*सुविचार - "दूषित विचारों से वातावरण की सारी सुंदरता नष्ट हो गई है। अब मनुष्य-जीवन का कुछ मूल्य नहीं रहा, क्योंकि कुविचारों के फेर में इतनी अधिक अशांति उत्पन्न कर ली गई है कि उसमें थोड़े से सदविचारवान व्यक्तियों को भी चैन से रहने का अवसर नहीं मिलता। इस संसार की सुखद रचना और इसके सौन्दर्य को जाग्रत करना चाहते हो, तो वैयक्तिक तथा सामाजिक जीवन में सदविचारों की प्रतिष्ठा करनी ही पड़ेगी।"*