*रिश्ते खून के नहीं विश्वास के होते हैं,*
*अगर विश्वास हो तो*
*पराये भी अपने हो जातें है*
*और विश्वास ना हो तो*
*अपने भी पराये हो जाते है*
*रिश्ते भी इमारत की ही तरह होते हैं*
*हल्की-फुल्की दरारें नज़र आएं तो*
*ढ़हाइये नहीं मरम्मत कीजिए*
*कहते है-जिनका व्यवहार अच्छा*
*और दिल छु लेने वाला होता है*
*उनके लिए दुआएं*
*अपने आप निकल आती हैं*
*और कुछ रिश्ते*
*परिभाषाओं मे कैद नहीं होते*
*पर होते बहुत अनमोल है*