*"अनीतिपूर्वक सफलता पाकर लोक-परलोक, आत्म-संतोष, चरित्र, धर्म तथा कर्त्तव्य निष्ठा का पतन कर लेने की अपेक्षा
9 दिसम्बर 2021
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*"अनीतिपूर्वक सफलता पाकर लोक-परलोक, आत्म-संतोष, चरित्र, धर्म तथा कर्त्तव्य निष्ठा का पतन कर लेने की अपेक्षा, नीति की रक्षा करते हुए असफलता को शिरोधार्य कर लेना कहीं ऊँची बात है। अनीति मूलक सफलता अंत में पतन तथा शोक, संताप का ही कारण बनती है।*
*रावण, कंस, दुर्योधन जैसे लोगों ने अधमपूर्वक न जाने कितनी बड़ी-बड़ी सफलताएँ पाईं, किन्तु अंत में उनका पतन ही हुआ और पाप के साथ लोक निन्दा के भागी बने। आज भी उनका नाम घृणापूर्वक ही जात