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जनरल बुक्स की किताबें

दैनंदिनी नबंबर २०२२

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Diwa Shanker Saraswat

नबंबर २०२२ की डायरियों का संग्रह

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दैनंदिनी नबंबर २०२२

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ज़िन्दगी मेरे घर आना

ज़िन्दगी मेरे घर आना

दिनेश कुमार कीर

जीवन शैली

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दिनेश कुमार कीर

जीवन शैली

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दैनंदिनी जनवरी 2023

दैनंदिनी जनवरी 2023

Jitendra Kumar sahu

मासिक डायरी लेखन । हम सदा भूत या भविष्य में रमे रहते है ।वर्तमान में कभी जीते नही।नया साल मनाते है केवल एक दिन के लिए जबकि यहाँ हर दिन नया है ।जरा जागे नासमझी को समझे।प्रतिपल जीवन जिए ।

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Jitendra Kumar sahu

मासिक डायरी लेखन । हम सदा भूत या भविष्य में रमे रहते है ।वर्तमान में कभी जीते नही।नया साल मनाते है केवल एक दिन के लिए जबकि यहाँ हर दिन नया है ।जरा जागे नासमझी को समझे।प्रतिपल जीवन जिए ।

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विविध विषय लेखन  (दैनन्दिनी, अक्टूबर 2022)

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कविता रावत

इस पुस्तक में शब्द.इन द्वारा दिए गए विविध विषयोँ में किया गया लेखन संगृहीत है।

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कविता रावत

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हितेंद्र कुमार श्रीवास की डायरी

हितेंद्र कुमार श्रीवास की डायरी

हितेंद्र कुमार श्रीवास

विश्वधरोहर विश्वधरोहर यूं ही नहीं कहलाता कोई खजुराहो । जो स्थल है महत्वपूर्ण धरा का यूं ही नहीं महत्वपूर्ण कहलाता है । जब आप व्यतीत करेंगे कोई एक सांझ धरा के इस भूभाग में । स्वच्छंद स्वतंत्र निर्विकार आप प्रत्यक्ष अनुभव कर सकेंगे अनुभूतियां

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हितेंद्र कुमार श्रीवास की डायरी

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हितेंद्र कुमार श्रीवास

विश्वधरोहर विश्वधरोहर यूं ही नहीं कहलाता कोई खजुराहो । जो स्थल है महत्वपूर्ण धरा का यूं ही नहीं महत्वपूर्ण कहलाता है । जब आप व्यतीत करेंगे कोई एक सांझ धरा के इस भूभाग में । स्वच्छंद स्वतंत्र निर्विकार आप प्रत्यक्ष अनुभव कर सकेंगे अनुभूतियां

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बढ़ो आगे, लक्ष्य सामने है

बढ़ो आगे, लक्ष्य सामने है

Dr. Yogendra Kumar Pandey

परीक्षाओं के परिणाम आने के बाद विद्यार्थी एक विशेष अनुभव से गुजरते हैं। अगर परिणाम अनुकूल रहा तो प्रसन्नता होती है लेकिन अगर कहीं कमी रह गई तो ,उनका निराश होना स्वाभाविक है। ऐसी स्थिति में संतुलित रहते हुए एक नई आशा और आत्मविश्वास के साथ एक नई मंजिल

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बढ़ो आगे, लक्ष्य सामने है

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Dr. Yogendra Kumar Pandey

परीक्षाओं के परिणाम आने के बाद विद्यार्थी एक विशेष अनुभव से गुजरते हैं। अगर परिणाम अनुकूल रहा तो प्रसन्नता होती है लेकिन अगर कहीं कमी रह गई तो ,उनका निराश होना स्वाभाविक है। ऐसी स्थिति में संतुलित रहते हुए एक नई आशा और आत्मविश्वास के साथ एक नई मंजिल

