पाकिस्तान से भारत आकर फिल्मी दुनिया में प्रवेश करने के संघर्ष को चित्रित करती ऐसी कहानी जिसने फिल्मी दुनिया में सफलता का नया इतिहास रचा। ऐसी लड़की की दास्तान जो अपने दम पर फिल्म उद्योग की अपने समय की सर्वाधिक मेहनताना पाने वाली लोकप्रिय अभिनेत्री बनी
क्या पाया क्या खोया हिसाब-किताब किसके पास है निरंतर चलते रहना हर हाल में खुश रहना जिन्दगी का आधार है तु अकेला ही नहीं इस सफर में सदियों से चली आ रही है ये कारवां हर किसी को यहां जिंदगी का तलाश है दर दर भटकते रहे लाखों यहां एक मुसाफिर तु भी है यहां
जिना यहाँ मरणा यहाँ! हसना यहाँ, रोना यहाँ छोटी छोटी खुशियोमै मुस्कुराना यहाँ किसीके दुःख मे सहारा देना यहाँ जिना यहाँ मरणा यहाँ इसके सिव्हा जाना कहाँ! जीवन कि परिस्थितियोको निभाना यहाँ! खुशियोको बाटने से बढाना हे यहाँ! किसीको दुःख मत देना, आसू बहोत क
भारतीय पत्रकारिता के बुझते हुए पुंज में बचे कुछ अंतिम उजालों में से एक थे "कमाल ख़ान" कमाल की सादगी, कमाल की तहज़ीब, कमाल की लखनवी ज़बान और कमाल का अंदाज़... सच में कमाल कमाल के ही थे। पत्रकारिता से लुप्तप्राय रिपोर्टिंग के लिए कमाल ख़ान जैसे पत्रकार वेंट
दोस्तों , आज आपको एक ऐसी सत्य घटना सुनाता हूं जो जीवन में बहुत प्रभाव छोड़ जाती है । और मेरे जीवन को बदलने में बहुत सार्थक है बात उन दिनों की है जब मैं गुजरात में एक सीमेंट कंपनी में सीनियर पेरा मेडिकल ऑफिसर के रूप में काम कार्य करता था वहा पर सीमे
राज तो हमने हमेशा किया है पसंद करने वालों के दिल पर और न पसंद करने वालों के दिमाग पर
मैंने तुरंत दुकान बन्द की और अपनी साईकिल उठा कर तेज़ रफ़्तार से चलाते हुए दूसरी दुकान की तरफ भागा । थोड़ी देर में मैं वापस आ गया। वो नीचे अभी तक नहीं आई थी । मै बैठ कर उसका इन्तजार करने लगा। थोड़ी देर में वो भागती हुई आई और बोली-अब तो दे दो आइसक्रीम
वर्षा ऋतु के आगमन का सभी जीव, जंतु, पेड़- पौधे और मनुष्य को इंतजार रहता है। क्योंकि गर्मी में झुलसे हुए पेड़- पौधे एवं जीव जंतु नया संचार आ जाता है। धरती मां ने मानो हरि चुनरी धारण कर रखी हो। चारों तरफ पक्षियों के चमकाने और झरणों व नदियों की कल- कल क
इस पुस्तक में उत्तर प्रदेश के जनपद मुरादाबाद के दिवंगत साहित्यकारों के जीवन परिचय से अवगत कराया गया है ।
निजी जीवन से जुड़ा एक वाक्या.... जो बहुत कुछ सीखाता हैं..और बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता हैं...।
बाज़ की जिंदगी का एक अनसुना लेकिन प्रेरणादायी सच..।
किसी ने सच ही कहा है कि अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश करने लगता हैं।" शायद ये मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ।कैसे मैं आईएएस अफसर बनना चाहता था और मेरी ख्वाहिश कैसे पूरी हुई ,क्या क्या रूकावटे आयी,जानने के लिए पढ़े मेरी
खामोश अधर मेरी स्मृतियों, संस्मरणों एवं जेहन में अनायास उठने वाले ख्यालों का दस्तावेज़ है,जो मुक्तक, दोहा, चतुष्पदी, शायरी, आलेख, संस्मरण आदि के रूप में संग्रहित रहेगा। खामोश अधर में संग्रहित सामग्रियों का कोई निश्चित क्रम नही है। प्रसंगवश जो घटना या
जो छुट गया... छुट गया.... जो हैं उसमें खुश रहो..।
सीमित जीवन को मैंने अपने जीवन के आध्यात्मिक मन के आधार पर कुछ लेख प्रस्तुत किए हैं जो वास्तविक रूप से मनुष्य के जीवन में घटित होते हैं एवं महसूस करते हैं !
दुर्गादास एक उपन्यास है जो एक वीर व्यक्ति दुर्गादास राठौड़ के जीवन पर मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित है। इसे एक वीर गाथा भी कह सकते हैं जिससे हमें कई सीख मिलती है। यह बाल साहित्य के अंतर्गत आता है तथा इसके मुख्य प्रकाशक भारतीय ज्ञानपीठ है। इसमें बताया ग
Es e-book me Muslim ko sahi rasta dikhaya hai
मेरी जिंदगी का हाल भी यही रहा मेरा जन्म निर्धन परिवार में हुआ फिर में एक वर्ष का ही था कि मेरे पिताजी का। निर्धन हो गया फिर में ननिहाल में रहने लगा वहां मेरे ननिहाल वालो ने कभी भी किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी मेरे को कभी यह नहीं लगा कि ये मे
जिंदगी एक जिंदगी है, जिंदगी को जिंदगी की तरह जियो, ना जिंदगी को अपनी तरह जियो, क्योंकि जीने का नाम ही जिंदगी है, हम हैं तो जिंदगी है, हम नहीं तो कुछ भी नहीं, दिल खोलकर जियो, जीने का नाम ही जिंदगी है।