*जीवन मे "श्वास" और "विश्वास" की एक समान जरूरत होती हैं,*
*श्वास खत्म तो "जिंदगी" का "अंत" और "विश्वास" खत्म तो "सम्बन्धो" का "अंत." जहाँ भी विश्वास हो, और संकल्प मजबूत हो, वहाँ कृपा की धारा बहती है,! दुनिया लोगों की गलतियों से व्याप्त है,! गलतियों को माफ़ करे, और लोगो से प्रेम करे,!किसी भी चीज़ को, और किसी भी काम को,*
*कुछ भी होने को मुश्किल न समझें,*
*आपके पास बहुत बड़ी शक्ति हैं, और उसी के अनुसार आपको काम मिलता है, तुम ख़ुशी ख़ुशी भी घर आकर मुस्कराते हुए यह कह सकते हो, "आज मैंने जो कुछ भी किया, सब गड़बड़ हो गया, तुम में यह कहने का साहस होना चाहिए, "मैं घटनाओं और परिस्थितियों से बड़ा हूँ, सब कुछ आता जाता है, पर मैं हर अवस्था में दृढ़ बना रहता हूँ,*
*प्रतिबद्ध मन को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है, पर अंत में उसे अपने परिश्रम का फल मिलेगा,*
*लोगों के कहने पर अपने ज़िवन का कभी भी निर्णय नहीं करना,!*
*जन्म तो सभी को मिलता है, पर जीवन सभी को नहीं मिलता,*
*याद रखना लोग तुम्हे रेंगने पर मजबुर करेंगे,* *पर तुम्हें "दौड़" लगानी है, जब तुम अपने प्रियजनों से कहते हो, "यदि तुम्हें मेरी आवश्यकता हो, तो मैं उपलब्ध हूँ, मैं तुम्हारी सुविधा के लिए हमेशा तैय्यार हूँ", वही क्षण हैं जब तुमने अपना "जीवन" जिया है....*
*आप जितना अपने अधिकारो का त्याग करते है, उससे जादा आपके पास वापस आ जाता है,*
*आदमी "साधन" से नहीं*
*"साधना" से श्रेष्ठ बनता है,*
*आदमी "भवनों" से नहीं*
*"भावना" से श्रेष्ठ बनता है,*
*आदमी "उच्चारण" से नहीं*
*"उच्च-आचरण" से श्रेष्ठ बनता है.....*