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नवरात्री

नवरात्री

हेमलता

इस पुस्तक में माँ के नो रूपों के बारें में बताया गया हैं और उनका कौन सा रूप कौन से अंग में बस्ता हैं वह बताया गया हैं ! पूजा के साथ हम और क्या कर के खुद को हील कर सकतें हैं ! नवरात्री एक ऐसा समय हैं जब हर तरफ भक्ति होती हैं बहुत ड्रिंक करने वाले

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नवरात्री

नवरात्री

हेमलता

इस पुस्तक में माँ के नो रूपों के बारें में बताया गया हैं और उनका कौन सा रूप कौन से अंग में बस्ता हैं वह बताया गया हैं ! पूजा के साथ हम और क्या कर के खुद को हील कर सकतें हैं ! नवरात्री एक ऐसा समय हैं जब हर तरफ भक्ति होती हैं बहुत ड्रिंक करने वाले

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BLOOD MOON

BLOOD MOON

Satyabhama

All rights reserved to ©Shruti saw. साजिश या आत्मा... किसका है ये खेल? क्या है इस हवेली का राज़?

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मैं मृत्यु सिखाता हूं - ओशो

मैं मृत्यु सिखाता हूं - ओशो

ओशो

इस किताब के माध्यम से ओशो समझाते हैं कि जन्म और मृत्यु एक ही सिक्के को दो पहलू हैं। जन्म और मृत्यु को मिलाकर ही पूरा जीवन बनता है। जो अपने जीवन को सही और पूरे ढंग से नहीं जी पाते, वही मृत्यु से घबराते हैं। सच तो यह है ओशो जीवन को पूरे आनंद के साथ जीन

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मैं मृत्यु सिखाता हूं - ओशो

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ओशो

इस किताब के माध्यम से ओशो समझाते हैं कि जन्म और मृत्यु एक ही सिक्के को दो पहलू हैं। जन्म और मृत्यु को मिलाकर ही पूरा जीवन बनता है। जो अपने जीवन को सही और पूरे ढंग से नहीं जी पाते, वही मृत्यु से घबराते हैं। सच तो यह है ओशो जीवन को पूरे आनंद के साथ जीन

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देश-दुनिया का चिंतन (दैनन्दिनी दिसंबर 2022)

देश-दुनिया का चिंतन (दैनन्दिनी दिसंबर 2022)

कविता रावत

इस माह दिसम्बर के अंक में प्रस्तुत हैं- राजनीति में भाई-भतीजावाद, देश में व्याप्त प्रदूषण, बेरोजगारी, भारत के युवा और उनमें बढ़ता तनाव, दैनिक जीवन में प्रौद्यौगिकी का प्रभाव, अपने नेता चुनने का तरीका, भारत में बुलेट ट्रेन का विकास, आज की दुनिया में ट्

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देश-दुनिया का चिंतन (दैनन्दिनी दिसंबर 2022)

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कविता रावत

इस माह दिसम्बर के अंक में प्रस्तुत हैं- राजनीति में भाई-भतीजावाद, देश में व्याप्त प्रदूषण, बेरोजगारी, भारत के युवा और उनमें बढ़ता तनाव, दैनिक जीवन में प्रौद्यौगिकी का प्रभाव, अपने नेता चुनने का तरीका, भारत में बुलेट ट्रेन का विकास, आज की दुनिया में ट्

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दैनंदिनी सखी (सितम्बर) 2022

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Monika Garg

सितम्बर माह जिसमे पूर्वजों को याद करें गे।उनको श्राद्ध अर्पित करके‌।और बहुत सी बाते होंगी सखी जब हम तुम साथ रहें गे।

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दैनंदिनी सखी (सितम्बर) 2022

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सितम्बर माह जिसमे पूर्वजों को याद करें गे।उनको श्राद्ध अर्पित करके‌।और बहुत सी बाते होंगी सखी जब हम तुम साथ रहें गे।

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काव्यांक्षी मन की बात दैननंदिनी के साथ

