नमस्कार,स्वागत है आप सभी का यूट्यूब चैनल "मेरे मन की" पर|"मेरे मन की" में हम आपके लिए लाये हैं कवितायेँ , ग़ज़लें, कहानियां और शायरी|आज हम लेकर आये है वसीम महशर सौरिखी जी का सुन्दर गजल "फूलों में भी, काँटों में भी "|आप अपनी रचनाओं का यहाँ प्रसारण करा सकते हैं और रचना
मुझमें ही आदि, अन्त भी मैं, मैं ही जग केकण कण में हूँ |है बीज सृष्टि का मुझमें ही, हर एक रूप मेंमैं ही हूँ ||मैं अन्तरिक्ष सी हूँ विशाल, तो धरती सी स्थिर भी हूँ |सागर सी गहरी हूँ, तो वसुधा का आँचल भी मैं ही हूँ ||मुझमें है दीपक का प्रकाश, सूरज की दाहकता भी है |चन्दा की शी
छंद–दिग्पाल (मापनी युक्त) मापनी -२२१ २१२२ २२१ २१२२ “मुक्तक” जब गीत मीत गाए मन काग बोल भाए। विरहन बनी हूँ सखियाँ जीय मोर डोल जाए। साजन कहाँ छुपे हो ले फाग रंग अबिरा- ऋतुराज बौर महके मधुमास घोल जाए॥-१ आओ न सजन मेरे कोयल कसक रही है। पीत सरसो फुलाए फलियाँ लटक रही है। महुवा
मन के भीतर एक तीर्थ बसा, जो है पुनीत हर तीरथ से जिसमें एक स्वच्छ सरोवर है, कुछ अनजाना, कुछ पहचाना |इस तीरथ में मन की भोली गोरैया हँसती गाती है है नहीं उसे कोई चिंता, ना ही भय उसको पीड़ा का ||चिंताओं के, पीड़ाओं के अंधड़ न यहाँ चल पाते हैं हर पल वसन्त ही रहता है, पतझड़ न यहाँ
काले मेघा जल्दी से आ, भूरे मेघा जल्दी से आ ||घाम ये कैसा चहक रहा है, अँगारे सा दहक रहा है |लुका छिपी फिर अब ये कैसी, मान मनुव्वल अब ये कैसी ||कितने आँधी तूफाँ आते, धूल धूसरित वे कर जाते पल भर में धरती पर अपना ताण्डव नृत्य दिखावे जाते |तेरी घोर गर्जना से सब आँधी तूफाँ हैं
विरह मिलन की धूप छाँव में सुख दुःख के डगभरने वालाऔर चढ़ाई उतराई में सदा अथक ही चलने वाला |एक बूँद वाले जलघट में अगम सिन्धु भरने का चाहीधूल धूसरित भूखा प्यासा, कहाँ तेरी मंज़िल ओराही ||सुरभित वन उपवन गिरि कानन, जल खग कूजित झीलोंवालीसमझ रहा जिसको तू मंज़िल, शिलाखण्ड वह मीलो
कब तक आशा –दीप जलाऊँ , इस अल्लढ़ मन को समझाऊँ | जनम जनम से मन की राधा , खोज रही अपना मन भावन | तृष्णा नहीं मिटी दर्शन की , रीत गया यह सारा जीवन
“गीत”चलो री हवा पाँव चेतक लिए उड़े जा वहाँ छाँव चंदन हिए जहाँ वास सैया सुनैनन भली प्रभा काल लाली हिमालय चली॥सुना है किसी से वहाँ है प्रभा बढ़ो आज देखूँ पिया की सभा प्रकृति है दिलों में प्रसूना भली- सजा लूँ गजारा सजा के चली॥ अनेकों भरी है वहाँ पै दवा नुरानी सुहानी जहाँ की हव
nks&pkj nkusa dks oks rjldj pyk x;kvk;k Fkk ftl Mxj ls] okil pyk x;kvc idM+ yh jkg mlusa fQj dksbZ vUtkuh lh]uk tkusa vc fdl vkl esa D;k ikusa pyk x;kMxexkrs Fks dne ij vkl mldh ckdh Fkh^eqLdqjkrs gq, vkaWlw^ cgkrs pyk x;kbl xyh fQj ml xyh] gj eksM+ ij fQjrk jgkbd QVh lh >ksyh] QSykrs pyk x;krjl mli
*कवयित्री विशेषांक* के लिए रचनाएँ आमंत्रित------
अपने नाम की Ringtone Download कैसे करें ? नमस्कार, अगर आपने "अपने नाम की Ringtone Download कैसे करें ?" Search कर रहे हैं,तो आपकी खोज सफल हुई |मतलब आप सभी वेब-ब्लॉग पर आये है |आज में अपने नाम की रिंगटोन डाउनलोड करके बताऊंगा |जिससे की आपको अपने नाम की रिंगटोन download करने में कोई..................!
