"गीत"
शीतल झरना बहता पानी फूलों सजी बहार सखी
कितना दृश्य मनोरम लगता बगिया है गुलजार सखी
मौसम झूम रहा मतवाला मनमयूर नर्तकी बना
नीले पीले लाल बसंती प्रिय रंगो का बाग घना
नाचे मोर मयूरी देखे लेकर नैनो में प्यार सखी
शीतल झरना बहता पानी फूलों सजी बहार सखी।।
ओढ़े चूनर गाती कजरी देखो खुशी कुलाच रही
बादल बिच मड़राए बदरी मानो कोयल झाँक रही
सावन की अमराई झूले सखियों संग फुहार सखी
शीतल झरना बहता पानी फूलों सजी बहार सखी।।
एक साथ जब निकली सखियाँ इंद्रधनुष सा रंग लिए
भौंरा डाल-डाल बिछलाए गेसू पट हुड़दंग लिए
मंद-मंद खुश्बू विखराए कली फूल अनुसार सखी
शीतल झरना बहता पानी फूलों सजी बहार सखी।।
हाथ- हाथ में झंडा लेकर बच्चों ने गाना गाया
माँ भारत का लाल अनूठा उड़ा तिरंगा लहराया
चूम कलाई जा वीरा की सीमा राखी बाँध सखी
शीतल झरना बहता पानी फूलों सजी बहार सखी।।
कितना दृश्य मनोरम लगता बगिया है गुलजार सखी......
महातम मिश्र गौतम गोरखपुरी