*"परमात्मा" सभी को*
*एक ही मिट्टी से बनाता है..!*
*फर्क इतना है कि....*
*कोई बाहर से "खुबसूरत" होता है, तो कोई अंदर से, "खुबसुरत" होता है...!!*
*तुम्हारी श्रद्धा, तुम्हारा प्रेम, तुम्हारी सुंदरता, तुम्हारा सत् किसी भी संशय से सौ गुना अधिक है, श्रद्धा सूर्य के समान है, और संशय बादल जैसा है, हाँ, कुछ दिन बादल छाये रहते हैं, उन्हें आने दो, अंत में सूर्य ही चमकेगा,*
*यह बात ध्यान में रखें कि जो भी हमें क्षणिक अल्पकालिन "आनंद" और दीर्घकालिन "पीड़ा" देता है,? हमें उसे त्याग देना चाहिए,*
*"अच्छे कर्म करते हुए बदनाम होने पर भी मत डरना, क्योंकि जिन लोगों में नाम कमाने की हिम्मत नहीं होती, उन्हें बदनामी का डर होता है...!!!"*
*मनुष्य को अपनी नजर में अच्छा दिखना चाहिए,*
*लोगों का क्या, ? लोग तो भगवान में भी गलती निकालते है,* *विचार ऐसे रखो की तुम्हारे विचारो पर भी किसी को विचार करना पड़े, समुंदर बनकर क्या फायदा,??*
*बनना है तो, छोटा तालाब बनो,*
*जहाँपर शेर भी पानी पीयें तो गर्दन झूकाकर....*
*सारी अच्छी चीजों ने आप को एक विशालता प्रदान की है, सारी दुःखभरी चीजों ने आपको एक गहरायी दी है, और यह एहसास दिलाया है कि,? आप इन सबसे ज़्यादा ताकतवर हैं,*
*इसलिए, जो भी हुआ है, या नहीं हुआ है, उस के प्रति "कृतज्ञता," "ख़ुशी" और "आभार" को महसुस करें...*