*"सुलझा"* हुआ *"मनुष्य"* वह है,
जो अपने *"निर्णय"* स्वयं करता है,
और
उन *"निर्णयो"* के *"परिणाम"* के लिए किसी *"दूसरे"* को *"दोष"* नही देता..!!!
*अर्थात्*
एक बार शिष्य ने गुरू से पुछा
अगर *"किस्मत"*
पहेले ही *"लिखी"* जा चुकी है तो,
*"कोशिश"* कर के क्या मिलेगा?
गुरु ने कहा
क्या पता *"किस्मत"* में लिखा हो की,
*"कोशिश"* करने से ही मिलेगा!
अर्थात् सदैव *"कार्य"* के प्रति लगन रखिए