*एक ट्रक में मार्बल का सामान जा रहा था। उसमें टाईल्स भी थीं और भगवान की मूर्ति भी थी।*
*रास्ते में टाईल ने मूर्ति से पूछा- बहन! ऊपरवाले ने हमारे साथ ऐसा भेद-भाव क्यों किया है?*
*मूर्ति ने पूछा- कैसा भेद-भाव?*
*टाईल्स ने कहा- तुम भी पत्थर और मैं भी पत्थर, तुम भी उसी खान से निकले और मैं भी, तुम्हें भी उसी ने खरीदा और बेचा और मुझे भी, तुम भी मंदिर में जाओगे और मैं भी, पर वहां पर तुम्हारी पूजा होगी और मैं पैरों तले रौंदा जाऊंगा। ऐसा क्यों?*
*मूर्ति ने बड़ी ही शालीनता से जवाब दिया- तुम्हें जब तराशा गया, तब तुमसे दर्द सहन नहीं हुआ और तुम टूट गए और टुकड़ों में बंट गए और मुझे जब तराशा गया तब मैंने दर्द सहा* , *मुझ पर लाखों हथोड़े बरसाए गए लेकिन मैं रोई नहीं। मेरी आंखें बनीं, कान बनें, हाथ बनें, पांव बनें लेकिन फिर भी मैं टूटी नहीं। इस तरह मेरा रूप निखर गया और मैं पूजनीय हो गई। यदि तुम भी दर्द सहते तो तुम भी पूजे जाते। मगर तुम टूट गए और टूटने वाले हमेशा पैरों तले ही रौंदे जाते हैं।*
*------ तात्पर्य ------*
*परमात्मा जब हमको तराश रहा हो, तो टूटना नहीं चाहिए और हिम्मत नहीं हारनी चाहिए बल्कि अपनी रफ्तार से आगे बढ़ते रहना चाहिए, हमें मंजिल जरूर मिलेगी।*
*मुश्किलें केवल बेहतरीन लोगों के हिस्से में ही आती हैं, क्यूंकि वो* *लोग ही उसे बेहतरीन तरीके से अंजाम देने की ताकत रखते हैं।*
*------ रख हौंसला, वो मंजर भी* *आएगा ------*
*------ प्यासे के पास चलकर* *समंदर भी आएगा ------*
*------ थक कर ना बैठ, ऐ मंजिल के मुसाफिर ------*
*------ मंजिल भी मिलेगी और जीने का मजा भी आएगा -----*