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महापुरुष

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नेताजी सुभाषचन्द्र बोस महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू की तरह हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के पहली पंक्ति के नेता थे। पर अपने आप को भारत माता पर उत्सर्ग करने की आतुरता में उनकी तुलना शहीद भगत सिंह जैसे वीरों

अटल बिहारी वाजपेयी भारत के राजनैतिक क्षितिज में पिछले कई दशकों से सर्वाधिक चमकता हुआ सितारा थे। अपनी मिलनसार प्रवृत्ति, विलक्षण वाकपटुता, मनमोहक वक्तृत्वकला और असाधारण प्रतिउत्पन्नमति के कारण सारे देश

जीत किसके लिए, हार किसके लिए, ज़िंदगी भर ये तकरार किसके लिए, जो भी आया है वो जायेगा एक दिन, फिर ये इतना अहंकार किसके लिए। आचार्य चाणक्य  

मुश्किल में साथ छोड़ देने वाला चाहे कितना भी अपना क्यों न हो, दिल से उतर ही जाता है!!

आधे दुखः गलत लोगों से उम्मीद रखने से होते हैं, और बाकी आधे सच्चे लोगों पर शक करने से होते हैं !!

1). मित्रता बराबरीवालों से करना ठीक रहता है. सरकारी नोकरी सर्वोत्तम होती है और अच्छे व्यापार के लिए व्यवहार-कुशल होना आवश्यक है| इसी तरह सुंदर व सुशील स्त्री घर में ही शोभा देती है. 2). बुरे चरित्रवा

“जो समय बीत गया, उसे याद कर पछताना बेकार है अगर कोई गलती हुई भी है तो उससे सबक लेकर वर्तमान को श्रेष्ठ बनाने का प्रयास करना चाहिए।” आचार्य चाणक्य

“कोई भी व्यक्ति अपने कार्यो से महान होता है, अपने जन्म से नहीं। उन लोगो से कभी दोस्ती ना करे जो आपके स्तर से बहुत निचे या बहोत उपर हो, इस तरह की दोस्ती आपको कभी ख़ुशी नहीं दे सकती। “एक बार यदि आपने क

“नौकर को बाहर भेजने पर, भाई बंधू को संकट के समय, दोस्तों को विपत्ति में और अपनी स्त्री को धन का नष्ट हो जाने पर ही परखा जा सकता हैं। हंस वही रहते है जहा पानी हो, और वो जगह छोड़ देते है जहा पानी खत्म ह

“जैसे ही भय आपके करीब आये, उसपर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दीजिये। जमा पूंजी ये होने वाले खर्चो में से ही बचायी जाती है वैसे ही जैसे आनेवाल ताजा पानी, निष्क्रिय पानी को बहाकर बचाया जाता है। “भले ही साप ज

“इतिहास गवाह हैं की, जितना नुकसान हमें दुर्जनो की दुर्जनता से नहीं हुआ, उससे ज्यादा सज्जनों की निष्क्रियता से हुआ। शिक्षा इंसान का सबसे अच्छा दोस्त है। एक शिक्षित इंसान हर जगह सम्मान पाता है। शिक्षा

“व्यक्ति अपने गुणों से ऊपर उठता हैं, उच्ये स्थान पर बैठने से नहीं। दुनिया की सबसे बड़ी ताकत युवाशक्ति और महिला की सुंदरता है। “संतुलित दिमाग के बराबर कोई स्टारफिश नहीं और संतोष के सामान दूसरी कोई ख़ुश

“मूर्खों से तारीफ सुनने से बुद्धिमान से डाट सुनना ज्यादा बेहतर हे। जब तक आपका शरीर स्वस्थ रहेंगा तब तक मृत्यु आपके वश में होंगी। लेकिन फिर भी आप आत्मा को बचाने की कोशिश कीजिये, क्योकि जब मृत्यु पास ह

“हर एक दोस्ती के पीछे अपना खुदका का स्वार्थ छिपा होता है। स्वार्थ के बिना कभी कोई दोस्ती नहीं होती। ये एक कटु सत्य है।  आचार्य चाणक्य

“सभी प्रकार के भय में से बदनामी का भय सबसे बड़ा होता हैं। किसने यह सिद्ध किया की सारी ख़ुशी ही इच्छा है? सब कुछ उस भगवान के हातो में है। इसीलिए हम में से हर एक को जो है उसी में संतुष्ट होना चाहिये।

“आलसी मनुष्य का वर्तमान या भविष्य नहीं होता। उदारता, प्रेमदायक भाषण, हिम्मत और अच्छा चरित्र कभी प्राप्त नहीं किया जा सकता, ये सारे जन्मजात गुण ही होते है। आचार्य चाणक्य

महर्षि पाराशर शक्ति मुनि के पुत्र एवम ब्रह्म्रिशी वशिस्ठ के पौत्र थे. आपकी माता का नाम अद्रश्यन्ति था जो की उथ्त्य मुनि की पुत्री थी. मह्रिषी पराशर का जन्म अपने पिता शक्ति की मृत्यु के पश्चात् हुआ

लेखक की कलम बोलती है लेखक तो कम ही बोलते मिलेंगे

मैं कम्प्यूटर पर काम कर रहा था बगल की खिड़की में मेरी किताबें चुनी रहती थीं। उन क़िताबों के बीच में एक छोटी सी चुहिया झाँक रही थी, वो मुझे ही देख रही थी। मैंने हाथ से उसे भगाया तो वह किताबों के बीच में

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विश्वकी सर्वोत्कृष्ट आदि,अनादिऔर प्राचीनतम संस्कृति है भारतीय संस्कृति यह इस भारत भूमि में रहने वाले हरभारतीय केलिए बड़े गौरव का विषय है परंतु ये बड़े दुख का विषय है कि आज इस पावनपवित्र संस्कृति के ऊपर विदेशी संस्कृतियाँ घात लगाए बैठी हैं और इस संस्कृति की निगलनेका कोई मौका

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