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मुस्कानें झूँठी हैं

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यह कविता इस बात को व्यक्त करती है कि कैसे मुस्कानें अक्सर छिपी हुई भावनाओं या गहरी सच्चाइयों को ढक देती हैं। आज का इंसान अंदर से इतना परेशान है लेकिन ऊपर से झूठी मुस्कान का लबादा ओढ़े रहता है, अंदर से

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सरिता एक घरेलू महिला थी ,सरीता के चेहरे पर हमेशा एक मुस्कान होती थी। एक ऐसी मुस्कान, जिसे देखकर कोई भी कह सकता था कि वह दुनिया की सबसे खुशहाल महिला है। लेकिन उसकी मुस्कान का सच सिर्फ वही जानती थी। सरी

मुस्कानें झूठी हैंमुस्कानें झूठी हैं, चेहरों पर सजी,दिल के भीतर छुपी सच्चाई की गली।हंसी में घुली हैं कुछ दर्द की लकीरें,जिन्हें दिखाना नहीं, छुपाना ही सही।आंखों में सपने हैं, पर धुंधले से लगे,दिल की ब

मुस्कुराउं भी अगर! तो भीग जाती है नज़र ! अपनी किस्मत ही कुछ ऐसी थी की दिल टूट गया वह तेरे प्यार का गम एक बहाना था सनम।🫡😜 जी नहीं गलत समझा आपने ! 😠 यह गाना बिल्कुल मुझ पर सूट नहीं करता क्योंकि जब मै

मुस्कान कैसी भिन्न भिन्न होती।कभी मीठी मुस्कान छा जाती।।चेहरे का नूर गहरा असर दिखाए।देख मां अपने बच्चे पर मुस्काए।।कभी मन खिन्न खिन्न सा होता।किन्तु फीकी मुस्कान बिखेरता।।दुःखी मन संतप्त कोशिश हरता।दर

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