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काव्या सोनी

दैननंदिनी कुछ इधर उधर की बात जरा सी खुद से मुलाकात आजकल जो व्यस्तता का है दौर जिम्मेदारी दुनियादारी में खुद के लिए नहीं मिलता सुकून का ठौर ऐसे में दैननंदिनी के साथ जरा कर ले खुद से मुलाकात खुद की तलाश पर कुछ पल लगता विराम दिल की बाते अपनी सखी से कर म

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काव्यांक्षी मन की बात दैननंदिनी के साथ

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दैननंदिनी कुछ इधर उधर की बात जरा सी खुद से मुलाकात आजकल जो व्यस्तता का है दौर जिम्मेदारी दुनियादारी में खुद के लिए नहीं मिलता सुकून का ठौर ऐसे में दैननंदिनी के साथ जरा कर ले खुद से मुलाकात खुद की तलाश पर कुछ पल लगता विराम दिल की बाते अपनी सखी से कर म

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ध्यान किस उम्र में करना चाहिए ?

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हेमलता

सही उम्र क्या हैं ध्यान करने की इस लेख में आप को पता चलेगा !

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मन मंथन ( दैनंदिनी) अगस्त

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anupama verma

डायरी मेरे जीवन के विभिन्न पहलुओं का स्वरूप है।

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डायरी मेरे जीवन के विभिन्न पहलुओं का स्वरूप है।

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भारतीय भाषा 2

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अमितेश मिश्र

hello 2

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प्रवासी पक्षी

प्रवासी पक्षी

Panchkula

यह कहानी एक बालक और पक्षी के मित्रता पर आधारित है जो समय के साथ एक निर्णायक मोड़ पर पहुंचती है

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दिलरुबा माह सितम्बर

दिलरुबा माह सितम्बर

sayyeda khatoon

प्यारे साथियों,,, दिलरुबा मेरी डायरी का नाम है,, यह डायरी मेरे व्यक्तित्व का आईना है,, मेरे आसपास घटित होने वाले कुछ कहे अनकहे पल इस डायरी में पढ़ने को मिलेंगे,,,,, कुछ मनोरंजक, कुछ उपयोगी, और कुछ बहुमूल्य विचार मैं इस डायरी में शेयर करती रहूंगी,, मु

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दिलरुबा माह सितम्बर

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श्री लाल शुक्ल की व्यंग्यात्मक रचनाएँ

श्री लाल शुक्ल की व्यंग्यात्मक रचनाएँ

पंडित श्री लाल शुक्ल

श्रीलाल शुक्ल को लखनऊ जनपद के समकालीन कथा-साहित्य में उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिये विख्यात साहित्यकार माने जाते थे। उन्होंने 1947 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक परीक्षा पास की। 1949 में राज्य सिविल सेवासे नौकरी शुरू की। 1983 में भारतीय प

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DHANANJAY TYAGI की डायरी

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DHANANJAY TYAGI

वो मेरी खामोशी को मेरी आशिकी समझ बैठी। वो मेरे पास आने से पहले खुद को दूर समझ बैठी। मैं साथ साथ चलना चाहता था, उसके मगर वो खुद को अकेला समझ बैठी। वो मेरी खामोशी को मेरी आशिकी समझ बैठी। वो मेरे पास आने से पहले खुद को दूर समझ बैठी।

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DHANANJAY TYAGI की डायरी

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DHANANJAY TYAGI

वो मेरी खामोशी को मेरी आशिकी समझ बैठी। वो मेरे पास आने से पहले खुद को दूर समझ बैठी। मैं साथ साथ चलना चाहता था, उसके मगर वो खुद को अकेला समझ बैठी। वो मेरी खामोशी को मेरी आशिकी समझ बैठी। वो मेरे पास आने से पहले खुद को दूर समझ बैठी।

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कैसी ये हैवानियत

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प्रभा मिश्रा 'नूतन'

औरतों पर बरबरता व्यक्त करती कहानी

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औरतों पर बरबरता व्यक्त करती कहानी

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