‘ठक्कर बापा’ अद्भुत व्यक्तित्व के स्वामी थे। लोगों का कहना था कि वे अपने आप में एक संस्था थे। वे जिस युग में थे, वहाँ समाज के दुर्बल अंग की उपेक्षा की जा रही थी; तब बापा ने दलितों और पिछड़े वर्ग को साथ लेकर प्रगति का रास्ता पकड़ा। उनकी अडिग लोक-सेवा
‘ठक्कर बापा’ अद्भुत व्यक्तित्व के स्वामी थे। लोगों का कहना था कि वे अपने आप में एक संस्था थे। वे जिस युग में थे, वहाँ समाज के दुर्बल अंग की उपेक्षा की जा रही थी; तब बापा ने दलितों और पिछड़े वर्ग को साथ लेकर प्रगति का रास्ता पकड़ा। उनकी अडिग लोक-सेवा
इस माह दिसम्बर के अंक में प्रस्तुत हैं- राजनीति में भाई-भतीजावाद, देश में व्याप्त प्रदूषण, बेरोजगारी, भारत के युवा और उनमें बढ़ता तनाव, दैनिक जीवन में प्रौद्यौगिकी का प्रभाव, अपने नेता चुनने का तरीका, भारत में बुलेट ट्रेन का विकास, आज की दुनिया में ट्
इस माह दिसम्बर के अंक में प्रस्तुत हैं- राजनीति में भाई-भतीजावाद, देश में व्याप्त प्रदूषण, बेरोजगारी, भारत के युवा और उनमें बढ़ता तनाव, दैनिक जीवन में प्रौद्यौगिकी का प्रभाव, अपने नेता चुनने का तरीका, भारत में बुलेट ट्रेन का विकास, आज की दुनिया में ट्
हिन्दी साहित्य में राहुल सांकृत्यायन की वैचारिक दृढ़ता, लेखन और घुमक्कड़ी के तमाम क़िस्से सुनते-पढ़ते हुए कई पीढ़ियों ने लिखना सीखा। जीवन में वामपंथी स्टैंड लेना हो या बौद्ध धर्म की लुप्तप्राय पांडुलिपियों के लिए दुनिया भर की ख़ाक छानते हुए भटकना; हम
हिन्दी साहित्य में राहुल सांकृत्यायन की वैचारिक दृढ़ता, लेखन और घुमक्कड़ी के तमाम क़िस्से सुनते-पढ़ते हुए कई पीढ़ियों ने लिखना सीखा। जीवन में वामपंथी स्टैंड लेना हो या बौद्ध धर्म की लुप्तप्राय पांडुलिपियों के लिए दुनिया भर की ख़ाक छानते हुए भटकना; हम
प्रिय पाठकों कहानी "कई अर्से बाद" एक रोचक और प्रेम कहानी है। बहुत सारे पात्र हैं जिसमे निखिज जो अपने प्यार को पाकर भी कुछ समझ नहीं पाया कि क्यूं किस्मत ने अपने रूख बदल लिया? कौन है सच्चा जीवन साथी? नेहा या निशा या फिर घूंघट वाली। दोस्त की बात करे
प्रिय पाठकों कहानी "कई अर्से बाद" एक रोचक और प्रेम कहानी है। बहुत सारे पात्र हैं जिसमे निखिज जो अपने प्यार को पाकर भी कुछ समझ नहीं पाया कि क्यूं किस्मत ने अपने रूख बदल लिया? कौन है सच्चा जीवन साथी? नेहा या निशा या फिर घूंघट वाली। दोस्त की बात करे
यह किताब आज़ादी की लड़ाई में विकसित हुये अहिंसा और हिंसा के दर्शनों के बीच कशमकश की सामाजिक-राजनैतिक वजहों की तलाश करते हुए उन कारणों को सामने लाती है जो गांधी की हत्या के ज़िम्मेदार बने। साथ ही, गांधी हत्या को सही ठहराने वाले आरोपों की तह में जाकर उ
यह किताब आज़ादी की लड़ाई में विकसित हुये अहिंसा और हिंसा के दर्शनों के बीच कशमकश की सामाजिक-राजनैतिक वजहों की तलाश करते हुए उन कारणों को सामने लाती है जो गांधी की हत्या के ज़िम्मेदार बने। साथ ही, गांधी हत्या को सही ठहराने वाले आरोपों की तह में जाकर उ
