जब कोई पास रहता है हमें , सौ कमी
नजर आती हैं ,
नित उभरती हजार अच्छाई भी दृष्टि से फिसल जाती हैं |
पर जब वह दूर बहुत दूर चला जाता है
कहीं हमसे ,
तो याद ही नहीं आता बहुत , आँखें भी डबडबातीं हैं |
20 अक्टूबर 2016
जब कोई पास रहता है हमें , सौ कमी
नजर आती हैं ,
नित उभरती हजार अच्छाई भी दृष्टि से फिसल जाती हैं |
पर जब वह दूर बहुत दूर चला जाता है
कहीं हमसे ,
तो याद ही नहीं आता बहुत , आँखें भी डबडबातीं हैं |
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सेवा निवृत प्रधानाचार्य शिक्षा एम ए-( इतिहास , हिंदी ) जन्म 15अगस्त1942; बुलंदशहर | वर्तमान में बेटे के पास साहिबाबाद में | रुचियाँ - कविताएँ ,कहानियां ,व्यंग्य ,शब्दचित्र , गजल , मुक्तक आदि लिखने मैं बचपन से अभिरूचि | अनेक कवितायेँ गीत लेख कहानियां प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित | एक कविता संग्रह मन की वीथियाँ प्रकाशित व दो कहानी संग्रह लगभग प्रकाशन के लिए तैयार | D