■ पिशाचिनी का प्रतिशोध ■ भाग 49 (पिशाचिनी सिद्धि)________________________________________________________________________________आपको ,आपके मित्र अमरप्रता
भाग 36 बाबा त्रिलोकी नाथ दो नींबू को आधा कटकर उसमे सिंदूर भरते है ,फिर हवन कुंड की थोड़ी राख डालते हैं और उसके बाद फिर उस नींबू को मंत्र पढ़कर उस काने प्रेत के ऊपर फेकते हैं ,और फिर ग
भाग 35बाबा त्रिलोकी नाथ मंत्रोच्चार कर के us मुर्गे की गर्दन रेतने लगते है तो प्रेत करन चीखने लगता है ,उसका हाथ अगर नही मिला होता तो इतनी आसानी से यह नही आता पर हाथ मिल जाने के कारण वह फस गया और
भाग 34प्रोफेसर मंत्रोचार करना शुरू करते है , और धीरे धीरे कर एक एक कर उस पर सरसो डालने लगते हैं ,*"!! समीक्षा और प्रणय जैसे ही अंतिम झरोखे पर दिया रखने जाते हैं ,तभी उसमे से अचानक दो हाथ बाहर आते
भाग 33रेशमा और नीता गायत्री के साथ इन लोगो के सामने खड़ी थी , वह गायत्री के पिता को देख कर रेशमा गायत्री से कहती हैं ,*" गायत्री हम भी अपने माता पिता को देख सकते हैं ,*"!!त्रिलोकी नाथ कहते
भाग 32 माधवेंद्र दास और त्रिलोकी नाथ जैसे ही हाल में पहुंचते हैं ,अचानक ढेर सारे चमगादड़ उन पर हमला कर देते हैं , बाबा त्रिलोकी नाथ थैले से भभूत निकल कर मंत्र पढ़कर उनकी ओर फेकते हैं ,तो अग्नि प्रज्व