बहुत पुरानी बात है, करीबन मैं तब सात आठ साल की हूँवा करती थी, तब ज्यादातर हमारे नाना नानी का गाँव में कोई आने जाने के लिए गाडी नहीं हूँवा
एक विशेष प्रकार की आवाज सुनकर राजन की नींद खुल गई । आवाज ऐसी आ रही थी जैसे कोई सांप रेंग रहा है । उसने धीरे से अपनी आंखें खोली मगर उसे कुछ दिखाई नहीं दिया । उसे लगा कि उसने डर के मारे आंखें खोली ही नह
■पिशाचिनी का प्रतिशोध ■ भाग 56 (पिशाचिनी सिद्धि)______________________________________________________________________________________ अरे देखों ....देखो
राजन बड़ा आश्चर्य चकित था उस भूत के पदचाप की रिकॉर्डिंग को सुनकर । उसके मुंह से बोल नहीं निकले । कहीं उसका इस मकान को किराये पर लेने का निर्णय उसके लिए घातक तो सिद्ध नहीं हो जाएगा ? अब तक उसने सुनी सु
■पिशाचिनी का प्रतिशोध ■ भाग 55 (पिशाचिनी सिद्धि) (पिशाचिनीसिद्धि)______________________________________________________________
■ पिशाचिनी का प्रतिशोध ■भाग 54 (पिशाचिनी सिद्धि)_______________________________________________________________________________पिछले अंक में आप सभी पाठकों नें प
आखिर मुरलीधर जी अचानक कहाँ गायब हो गए। आइये आगे कि रचना में देखतें हैं अब आगे,,,,,,,, अमर मुरलीधर जी को वहाँ ना पाकर और भी ज्यादा घबरा गया था। और इधर उधर मुरलीधर जी को खोजते हुए आवाज लगा रहा
शहर से बाहर जाने वाले रास्ते पर एक ढाबा था। शहर से अच्छी खासी दूरी पर वो ढाबा था, तक्रिबंन १५ किलोमीटर की दूरी पर था , विक्रांत - विक्रांत ढाबा, ढाबे का नाम था। आने जाने वाले वाहन ट्रक आदि
राहुल हर दिन की तरह अपने काम पर जाने के लिए अपने घर से निकलता है, जैसे ही राहुल जाने के लिए हमेशा के रास्ते पर पाव रखता ता है, उसके सामने से अचानक एक काली बिल्ली गुजरती है, उसका रास्ता काट देती
कहतें है दिल्ली दिल वालों का शहर है, अब रमन भी दिलवालों के शहर पहोच गया था देखतें है, रमन का स्वागत दिल्ली शहर कैसा करता है, क्या रमन को दिल्ली रास आयेगी या उसका दिल देहला देगी! दिल्ली के प्लेटफॉर्म
भाग 46सभी प्रेत मिलकर शैतान पर हमला बोल देते हैं , मौका देख भूत भी लपक लेते हैं , शैतान बौखला जाता है , उसे समझ नही आता है की ये हो क्या हो रहा है। , एक शैतान सौ प्रेतों की ताकत रखता है , ,पर अभ
भाग 45 उपमा का भयानक रूप देख सभी पहले तो घबरा जाते हैं ,इसके पहले प्रोफेसर की स्टूडेंट्स छोटे छोटे भूतो को ही पकड़ा था ,पहली बार वह प्रेत से टकरा रहे थे ,!!उपमा की धमकी सुन समीक्षा एक दम गु
भाग 44बाबा के आवाज को सुन कर सुंदरी और बाकी प्रेतनियां झटके से हटती है तो बाबा उनके ऊपर नींबू फेकते हैं ,नींबू उनके ऊपर फटते ही उनके मुंह से चीखे निकलने लगती हैं ,तभी माधवेंद्र दास आकर सरसो का तड़का ल
भाग 43उपमा अपने पिता के उस स्थान पर पड़ी एक खोपड़ी पर मुर्गे का खून टपकाती है , और बाकी का खून खुद पी जाती हैं ,और मुर्गा अपने भाइयों को खाने को से देती है , वह सब उसे नोच कर खा जाते हैं , उपमा फिर से
भाग 42 उपमा का क्रोध बढ़ जाता है और वह गुस्से में बिफर कर कहती है,*" चलो हम किसी को नहीं छोड़ेंगे एक एक को खत्म कर देंगे ,*"!!उसका एक भाई बोलता है ,*" बाहर लोग तुम्हारे लिए पानी लेकर
भाग 41उपमा कहती है *" हमे अगर बचना है, तो या तो हम किसी तरह यहां से निकल कर भाग जाएं या फिर इनपर हमला कर पिताश्री को जागृत करने की व्यवस्था करनी होगी , हमारे आधे से अधिक लोग मारे गए हैं, इनकी शक
भाग 40समीक्षा के नींबू डालते ही वह प्रेत बौखला कर चीखने लगता है ,तभी प्रोफेसर भी इस पर सरसो फेकने लगते हैं तो वह जलने लगता है और अंदर की ओर भागता है ,*"!!प्रोफेसर कहते हैं ,*" जल्दी से बाहर निकलो अभी
भाग। 39 माधवेंद्र और बाबा त्रिलोकी नाथ मंत्रोच्चार शुरू करते हैं , त्रिलोकी नाथ एक नारियल को हवन कुंड में डाल कर उसे अभिमंत्रित कर बाहर निकलते हैं और उस पर मंत्र पढ़कर फुकते हैं और फिर नारियल को
बात बहुत पुरानी हो गयी है ठीक से याद नही पर मै इतना जानता हूं वो मंजर अगर मै आज भी याद करता हूं तो मेरी रुह कांप जाती है।अब मै एक रिटायर्ड अधिकारी हूं उम्र के साठ बसंत पार करके पैसठवें मे चल रहा हूं भ
रचना आज जैसे ही घर से निकली एक अजीब वाक्या हुआ, वो यह कि, जैसे ही उसने, घर की चौखट से पाॅव बाहर रखा उसको लगा कि किसी ने उसे धकेला है ,उसने आगे पीछे देखा वहा कोई न था। यह कही वहम तो न