होली है फागुन का महीना है, उड़ रहा है अबीर होली का पर्व है रे, मनवा हुआ अधीर चले पिचकारी सारा राहोली है आरा रारा रा ---इस होली के पर्व को, बड़े मौज से मनाएँहोली होय गुलाल की, पानी सभी बचाएँ उड़े गुलाल सारा राहोली है आरा रारा रा ---होली के रंगों से सीखो सामंजस्य बनाना संगठित रहना
लो गई..उतार चढ़ाव से भरीये साल भी गई...गुजरता पल,कुछ बची हुई उम्मीदेआनेवाली मुस्कराहटों का सबब होगा,इस पिंदार के साथ हम बढ़ चले।जरा ठहरो..देखोइन दरीचों से आती शुआएं...जिनमें असिर ..इन गुजरते लम्हों की कसक, कुछ ठहराव और अलविदा कहने का...,पयाम...नव उम्मीद के झलककुसुम के महक का,जी शाकिर हूँ ..कुछ चापों
क्या किया किसने किया यह क्यूँ किया, कुछ तो बता घर जला उसे सह लिया पर क्यूँ जला कुछ तो बता॥ जिसने उगा डाला चमन जिसने दिया हर पौध जल उस बागवाँ को बेलिया तुमने दिया कैसा ये फल॥ कितनी तल्ख तलवार थी डंस गयी जो म्यान को किस शिला की धार पैनी हुलसा गई सम्मान को॥ कलबाज़ियाँ परिवार में खेली गई ज
यूँ तो कुछ नहीं बताने को..चंद खामोशियाँ बचा रखे हैंजिनमें असीर है कई बातें जो नक़्श से उभरते हैंखामोशियों की क्या ? कोई कहानी नहीं...ये सुब्ह से शाम तलक आज़माए जाते हैंक्यूँकि हर तकरीरें से तस्वीरें बदलती नहीं न हि हर खामोशियों की तकसीम लफ़्जों में होतीरफ़ाकते हैंं इनसे
“भजन गीत” नजरिया में आ के घेरा गईल माधों ई कइसन बंसुरिया बजा गईल माधों...... देखली सुरतिया संवरिया कन्हाई अंगुली घूमा के मुरलिया बजाई कदम की छइयाँ हेरा गईल माधों लाज लाजवंती के बता गईल माधों......ई कइसन बंसुरिया बजा गईल माधों राधा की गोरी गोरी भोरी कलाई रूप मनिहारिनी को चुड़ियाँ पिन्
@@@@@@ हाँ रे मिनख जाग जा @@@@@@*********************************************************हाँ रे मिनख जाग जा ,क डूबण रो खतरों नेड़े आग्यो रे |क मिनख जाग जा |नेता लुटे अफसर लुटे,मिलकर सारा लूटे रे |(2)क अंग्रेजां री लूटपाट ,अब फीकी पड़गी रे ||क मिनख जाग जा |हाँ रे मिनख जाग जा ,क डूबण रो खतरों नेड़े आग्यो
एक कजरी गीत........चित्र अभिव्यक्ति परझूला झूले राधा रानी, संग में कृष्ण कन्हाई ना कदम की डाली, कुंके कोयलिया, बदरी छाई नाझूले गोपी ग्वाल झुलावे, गोकुला की अमराई विहंसे यशुमति नन्द दुवारे, प्रीति परस्पर पाई ना॥गोकुल मथुरा वृन्दावन छैया रास रचाई ना छलिया छोड़ गयो बरसाने, द्वारिका सजाई नामुरली मनोहर रा
यूं तो शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय की अमर कृति देवदास पर बहुत सारी फ़िल्में बनीहैं लेकिन २००२ में शाहरुख़ खान, ऐश्वर्या रॉय और माधुरी दीक्षित की यादगार भूमिकाओंसे सजी फिल्म देवदास प्रख्यात फिल्मकार-निर्देशक संजय लीला भंसाली के शानदारनिर्देशन हेतु याद की जाती है| इस फिल्म का संगीत आज भी अत्यंत लोकप्रिय है|