खुशियों का एक बड़ा फॉर्मूला हमारे प्राचीन दर्शन और संस्कृति में बार-बार दोहराया गया है। यह सच है कि प्रतिस्पर्धा के नए दौर में प्राचीन दर्शन में कही गई इच्छाओं के दमन, त्याग और सन्यास की बातें बेमानी-सी लगती हैं, मगर इसका यह अर्थ कतई नहीं कि पूर्व में
खुशियों का एक बड़ा फॉर्मूला हमारे प्राचीन दर्शन और संस्कृति में बार-बार दोहराया गया है। यह सच है कि प्रतिस्पर्धा के नए दौर में प्राचीन दर्शन में कही गई इच्छाओं के दमन, त्याग और सन्यास की बातें बेमानी-सी लगती हैं, मगर इसका यह अर्थ कतई नहीं कि पूर्व में
पीयूष मिश्रा जब मंच पर होते हैं तो वहाँ उनके अलावा सिर्फ़ उनका आवेग दिखता है। जिन लोगों ने उन्हें मंडी हाउस में एकल करते देखा है, वे ऊर्जा के उस वलय को आज भी उसी तरह गतिमान देख पाते होंगे। अपने गीत, अपने संगीत, अपनी देह और अपनी कला में आकंठ एकमेक एक
पीयूष मिश्रा जब मंच पर होते हैं तो वहाँ उनके अलावा सिर्फ़ उनका आवेग दिखता है। जिन लोगों ने उन्हें मंडी हाउस में एकल करते देखा है, वे ऊर्जा के उस वलय को आज भी उसी तरह गतिमान देख पाते होंगे। अपने गीत, अपने संगीत, अपनी देह और अपनी कला में आकंठ एकमेक एक
दैनिक जीवन में तकनीक ने क्रांति ला दी है। क्या हम इसका उपयोग अपने को विकसित करने पृथ्वी को बचाने व जागरुकता लाने में कर सकते है। हमारे पास नये नये खोजो से चलने वाले यन्त्र है जो आज तीव्र गति से पैर पसार चुके है जिसके हम आदि है और हमारी धरती जो हरी भर
दैनिक जीवन में तकनीक ने क्रांति ला दी है। क्या हम इसका उपयोग अपने को विकसित करने पृथ्वी को बचाने व जागरुकता लाने में कर सकते है। हमारे पास नये नये खोजो से चलने वाले यन्त्र है जो आज तीव्र गति से पैर पसार चुके है जिसके हम आदि है और हमारी धरती जो हरी भर
लेकिन इंदिरा गांधी ही क्यों? आजाद भारत में इंदिरा गांधी वंशवाद का सबसे बड़ा और पहला उदाहरण हैं। वंशवाद का एक ऐसा उत्पाद, जिसको लौह महिला भी कहा जाता है और दूसरी तरफ आपातकाल थोपने के लिए हर साल उनकी तानाशाही को श्रद्धांजलि भी दी जाती है। एक तरफ
लेकिन इंदिरा गांधी ही क्यों? आजाद भारत में इंदिरा गांधी वंशवाद का सबसे बड़ा और पहला उदाहरण हैं। वंशवाद का एक ऐसा उत्पाद, जिसको लौह महिला भी कहा जाता है और दूसरी तरफ आपातकाल थोपने के लिए हर साल उनकी तानाशाही को श्रद्धांजलि भी दी जाती है। एक तरफ
हॉकी सम्राट्’ और ‘हॉकी के जादूगर’ जैसे विशेष्णों से विभूष्त मेजर ध्यानचंद का नाम किसी के लिए भी अपरिचित नहीं है। बचपन में उनमें एक खिलाड़ी के कोई क नहीं थे, इसलिए कह सकते हैं कि उनमें के खेल की प्रतिभा जन्म जात नहीं थी।उन्होंने अपनी सतत साधना, लगन, अ
