भूले भूले हम भूले भूल चुके है जगभूले मगर पराये भूले भूल चुके है हम अपनेइन पैसे मोह माया ने भुला
गम क्या कुछ गम हैजो अब तक छुपाये बैठे होकह दो न इनमे,क्यों मुस्कराये से तुम बैठे होशायद अब यह चाहमेरी अब यह पसंद बन गयी हैकवि न होते हुए , अब मै कविवर बन गया हुक्या है दिल में,दिल से यही एक आवाज
महफ़िलयादों की महफ़िल में ज़िन्दगीमेरी ज़िन्दगी एक चिता बन गयीसोच सोच कर मेरी खोपड़ीएक सील सिला बन गयीशायद ज़िन्दगी&
भूलेभूले भूले हम भूले भूल चुके है जगभूले मगर पराये भूले भूल चुके है हम अपनेइन पैसे मोह माया ने भुला&
चाँद अब तू भी बता तू कौन से मजहब से है ईद भी तेरी और करवाचौथ भी तेराइस जहा में इंसानों ने सब कुछ तो बाँट दिया हैईश्वर बांटे बाँट दिया जानवर बाँट दिया संसारऐ चाँद अब तू भी बता तू कौन से मजहब से हैख्वाब
हमदमआ जाओ आ जाओ मेरे पास मेरे हमदमआ जाओ आ जाओ मेरी सांसों में बिखर जाओबन के रूह मेरे जिस्म में उतर जाओआ जाओ आ जाओ मेरे पास मेरे हमदमकिसी रात सर रख कर सो जाऊ तेरी गोद मेंफिर उस रात के बाद कभी सुबह न हो
तुम नाराज न होनादुनिया रूठे लेकिन तुम नाराज न होनातुम नाराज न होना मेरी पहली मोहब्बत हो तुमइस तरह मुझसे नाराज न होना ,मैं रुठु हर बार मना तुम लेना मुझकोलेकिन दुनिया रूठे मुझसे तुम नाराज न होनामेरी ज़िन
तुमसे मुलाकात होगीकभी मेरी तुमसे मुलाकात होगीकभी मेरी तुमसे मुलाकात होगीतुम बैठोगी सामने मेरे ,मुझे शर्म बहुत आएगीकभी मेरी तुमसे मुलाकात होगी !मैं चाहकर भी तुम्हे छू न पाउगा लेकिनछूना है मुझे चा
मेरी मान मेरी धड़कनचिलम के अंगारे जैसे तेरे गुलाबी होठ ,इंद्रा धनुष के रंग जैसे तेरे गाल ,सुराही में पानी छलकता जैसे तेरी कमर ,आस्मां में चमकते सितारेजैसे तेरे बाल ,मुस्कान तेरी जैसे सुबह के सूरज का नि
मेरी लेखनी रचती है, अंतर्मन के भावों को 🌹 कभी प्रेम की लिखें रागिनी 💌 विरह गीत कभी लिखती है !! कभी वीर गाथाएं लिखकर !! स्वर्णिम इतिहास दिखाती है !! कभी लेखनी प्रेमी बन
एक -तमाशादुनिया एक तमाशा हैये आशा और निराशा हैरंगीन खूब है लेकिनकोई गाढ़ा कोई हल्कादुनिया एक तमाशा हैफूल तो यहा
जिन्दगी को पतंग न बनने दोजिन्दगी को पतंग न बनने दो ,डोर किसी और को थमानी पडेगी।खुले आसमान में उड़ाने की ख़्वाहिश,किसी और के दिल में जगानी पड़ेगी।।होंगे हजारों काटने को बेताब ,खेल बनकर रह जाएगी जिन्दगी।एक
छोटी- ज़िन्दगीछोटी सी है ज़िन्दगीइसमें कोई नया मिल जाता हैफिर कुछ सुरु होता हैहोते होते ये क्या होता हैकी कोई&nb
स्वभावमेरा स्वभाव मेरी किताबों से पूछोदिल दर्द मेरा किताबों से पूछोहाल बेहाल मेरा कविता से पूछोपूछो जरा दर्द क्या होता हैजानो जरा बेहाल क्या होता हैसोचो जरा लगाव क्या होता हैजिसने किया नहीं मोहब्बत मे
रुक्खरुक्ख मोड़ लेती है ये ज़िंदगीमुख मोड़ लेती है ये ज़िन्दगीतभी हर कोई सिख लेता है ज़िंदगोदर दर पर बदलती&nbs
मजदूर मेहनत कश मजदूरों से सिखोंत्याग तपस्या से धन अर्जन करनासबसे ज्यादा मेहनत करने पर भीपेट भर रोटी न मिल पानाअपने दिन पर रो रहे हैपूछो इनसे इनका कारणमजदूरों के ही सहारेखड़ी है दुनिया इनके बल सेअप
गुजारिशन शिकवा न गुजारिशखुदा से है अरमान ,मेरी कस्ती क्यों जलीजला क्यों मेरे अरमानजल रहा जवानी की आग मेंपर&nbs
काश बिना झिझक़, मन की सब बातें ❤️ अपनो से हम कह सकते ? हृदय में उठती ज्वालाओं को !!🔥 तब हमें नहीं पीना पड़ता !? मन में कोई डर न होता!! सच कहने से भय न होता ! औरत अपने मन की पीड़ा ! कहां कभी कह पाती ह