बुरी आदतें भी एक अभिशाप की तरह ही होती हैं, जो धीरे-धीरे किसी भी व्यक्ति के अपयश और अपकीर्ति का कारण बन जाती हैं ।
बुरी आदतों का भी अपना एक नशा होता है। अगर समय से इन्हें रोका न गया तो ये भी लत बन जाती हैं। यदि एक बार किसी बुरी आदत कि लत लग गई तो स्वयं को बुरी लगने के बावजूद भी हम उस काम को किए बिना रह ही नहीं पायेंगे। हम आदतन उस काम को करने के लिए मजबूर हो जायेंगे।
बुरी आदतें हमारी प्रगति मार्ग में सबसे बड़ी बाधक होती हैं। कुछ बुरी आदतें हमारे व्यक्तिगत जीवन को दूषित करती हैं, कुछ सामाजिक जीवन को तो कुछ नैतिक जीवन को भी दूषित करती हैं।
गलत देखना, गलत सुनना, गलत बोलना, गलत खाना - पीना, गलत करना व गलत दिशा में जाना, ये सब हमारी बुरी आदतें ही तो हैं। हमें निरंतर इन सबसे बचने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।
महान दार्शनिक सुकरात ने लिखा है कि "हर वर्ष एक बुरी आदत को मूल से खोदकर फेंका जाए, तो कुछ ही वर्षों में बुरे-से-बुरा व्यक्ति भी भला हो सकता है।"
अच्छी आदतें अच्छे इंसान को जन्म देती है और बुरी आदतें बुरे इंसान को। बुरी आदतों से निरंतर बचने का प्रयास न किया गया तो आपके भीतर कब एक बुरे इंसान ने जन्म ले लिया आपको खुद पता नहीं चलेगा।
आदतें बुरी त्यागने का कुछ तो जतन कर ले।