अंधेरों के दुःख दर्द सूरज से कहते हो तुम
नाव कैसे डूबी लहरों से पूछते हो तुम
छल से जिस मगर ने सब खाई चुरा के मछली
सत कथन की उससे क्या उम्मीद करते हो तुम
जिन्दगी एक दर्द भी है
गीत भी है
जिन्दगी एक हार भी है
जीत भी है
तुम इसे यदि प्यार का
मधुर साज समझो
तो ये सौ खुशियों भरा
संगीत भी है