एक बगिया में लगे थे हजारों फूलमुस्कराकर हवा के साथ रहे थे झूलले रहे थे वो सभी अपने यौवन का आनन्दऔर मादक खुशबू फैलाने में थे मशगूल।गुजरता है कवि "दीप" वहां सेऔर पास जाकर पूछता है फूल सेक्यों मुस्कराए ज
हुआ वही।बड़े होने से पहले जो ख्वाब देखा आज भी वही है।माँ की ममता पापा के पैसे ने बचपन से बड़ा किया।गुरु की मेहनत स्कूल कालेज की जगह ने ज्ञान दिया।समाज की ठोकरों परस्थितियों से जीने का सहारा मिला।दो वक्त की रोटी के लिए ज्ञान परदेशी का हुनर बना।हुनर से कमाए चंद सिक्के, खुद की परवरिश के लिए।आँचल तले स्तन
लाइफ लाइन जुड़ी रहवै तेरे तै या म्हारी चाल मेरी गेल्या फुल करके त्यारी ×2 सुण ले ने गल छोरी मेरी तू पुरे सांग क लिरिक्स देखने के लिए निचे लिंक पर क्लिक करे Colour Full New Haryanvi Song Lyrics Hindi
इरादे मजबूत कर लो।उनकी गली से नही गुज़रते, उस गली में हमेशा कांटे बिछे रहते है।लोगों का कहना माना और उस गली से निकलने से बचते रहे। एक दिन उसकी याद खींच ही ले गई काँटो वाली गली मे । गली में घुसते ही पैर में कांटा चुभा, चुभते ही फूल बन गया। दूसरे कदम में काँटा लगा वह भी फूल बन गया। मन मे पता नही कहाँ
हार कर घर कर गई ।बना रहा था याद मे उसकी तस्वीर जो कभी मिली नहीं।गुम था उसी की यादों मे जो कभी बोली नहीं। चाहत थी उसे पाने की फूलो की तरह, वह फूल नहीं, माला बन गईं न जाने किसके गले का हार बन गई। हार गया उसे भी हार मे। हार के बगीचे मे बैठे सोचता रहा उस हार के बारे मे जो कभी अपना हुआ नहीं । रात भी गुजर
वसंत की याद✒️ अक्षुण्ण यौवन की सरिता में,पानी का बढ़ आनाकमल-कमलिनी रास रचायें,खग का गाना गाना;याद किया जब बैठ शैल पर,तालाबों के तीरेमौसम ने ली हिचकी उठकर,नंदनवन में धीरे।नाद लगाई पैंजनियों ने,चिट्ठी की जस पातीझनक-झनक से रति शरमायी,तितली गाना गाती;जगमग-जगमग दमक उठा जब,रवि किंशुक कुसुमों सामानस, आभामं
एक दिन बातों-बातों में फूल और तितली झगड़ पड़े तमाशबीन भाँपने लगे माजरा खड़े-खड़े कोमल कुसुम की नैसर्गिक सुषमा में समाया माधुर्य नयनाभिराम रंग, ख़ुशबू , मकरन्द की ख़ातिर मधुमक्खी, तितली, भँवरे करते विश्राम फूल आत्ममुग्ध हुआ कहते-कहते तितली खिल्ली उड़ाने में हुई मशग़ूल यारी की मान-मर्यादा, लिहाज़ गयी भूल बोली
सुर्ख अंगारे से चटक सिंदूरी रंग का होते हुए भी मेरे मन में एक टीस हैं.पर्ण विहीन ढूढ़ वृक्षों पर मखमली फूल खिले स्वर्णिम आभा से, मैं इठलाया,पर न मुझ पर भौरे मंडराये और न तितली.आकर्षक होने पर भी न गुलाब से खिलकर उपवन को शोभायमान किया.मुझे न तो गुलदस्ते में सजाया गया और न ही माला में गूँथकर द
कितना दर्द सहते हो तुम फूल ,कांटों मे भी मुस्कुराते हो तुम फूल ,महक से दिलों में खुशी लाते तुम फूल ,प्रक्रुति को अपने रंगों से, किसी नई दुल्हन सी सजाते तुम फूल । ॥1॥चाहे आए गर्मी जाड़ा या तूफ़ान कोई ,न तुम लडखड़ाते हो ,भौंरे तितली चुसे तुमको ,फिर भी प्यार उन पर लुटाते हो
रंग बिरंगे फूल खिले देखकर मन भी खिल जाता है. चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. फूल है भी तो प्यार मोहब्बत की निशानी. इसलिए कवियों और शायरों की भी पसंद हैं. पूजा अर्चना के लिए भी फूल शुभ हैं. स्वागत के लिए चाहिए फूल माला, शादी के लिए चाहिए फूलों