*सुख व्यक्ति के अहंकार की परीक्षा लेता है और दुख व्यक्ति के धैर्य की परीक्षा लेता है। दोनों परीक्षा में उत्तीर्ण व्यक्ति का जीवन ही एक सफल जीवन कहलाता है।*
*जीवन का एक साधारण सा नियम है और वो ये कि सुख आता है तो वह अपने साथ अहंकार भी लेकर आता है। रावण हो, कंस हो अथवा दुर्योधनादि कौरव हो, इन सबके जीवन की एक ही कहानी है*
*सुख भी उस घी के समान होता है जिसे आदमी खा तो लेता है मगर पचा नहीं पाता। इसी प्रकार दुख के क्षणों में धैर्य धारण करना भी सबके बस में नहीं होता है। दुख में बड़े - बड़े महारथियों का धैर्य टूटते देखा गया है। दुखों के प्रवाह में धैर्य का बांध उसी प्रकार टूट जाता है जैसे बरसाती नदी के प्रवाह में नदी पर बना कोई बांध।*
*!!!...झूठ की रफ्तार चाहे जितनी तेज हो ,*
*लेकिन मंजिल तक केवल सच ही जाता है...!!!*