“मुक्तक”
कवायत भी होगी सियासत भी होगी।
पर बिन इजाजत क्या हिमायत भी होगी।
बोली और भाषा क्यों बहरी हुई है-
किसको रियायत जब रवायत भी होगी॥-१
मंजूरी मजूरी की बातें भी होंगी।
मजबूरी गरीबी कमी कैसे होगी।
बाढ़ कहाँ आती है दौलत तो देखो-
है ताता थइया क्या होरी भी होगी॥-२
रवायत- सुनाना, हिमायत-मध्यस्तता, रियायत-छूट
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी