पता तेरा मालूम न था, तभी तो यह लुत्फ पाया।
पिछली गली में साया कोई अंधेरे में गुनगुनाता था,
तेरे लिए जो खरीदी थी पाजेब, मैं उसको दे आया।
पगली ही थी, चीथरों में लिपटी दुआएं बांट रही थी,
मेरी कोट में पड़ा गुलाब मैं उसके पल्लू में बांध आया।
भुट्टे बेचती बुढ़िया न जाने किसके अरमां सेंकती थी,
अम्मा कहके उसको, मैं सारी कायनात खरीद लाया...।