जीवन की यही सच्चाई है., आपसे लोगों की अपेक्षाओं का कोई अन्त नहीं है.
जहाँ आप चूके वहीं पर लोग बुराई निकाल लेते हैं,और पिछली सारी अच्छाईयों को भूल जाते हैं
इसलिए अपने कर्म करते चलो, लोग आपसे कभी संतुष्ट नहीं होंगे !!
कहाँ पर बोलना है,और कहाँ पर बोल जाते हैं,जहाँ खामोश रहना है,वहाँ मुँह खोल जाते हैं,
जिस कर्म से अपना व दूसरों का पतन हो, वह पाप है
और जिस कर्म से अपना और दूसरों का उत्थान हो, वह सब पुण्य है
मुस्कान' मानव हृदय की मधुरता को दर्शाती है
और 'शांति' बुद्धि की परिपक्वता को....
और दोनों का ही होना,"मनुष्य की संपूर्णता" को बताता है,
इसलिए,"मुस्कुराते हुए शांति के साथ,परिपूर्ण जीवन जीने का आंनद लें।