*॥ तृष्णा जो कभी तृप्त नही होती ॥*
अहंकार कभी ना करे, इसका छोटा सा कंकर भी मुहं मे गये निवाले को बाहर निकाल सकता है। कर्म के पास ना किताब है, ना ही कोई काग़ज़, तब भी यह सारे जगत का हिसाब रखता है...
दुनिया के चार स्थान है, जो कभी भरते नही। ये है-समुद्र, श्मशान, तृष्णा का गड्ढा और मनुष्य का मन। ये जीवन के अंत तक खाली ही रहते है....
यह बिल्कुल सत्य है, सत्य से बढ़कर संसार में कोई धर्म नही है, और मिथ्या भाषण से बढ़कर कोई पाप नही, अत: ऐसी दशा मे सत्य की सदा अर्चना करनी चाहिये। सत्य को कभी भुलो नही...
हमारे जीवन मे बुरा वक़्त कभी बता कर नही आता, और आता है तो जिन्दगी को बहुत कुछ सिखाकर ही जाता है...
है मेरे कृष्णा, जब तुम्हारी सोच मे आत्मविश्वास की महक है, जब कृष्णा तुम्हारे इरादों मे जीवन के हौसलो की मिठास है, तुम्हारी नियत मे सच्चाई का स्वाद है, कृष्णा तुम्हारी पूरी जिन्दगी की कहानी एक महकता हुआ गुलाब है...
मनुष्य की सबसे बड़ी पुंजी है, “अच्छे विचार“ क्योंकि धन और बल किसी को भी गलत राह पर ले जा सकते हैं, किंतू "अच्छे विचार" सदैव अच्छे कार्यो के लिए ही प्रेरित करेंगे.....