*जहाँ हमारा स्वार्थ समाप्त होता है ..*
*वही से हमारी "इंसानियत" आरम्भ होती है........ !!*
*लोग कहते है कि, आदमी को अमीर होना चाहिए......*
*और संतोंका कहना है कि, ? आदमी का जमीर होना चाहिए...।।*
*जिसका जैसा “चरित्र” होता है,*
*उसका वैसा ही “मित्र” होता है,*
*”शुद्धता” होती है “विचारों” में*
*“आदमी” कब “पवित्र”होता है*
*फूलो में भी कीड़े पाये जाते हैं..,*
*पत्थरों में भी हीरे पाये जाते हैं, बुराई को छोड़कर अच्छाई देखिये तो सही..,"नर" में भी "नारायण" पाये जाते हैं..!! "भाषा" और "बात" करने का लहज़ा हमारे शरीर एवं व्यक्तित्व का एक*
*ऐसा अदृश्य अंग हैं, जिसमें हमारा सम्पूर्ण चरित्र, संस्कार, एवं परवरिश,*
*...अर्थात सब कुछ दिखाई देता है,*
*जरूरतों के हिसाब से लोगों से जुड़े रहना, एक सामान्य व्यवहार होता है,*
*लेकिन जरूरत के बगैर भी लोगों का ख्याल रखना एक अच्छे व्यक्तित्व की पहचान होती है!!*
*दुनियां में प्रत्येक मनुष्य अपनी " योग्यता "के अनुसार चमकता है...*
*" इच्छानुसार " नहीं, ?स्वयं को खुश रखने के* *" उपाय" खोजें..तकलीफें तो आपको "खोज" ही रही है...।।*
*जिंदगी में सफलता पाने के लिए थोड़ा जोखिम उठाना पड़ता है,*
*सीढियां चढ़ते समय ऊपर जाने के लिए नीचे की सीढ़ी से पैर हटाना पड़ता है....*