सरसी छंद आधारित मुक्तक.......
मात्रा भार- 27, 16,11 पर यति, समान्त- आज, अपदांत
मुक्तक"
नृपति गए छड़ साज पुराने, राजा रानी राज
स्मृतियों से भरे घराने, वर्णित उनके काज
दिखा रहे हैं झलक पुराने, काल किला परिवार
सिखा रहें हैं ढ़ाल उठाओ, पहने मेरे ताज।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी