*संसार में कई प्रकार के नशे हैं ?*
धन का नशा है, विद्या का नशा है, शक्ति का नशा है, सत्ता का नशा है, मूर्खता का नशा है, शराब का नशा है, और ऐसे ही भांग सुल्फा गांजा आदि अनेक प्रकार के नशे हैं!
जब व्यक्ति नशे में होता है, तब मन में तमोगुण या रजोगुण के प्रधान होने से, उसका मन पर पूरा नियंत्रण नहीं हो पाता! बुद्धि पर भी नियंत्रण ठीक से नहीं रहता! जिसके परिणाम स्वरूप वह न तो ठीक प्रकार से सोच पाता है, और न ही ठीक प्रकार से कोई निर्णय ले पाता है!
जब चिंतन और निर्णय दोनों ही गलत होते हैं तब वह कुछ भी बोल सकता है, सत्य भी बोल सकता है! और झूठ भी बोल सकता है! बिना नशे के जब सामान्य स्थिति होती है, अर्थात् जब व्यक्ति नशे में नहीं होता, तो वह चतुराई से झूठ को दबा सकता है, नाटक कर सकता है!
औपचारिकताएं निभा सकता है! नशे की स्थिति में वह ज्यादा चतुराई नहीं कर पाता और उसकी सच्चाई सामने आ ही जाती है! इसलिए नशों से सावधान रहें!
नशे की स्थिति में व्यक्ति कुछ ऐसी बातें भी कह जाता है जो नहीं कहनी चाहिएँ, अर्थात जो सभ्यता के विरुद्ध होती हैं! हम यह नहीं कहना चाहते कि व्यक्ति को झूठ बोलना चाहिए, अपनी सच्चाई को छुपाना दबाना चाहिए, परंतु सभ्यता तो अवश्य रखनी चाहिए!
सभ्यता यह कहती है कि सब बातें सबके सामने हर समय नहीं कही जानी चाहिएँ। सोच समझकर नापतोल कर सामने वाले व्यक्ति को देखकर सत्य बोलना चाहिए, सभ्यता से बोलना चाहिए!
शास्त्रों का विधान है, या तो सत्य बोलें या फिर मौन रहें, झूठ न बोलें! तो इसके लिए सावधानी का प्रयोग करना चाहिए! नशों से दूर रहें, न जाने नशे में आप, न कहने योग्य बात भी कह जाएँ, जिसका बाद में पश्चाताप करना पड़े..!