*शब्दों* का भी *तापमान* होता है,
ये *सुकुन* भी देते हैं और *जला* भी देते हैं,,,,!!!
*शिक्षा* और *संस्कार* जिन्दगी जीने का *मूल-मंत्र* है,
*शिक्षा* कभी *झुकने* नहीँ देगी,
और *संस्कार* कभी *गिरने* नहीँ देगा,,,,!!!
*इन्सान* की *सम्पत्ति* ना *दौलत* है,ना *धन* है
उसकी *सम्पत्ति* तो उसका *हँसता* हुआ *परिवार* और *संतुष्ट* मन है,,,,,!!!!
*अच्छे-लोगों* की *संगत* में रहें,
क्योंकि *सुनार* का *कचरा* भी *बादाम* से *महंगा* होता है,,,,!!!
*अब्दुल कलाम*
किसी *घर* में एक साथ रहना *परिवार* नहीँ कहलाता,
बल्कि एक साथ *जीना* एक दुसरे को *समझना* और एक दुसरे की *परवाह* करना *परिवार* कहलाता है,,,,!!!
*बातों* की मिठास *अन्दर* का *भेद* नहीँ *खोलती*,
*मोर* को देखकर कौन कह *सकता* है कि यह *साँप-खाता* होगा,,,,!!!
*दर्पण* जब चेहरे का *दाग* दिखाता है,
तब हम *दर्पण* नहीँ तोडते,बल्कि *दाग* साफ करते हैं,
उसी प्रकार हमारी *कमी* बताने वाले पर *क्रोध* करने की बजाय अपनी *कमी* को दूर करना *श्रेष्ठ* है,,,!!!
जो आपकी *जिन्दगी* में *कील* बनकर बार-बार *चुभे*,उसे एक बार *हथोडी* बन कर *ठोक* देना चाहिए,,,,,!!!
मैने कुछ लोग लगा रखें हैं अपनी *पीठ* पीछे *बुराई* करने के लिए,
*तनख्वाह* कुछ भी नहीँ ,मगर काम बडी *ईमानदारी* से करते हैं,,, !!
*मनुष्य* को हमेशा यह नहीँ सोचना चाहिये कि वो अपने *जीवन* में कितना *खुश* हैं,
बल्कि यह सोचना चाहिए कि उस *मनुष्य* की वजह से *दूसरे* कितने *खुश*; हैं,,,,,!!!!