*हमारे जीवन में भी कभी कभी*
*कुछ क्षण ऐसे आते है*
*जब हम चारो तरफ से*
*समस्याओं से घिरे होते हैं*
*और कोई निर्णय नहीं ले पाते*
*तब सब कुछ नियति के हाथों सौंपकर*
*अपने उत्तरदायित्व व प्राथमिकता पर*
*ध्यान केन्द्रित करना चाहिए*
*अन्तत: यश अपयश हार जीत जीवन*
*मृत्यु का अन्तिम निर्णय ईश्वर करता है*
*हमें उस पर विश्वास कर उसके*
*निर्णय का सम्मान करना चाहिए*
*कुछ लोग हमारी सराहना करेंगे*
*तो कुछ लोग हमारी आलोचना करेंगे*
*दोनों ही मामलों में हम फायदे में हैं*
*एक हमें प्रेरित करेगा और*
*दूसरा हमारे भीतर सुधार लाएगा..!!*