हर फूल डाल
पर खिलता है बस झरने के लिए
हर दीप रात
भर जलता है बस बुझने के लिए
आत्मा तो
एक मुसाफिर है सराय में तन की
कुछ देर ठहरती
है मंजिल पर पहुचने के लिए
23 मई 2016
हर फूल डाल
पर खिलता है बस झरने के लिए
हर दीप रात
भर जलता है बस बुझने के लिए
आत्मा तो
एक मुसाफिर है सराय में तन की
कुछ देर ठहरती
है मंजिल पर पहुचने के लिए
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सेवा निवृत प्रधानाचार्य शिक्षा एम ए-( इतिहास , हिंदी ) जन्म 15अगस्त1942; बुलंदशहर | वर्तमान में बेटे के पास साहिबाबाद में | रुचियाँ - कविताएँ ,कहानियां ,व्यंग्य ,शब्दचित्र , गजल , मुक्तक आदि लिखने मैं बचपन से अभिरूचि | अनेक कवितायेँ गीत लेख कहानियां प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित | एक कविता संग्रह मन की वीथियाँ प्रकाशित व दो कहानी संग्रह लगभग प्रकाशन के लिए तैयार | D
सकारात्मक सोच के मुक्तक लिखिए जीवन महकने लगेगा।
26 मई 2016
नाम आपका अलोक है लेकिन मुक्तक पढ़ के लगा आपका मन कुछ बुझा बुझा सा है . हमेशा मुस्कुरते रहिए, खुश रहिए.
25 मई 2016