
टिफिन घर से लेकर आना पड़ता था
उस कयामत की रात को बीते हुए 9 महीने हो गए हैं. ट्रोल्स कहते हैं कि बच्चा पैदा होने में भी नौ महीने लेता है. थोड़ा वक्त दो. विकास होगा. 8 नवंबर की रात 8 बजे मोदी जी ने कहा था 50 दिन दो. सब सुधर जाएगा. लेकिन हुआ क्या? 99% नोट वापस आ गए. रिजर्व बैंक तक औकात में आ गया. अब लोग मुंह चिढ़ा रहे हैं कि क्या फायदा हुआ नोटबंदी से. सरकार पर भरोसा रखने वालों से निवेदन है कि वो पैनिक न हों. चिदंबरम खुदंबरम की बकैती का बुरा मानने की जरूरत नहीं है. हम आपको नोटबंदी के वो फायदे बताते हैं जो सरकार या अरुण जेटली को भी नहीं पता हैं.
1. सरकारी कर्मचारियों को हनक के काम मिला
आपने अब तक सरकारी कर्मचारियों को सिर्फ मौज काटते देखा होगा. खास तौर से बैंक वालों को. उनका काम बस कस्टमर को दूसरे काउंटर पर भेजना और लंच करना रहता है. लेकिन नोटबंदी के दौरान वो कई कई दिनों तक घर नहीं गए. आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल तक को काम पर लगाए रखा. वो 9 महीने तक नोट गिनते रहे. आलस की ऐसी तैसी कर दी नोटबंदी ने.
2. नारीवाद को प्रोत्साहन मिला
मुझसे पूछो क्या सुना है, कुछ नहीं
महिलाओं को न तो बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ से फायदा मिलेगा. न तो उनको पानी पुरी के ठेले पर आरक्षण दिलाने से. उनको सही पहचान तब मिलेगी जब देश क बड़े फैसलों में उन्हें शामिल किया जाए. नोटबंदी जैसा बड़ा फैसला. मोदी जी चाहते तो नोटबंदा भी कर सकते थे, लेकिन उन्होंने नोटबंदी की.
3. अर्थशास्त्र का लेवल बढ़ाया
चाणक्य से चिदंबरम तक बड़े अर्थशास्त्री हुए हैं. मनमोहन सिंह भी इकनामिक्स के छात्र और टीचर थे. लेकिन इन लोगों ने कभी नोटबंदी नहीं की. क्योंकि इनके पास कोई विजन ही नहीं था. नोटबंदी में 16 हजार करोड़ के नोट वापस आए जो कि बंद हुए टोटल नोटों का 99 परसेंट थे. नए नोटों की छपाई में लगे 21 हजार करोड़ रुपए. ये पांच हजार करोड़ का जो ‘फायदा’ हुआ है उसे समझने के लिए खोपड़ी में दिमाग चाहिए.
4. स्कूल/ऑफिस न आने के बहाने सिखाए
स्कूल/ऑफिस न जाना हो तो झूठ पर झूठ बोलने पड़ता है. जैसे कहो कि पेट दर्द था. तो सवाल आएगा “कौन सा पेट दर्द? चिलकन, मरोड़, कोचन, ऐंठन आखिर कौन सा?” फिर आप दर्द का प्रकार बताकर आगे के सवालों का जवाब देंगे. लेकिन लोग अक्सर कहीं न कहीं पकड़ जाते थे. मोदी जी ने सिखाया कि एक के बाद एक बहाना कैसे पेश करना है कि कोई असल बात पकड़ न सके. नोटबंदी का कारण बताने में उन्होंने पिरामिड बना दिया.
काला धन
नकली नोट
कैशलेस इकॉनमी
आतंक की कमर का ऑपरेशन
5. ठंड पार करने में मदद मिली
हर साल सर्दियों में तमाम मौतें होती हैं. उनका जिम्मेदार सर्दी को ही ठहराया जाता है. लेकिन इस बार सर्दियों की वजह से मौतें कम हुईं. क्योंकि पब्लिक एटीएम और बैंकों के सामने लाइनों में सटकर खड़ी थी. जिसकी वजह से सर्दी नहीं लगती थी. जो लोग मरे वो नोटबंदी की वजह से मरे, सर्दी की वजह से नहीं. तो ये एक तरह से फायदा ही हुआ.
जाते जाते नोटबंदी पर वरुण ग्रोवर की कॉमेडी देखिए. इस आदमी ने भविष्यवाणी कर दी थी.
साभार : The Lallantop