्डों में प्रकाशित कर रहा हूँ.दो सप्ताह पूर्व की चर्चा में मैंने तिथिपत्र का संक्षिप्त उल्लेख किया था जिस पर कुछ टिप्पणियाँ भी प्राप्त हुईं थीं। उन टिप्पणियों का
गोरखपुर के चर्चे सियासी गलियारों में तेज़ है। तो उसी गोरखपुर के चर्चे जनमानस के जुबां पर भी है। अगस्त महीने के शुरुआती दौर में 60 बच्चों की मौत ने लोंगो को अचंभित कर दिया था। अब जब महीने के आखिर में भी 42 मौत हो गई । तो जनता के पैर के नीचे से जमीं खिसक रहीं है। इसके अलावा वह हतप्रभ, और व्याकुल हो उठी
विपासना शिविर की तीसरी शाम को गोयनका जी के एक घंटे के वीडियो प्रवचन में साधकों के मन में उठे सवालों की चर्चा की गई और समझाया गया. जैसा की रोज़ होता है उसी प्रवचन में अगले दिन की रूप रेखा भी बता दी गई. चौ
बुद्ध का जन्म ईसापूर्व 563 में हुआ और महानिर्वाण ईसापूर्व 443 में. 29 की आयु में महल और परिवार त्याग कर वन की ओर प्रस्थान किया और 6 वर्ष तक सत्य की खोज में लगे रहे. उस समय वेद, पुराण और उपनिषद का प्रचलन था. साथ ही नास्तिकवाद भी प्रचलित
भारत की दो तिहाई आबादी अगर जेल से भी कम जगह में रह रही है। तो ऐसे में निजता के मौलिक अधिकार बन जाने के बावजूद छोटे होते मकान और रहवासियों की बढ़ती तादाद प्रतिदिन की निजता को छीन रही है। जिस परिस्थिति में देश में सबको घर उपलब्ध कराने की बात सरकारें कह रही हैं। उस दौर में देश की आबादी का अधिकांश हिस्सा
देश में आज के दौर में कोई सबसे बड़ा बदलाव दिख रहा है। तो वह 1400 वर्षों बाद देश में मुस्लिम महिलाओं की सुदृढ़ होती सामाजिक स्थिति की ओर बढ़ता क़दम। महिलाएं जो सामाजिक औऱ धार्मिक प्रथा के नाम पर सामाजिक बुराई रूपी तीन तलाक के दंश से पीड़ित थी, उस समस्या से निजात दिलाने का प्रयास सार्थक रहा। अब इस समस्या
देश में तीव्र गति से बच्चों का झुकाव आक्रमक रवैये और अन्य असामाजिक कार्यों में लग रहा है। जिसका अहम कारण बच्चों की खेलों के प्रति बढ़ती दूरी भी है। आज के समाज में बच्चा जहां घर में माता-पिता की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में अकेलेपन का एहसास करता है, वहीं खेलों से बढ़ती दूरी उसके मानसिकता के विकास को भी अवरुद
‘बलात्कारी बाबा’ की गिरफ़्तारी के बाद से देश ने ना जाने कितने ही खुलासे देखें हैं. एक के बाद एक हो रहे इन खुलासों से जहाँ देश दंग है इसी बीच बाबा राम रहीम के दामाद ने बाबा के बारे में ऐसा चौंकाने वाला खुलासा कर दिया है जिसे सुनकर आपके पैरों तले की ज़मीन खिसकनी तय है.2009 दि
पेंशन मिल जाने के बाद बैंक की रोज़मर्रा की व्यस्तता ख़त्म हो गई. अब नाश्ते का समय 8 बजे से खिसक कर 9 बजे पहुँच गया. अखबार जो कभी दस मिनट में निपट जाता था अब दो तीन घंटों तक खींचता चला जाता है. दफ्तर जाना नहीं तो क्या जूते चमकाने और क्या टा