*यदि संतुष्ट और प्रसन्न रहना चाहते हैं तो श्रेय लेने की इच्छा त्याग करें। केवल रक्तसंबंध से ही कोई अपना नहीं होता। प्रेम, सहयोग, विश्वास, निष्ठा, प्रतिआभार, सहानुभूति, और सम्मान ये सारे भाव है जो परायों को भी अपना बनाते हैं।*
*रिश्ते तो सूरजमुखी के फूलों की तरह होते हैं जिधर प्यार मिले उधर घूम जाते हैं। बाकी ये जिंदगी है, कई रंग दिखाएगी, कभी रुलाएगी, कभी हंसाएगी, जो ख़ामोशी से सह गया वो निखर जाएगा, जो भावनाओं में बह गया वो बिखर जाएगा।*
*जब व्यक्ति स्वस्थ होता है तब ही रुपया सम्पत्ति अच्छी लगती है पलंग पर पड़े वृद्ध बीमार व्यक्ति को सब माया बेकार लगती है. उसे उसका होश ही नहीं रहता।*