जिन्दगी जब किसी मुश्किल में डगमगाती है ,
कहीं कमी हैं हममें अहसास ये कराती है |
ख्वाब
भले टूटे , पर आदर्श न छोड़ो अपने, ,
आत्मा
हटी तो देह धूल कण कहलाती है |
खुद पर भरोसा हो तो चाहे जो काम करो
डोरी
सहारे की तो अक्सर टूट जाती है |
मुश्किलें बढ़ी तो मौसम को सब ने दोष दिया ,
जिम्मेदारी तो इन्तजामों पर भी आती
है |
झूठी तारीफ से बहकना
तो मंजूर हमें ,
मार्ग -
दर्शन की पर आलोचना न भाती है |
`झूठ`
जब बोले सदा फूल से झरते मुख से ,
सच
को `जबान `क्यों ये हुनर नहीं सिखाती है |