"मूर्खता से बचना चाहिए, और बुद्धिमत्ता से काम करना चाहिए।"
संसार में कुछ लोगों को सलाह देने की आदत होती है। बचपन से ही वे दूसरों को सलाह देता हुआ देखते हैं। "दूसरों को देखकर उन्हें भी वह अभ्यास हो जाता है। धीरे धीरे आगे चलकर वह आदत इतनी अधिक बढ़ जाती है, कि लोग उसे बीमारी के नाम से कहने लगते हैं।" जब उसकी सलाह देने की आदत से लोग परेशान हो जाते हैं, तब क्रोध में आकर कहते हैं, "इस को तो सलाह देने की बीमारी है। यह दूसरों को सलाह दिए बिना रुक ही नहीं सकता।" इस प्रकार से समाज में उसकी निंदा होती है।
कभी-कभी वह अपनी निंदा को सुन भी लेता है। उसके मित्र परोक्ष रूप से उसकी खिल्ली भी उड़ाते हैं। और कभी कभी झूठ बोल कर भी ऐसा कह देते हैं, कि अमुक व्यक्ति आपके बारे में ऐसे कह रहा था, कि "आपको तो सुझाव देने की बीमारी है।" इस प्रकार से वह व्यक्ति जब अपने विषय में ऐसे कठोर शब्द सुनता है, तब उसे थोड़ा दुख भी होता है, कि "लोग मेरे विषय में अच्छा विचार नहीं करते. मुझे अच्छा व्यक्ति नहीं मानते." कभी-कभी उसके मन में विचार आता है, कि "अब मैं सुझाव नहीं दूंगा।" परंतु आदत से मजबूर होकर वह फिर सुझाव दे ही डालता है। इसीलिए लोग उसे कहते हैं कि "इसे सलाह देने की बीमारी है." "तो हमें और आपको ऐसी बीमारी से बचना चाहिए। बिना मांगे सलाह देने की यह आदत अच्छी नहीं है।"
सभ्यता का यह नियम है, कि "बिना मांगे सलाह नहीं देनी चाहिए। यदि कोई व्यक्ति आपसे सलाह मांगे, तो सलाह देवें. न मांगे, तो न देवें। बिना मांगे सलाह देना तो मूर्खता है।" हर व्यक्ति की अपनी अपनी इच्छाएं होती हैं। उसके पास अपनी बुद्धि भी है। वह अपनी बुद्धि से अपना जीवन जीने को स्वतंत्र भी है। "इसलिए हर व्यक्ति अपनी इच्छा और अपनी बुद्धि से जीता है। उसे बिन मांगी आपकी सलाह की आवश्यकता नहीं है।" तो इस विषय में सावधानी रखें।
फिर कभी कभी ऐसा देखा जाता है, कि "जो व्यक्ति जिस विद्या में कुशल होता है, यदि उसे उसी विद्या में सुझाव दिया जाए, यह तो मूर्खता नहीं, बल्कि महामूर्खता है। जैसे कोई रोगी चिकित्सा के विषय में डॉक्टर को सलाह देने लगे। यह तो महामूर्खता है।" इसलिए दूसरे की योग्यता को पहले जांच लेना चाहिए, कि "मैं किसे और क्या सलाह दे रहा हूं, अन्यथा लोग आपको महामूर्ख ही कहेंगे।"
कभी कभी कुछ लोग इतनी दुष्टता भी करते हैं, कि "एक व्यक्ति की सलाह की देने की बुरी आदत से परेशान होकर, दूसरे लोग स्पष्ट मना कर देते हैं, कि मुझे आपकी सलाह नहीं चाहिए। ऐसे मना करने पर भी जो लोग सलाह देते हैं। वे महामूर्ख तो हैं ही, साथ में महादुष्ट भी हैं। ऐसे महामूर्खों और महादुष्टों से तो बच कर रहना ही उत्तम है।"
"अतः सावधान रहें। आसपास के लोगों का परीक्षण करते रहें। मूर्ख, महामूर्ख और महादुष्ट लोग आपके आसपास में बहुत मिलते हैं/मिलेंगे। उनके दुर्व्यवहार से बचें, तथा स्वयं भी सावधान रहें, कि आप दूसरों के साथ इस प्रकार का दुर्व्यवहार न करें।"