हॉकी सम्राट्’ और ‘हॉकी के जादूगर’ जैसे विशेष्णों से विभूष्त मेजर ध्यानचंद का नाम किसी के लिए भी अपरिचित नहीं है। बचपन में उनमें एक खिलाड़ी के कोई क नहीं थे, इसलिए कह सकते हैं कि उनमें के खेल की प्रतिभा जन्म जात नहीं थी।उन्होंने अपनी सतत साधना, लगन, अ
जवाहर नवोदय विद्यालय एक समुन्द्र की तरह है इसकी हर एक बुुंद की एक अपनी तुफानी कहानी है तो पेश है नवोदय की एक बुुंद यानी मेरी कहानी | जिसमे आपको मिलेगा हर नवोदयन के सफर का अनुभव और आप जान जायेंगे कि नवोदय क्यो हीरोज़ का स्कुल है| मैने नवोदय मे सब
जवाहर नवोदय विद्यालय एक समुन्द्र की तरह है इसकी हर एक बुुंद की एक अपनी तुफानी कहानी है तो पेश है नवोदय की एक बुुंद यानी मेरी कहानी | जिसमे आपको मिलेगा हर नवोदयन के सफर का अनुभव और आप जान जायेंगे कि नवोदय क्यो हीरोज़ का स्कुल है| मैने नवोदय मे सब
प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता आशुतोष राना की यह पुस्तक मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन-दर्शन पर आधारित है। उन्होंने अपनी विशिष्ट लेखन शैली में उन प्रसंगों की व्याख्या की है जो आमजन के मस्तिष्क में उमड़ते-घुमड़ते रहे हैं। पुस्तक इतनी रोचक है कि एक बार पढ़ना
प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता आशुतोष राना की यह पुस्तक मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन-दर्शन पर आधारित है। उन्होंने अपनी विशिष्ट लेखन शैली में उन प्रसंगों की व्याख्या की है जो आमजन के मस्तिष्क में उमड़ते-घुमड़ते रहे हैं। पुस्तक इतनी रोचक है कि एक बार पढ़ना
(अरुण गाँधी के उपनाम से राजनीति, पत्रकारिता एवं वरिष्ठ मित्रों में १९८० से १९९० के दशक में प्रचलित एक नाम) १८ वर्ष की उम्र में पत्रकारिता आरम्भ, प्रदेश-स्तरीय राजकीय मान्यताप्राप्त पत्रकार, भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के लिए राष्ट्र-स्तरीय नि
(अरुण गाँधी के उपनाम से राजनीति, पत्रकारिता एवं वरिष्ठ मित्रों में १९८० से १९९० के दशक में प्रचलित एक नाम) १८ वर्ष की उम्र में पत्रकारिता आरम्भ, प्रदेश-स्तरीय राजकीय मान्यताप्राप्त पत्रकार, भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के लिए राष्ट्र-स्तरीय नि
कनॉट प्लेस से मेरा पहला साक्षात्कार संभवतः 1970 के आसपास हुआ था। मतलब मुझे तब से इसकी यादें हैं। इसके आसपास दशकों तक रहना, पढ़ना, नौकरी करना, घूमना, फ़िल्में देखना वग़ैरह जिंदगी का हिस्सा रहा। यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। जब तक जिंदगी है, तब तक कनॉट प
कनॉट प्लेस से मेरा पहला साक्षात्कार संभवतः 1970 के आसपास हुआ था। मतलब मुझे तब से इसकी यादें हैं। इसके आसपास दशकों तक रहना, पढ़ना, नौकरी करना, घूमना, फ़िल्में देखना वग़ैरह जिंदगी का हिस्सा रहा। यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। जब तक जिंदगी है, तब तक कनॉट प
