*"ताक़त" और "पैसा" "ज़िन्दगी" के फल हैं....*
*परिवार और मित्र जिन्दगी की जड़ हैं,*
*हम फल के बिना अपने आप को चला सकते हैं , पर,?*
*जड़ के बिना खड़े नहीं हो सकते .......!!*
*जब तक हम अंदर की मुसाफरी शुरू नहीं करते, तब तक जाने अनजाने में, हम चित को अशुद्ध करते रहते है, जैसे ही हम अंदर की गहराई यो में उतरते जाते है, हमें एहसास होने लगता है की, हमने बहुत सारी गन्दगियाँ अंदर डाली हुई है, उसकी सफ़ाई करना ही आध्यात्मिक मूसाफरी है, इस मूसाफरी करते करते परमात्मा की कृपा होते ही "सत्य" का याने अपने स्वरूप का अनुभव होता है, आप कितने भी अच्छे हो,आप कितना भी अच्छा काम कर लो, पर एक बात हमेशा याद रखना, आपको जो गलत समझता है वह मरते दम तक आपको गलत ही समझेगा, क्योंकि "नजर" का ऑपरेशन किया जा सकता है, "नजरिए" का नहीं...??*
*"लोग खुद को नहीं बदलना चाहते हैं, पर किस्मत से उम्मीद रखते हैं, जब खुद को ही नहीं बदलेंगे, तो किस्मत कैसे बदलेगा, ???*
*रिश्ता दिलों का तब मजबूत होता है..._*
*जब बिन बताए इक दूजे का दर्द महसूस होता है...*