छल की . गर्व की
आयु बहुत छोटी होती है ,
जीते जी ही
जिन्दगी कफन ओढ़ लेती है |
सदभाव की सुगंध
पर कई युग नहीं जाती
मृत्यु के भी बाद बहुत दुनियां
याद करती है |
18 अक्टूबर 2016
छल की . गर्व की
आयु बहुत छोटी होती है ,
जीते जी ही
जिन्दगी कफन ओढ़ लेती है |
सदभाव की सुगंध
पर कई युग नहीं जाती
मृत्यु के भी बाद बहुत दुनियां
याद करती है |
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सेवा निवृत प्रधानाचार्य शिक्षा एम ए-( इतिहास , हिंदी ) जन्म 15अगस्त1942; बुलंदशहर | वर्तमान में बेटे के पास साहिबाबाद में | रुचियाँ - कविताएँ ,कहानियां ,व्यंग्य ,शब्दचित्र , गजल , मुक्तक आदि लिखने मैं बचपन से अभिरूचि | अनेक कवितायेँ गीत लेख कहानियां प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित | एक कविता संग्रह मन की वीथियाँ प्रकाशित व दो कहानी संग्रह लगभग प्रकाशन के लिए तैयार | D