आधुनिक जीवन का शोर, हमें बहरा कर देने वाला हो सकता है, जो हमें हतप्रभ और असहज कर देता है। इस स्नेह-पूर्ण और प्रबुद्ध पुस्तक में, प्रेम रावत हमें सिखाते हैं कि इस शोर को कैसे कम करें ताकि हम “स्वयं को सुन सकें”- शांति के कोमल संगीत को, जो हम में से प
आधुनिक जीवन का शोर, हमें बहरा कर देने वाला हो सकता है, जो हमें हतप्रभ और असहज कर देता है। इस स्नेह-पूर्ण और प्रबुद्ध पुस्तक में, प्रेम रावत हमें सिखाते हैं कि इस शोर को कैसे कम करें ताकि हम “स्वयं को सुन सकें”- शांति के कोमल संगीत को, जो हम में से प
भक्त और भगवान कान्हा..... रहमत तेरी अगर लिखने लग जाऊँ,,,, तो लग जाएं साल हज़ार,,,, मेरी कलम छोटी है "कान्हा" तेरी महिमा अपरम्पार। हम सेवक हैं तेरे दर के तू दाता सबका पालनहार राधे कृष्णा
भक्त और भगवान कान्हा..... रहमत तेरी अगर लिखने लग जाऊँ,,,, तो लग जाएं साल हज़ार,,,, मेरी कलम छोटी है "कान्हा" तेरी महिमा अपरम्पार। हम सेवक हैं तेरे दर के तू दाता सबका पालनहार राधे कृष्णा
यह पुस्तक धार्मिक आध्यात्मिक विषयो और ज्योतिष ज्ञान के बारे में है। जिसमे विभिन्न ग्रन्थों में दी गई जानकारी को संक्षेप रूप में जन जन तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है। वर्तमान समय मे सनातन संस्कृति के बारे में बहुत अधिक झूठा प्रचार प्रसार ज्योतिष और
यह पुस्तक धार्मिक आध्यात्मिक विषयो और ज्योतिष ज्ञान के बारे में है। जिसमे विभिन्न ग्रन्थों में दी गई जानकारी को संक्षेप रूप में जन जन तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है। वर्तमान समय मे सनातन संस्कृति के बारे में बहुत अधिक झूठा प्रचार प्रसार ज्योतिष और
इस अफ़साने को लिखने की एक वजह यह भी रही कि मुझे स्माइलियों की भाषा बहुत रोचक जान पड़ी थी। मेरी एक चिंता यह भी थी कि इसके साथ हमारे शब्द, उनमें छुपे एहसास, एहसासों को ज़ाहिर करने के इंसानी तौर-तरीक़े, इंसान का अपना शब्दकोश, ये सब मर तो नहीं रहे हैं। म
इस अफ़साने को लिखने की एक वजह यह भी रही कि मुझे स्माइलियों की भाषा बहुत रोचक जान पड़ी थी। मेरी एक चिंता यह भी थी कि इसके साथ हमारे शब्द, उनमें छुपे एहसास, एहसासों को ज़ाहिर करने के इंसानी तौर-तरीक़े, इंसान का अपना शब्दकोश, ये सब मर तो नहीं रहे हैं। म
A Science that was preserved and associated largely as a support to martial arts and warfare can now be used and applied for normal healing on a wide range of physical and mental diseases as a result of research and application, since 1993, of this l
A Science that was preserved and associated largely as a support to martial arts and warfare can now be used and applied for normal healing on a wide range of physical and mental diseases as a result of research and application, since 1993, of this l