जिस देश में शिक्षक का मन घायल हो ,
उसका
तुम भविष्य अँधेरे में समझो |
शिक्षा तो है आधार जिन्दगी का ,
इससे ही हर व्यक्तित्व निखरता है |
गांधी टैगोर विवेकानंद जैसा ,
मन पावन आदर्शों में ढलता है |
जिस देश में जर्जर , दिशा हीन शिक्षा ,
उस देश को दुःख के घेरे में समझो
ऐ बी सी डी को सम्मानित आसन ,
लेकिन क ख ग हर जगह उपेक्षित हों |
वह देश छुयेगा नील गगन कैसे ,
हर प्रतिभा पक्षपात से बाधित हो |
जो देश स्वार्थ
लिप्सा में बस डूबा ,
उसका प्रभात तुम कोहरे में समझो
छल को तो सारे दुर्लभ सुख सम्भव ,
पर श्रम पल भर मुस्कानों को तरसे |
चेतना भटकती सूनी सड़कों पर ,
वाचालों के घर मधुवन से हर्षे |
जिस देश में ऐसी विषम नीतियाँ हों ,
उसका सद्चरित्र तुम खतरे में समझो |