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पौराणिक

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प्रश्न.1.श्री कृष्ण के धनुष का क्या नाम था?उत्तर - शारंगप्रश्न.2. अर्जुन के धनुष का क्या नाम है?उत्तर- गांडीवप्रश्न.3. शिव के धनुष का क्या नाम था?उत्तर- पिनाकप्रश्न.4. राम का नामकरण किस ऋषि ने किया था

भगवान परशुराम जन्मोत्सव हिन्दू पंचांग के वैशाख माह की शुक्ल पक्ष अक्षय तृतीया को परशुराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन दिये गए पुण्य का प्रभाव कभी खत्म नहीं होता। अक्षय

महर्षि पाराशर शक्ति मुनि के पुत्र एवम ब्रह्म्रिशी वशिस्ठ के पौत्र थे. आपकी माता का नाम अद्रश्यन्ति था जो की उथ्त्य मुनि की पुत्री थी. मह्रिषी पराशर का जन्म अपने पिता शक्ति की मृत्यु के पश्चात् हुआ

बहुत समय की बात है, एक बहुत ही भयंकर असुरों का राजा था – गजमुख। वह बहुत ही शक्तिशाली बनना और धन चाहता था। वह साथ ही सभी देवी-देवताओं को अपने वश में करना चाहता था इसलिए हमेशा भगवान् शिव से वरदान के लिए

जिस प्रकार हिन्दू संस्कृति के चार वेद हैं, चार वर्ण हैं, चार दिशाएं हैं, ठीक उसी प्रकार चार धाम हैं। भारत की पवित्र भूमि में पूर्व में जगन्नाथ पुरी, पश्चिम में द्वारका पुरी, दक्षिण में रामेश्वरम् और उ

 महाभारत में एक प्रसंग आता है जब राजा धृतराष्ट्र महात्मा विदुर से मनुष्य की आयु कम होने का कारण पूछते हैं। तब विदुर मनुष्य की आयु कम करने वाले 6 दोषों के बारे में धृतराष्ट्र को बताते हैं। महाभारत

1. जिसके घर में कुत्ता होता है उसके यहाँ देवता हविष्य (भोजन) ग्रहण नहीं करते ।2. यदि कुत्ता घर में हो और किसी का देहांत हो जाए तो देवताओं तक पहुँचने वाली वस्तुएं देवता स्वीकार नहीं करते, अत: यह मुक्ति

अक्षय तृतीया पौराणिक महात्म्य एवं शीघ्र विवाह और धन प्राप्ति के लिए शुभ उपायहिन्दुओ के प्रमुख त्योहार में से एक अक्षय तृतीया वैशाख शुक्ल तृतीया  के दिन मनाई जाएगी जानिए इस दिन विशेष की कुछ महत्वप

        कृतजुग त्रेताँ द्वापर पूजा मख अरु जोग।जो गति होइ सो कलि हरि नाम ते पावहिं लोग॥भावार्थ:-सत्ययुग, त्रेता और द्वापर में जो गति पूजा, यज्ञ और योग से प्राप्त होती है, वही गति कल

बहुत पुराने समय की बात है।  एक गाँव में एक भाट-भाटनी रहते थे। भाट सुबह-सुबह खेतों में काम करने निकल जाता तो  भाटनी उसके लिए खाना पकाकर ले जाती और फिर दोनों मिलकर वहीं साथ बैठकर खाते। दोनों हमेशा खुश र

नारी तुम श्रद्धा हो, आस्था हो, गरिमा हो, लक्ष्मी हो, तुम्हीं साहित्य, संगीत और कला की देवी सरस्वती हो, उत्तुंग शिखर पर बिखरी स्वर्णमयी आभा हो। तुम्हीं पुरुष के पौरूष का संचालन करने वाली तेजपुंज हो, प्

भगवान शिव को देवों के देव का कहा जाता है. महादेव का एक रूप ताडंव करते नटराज का है तो दूसरा रूप महान महायोगी का है. ये दोनों ही रूप रहस्‍यों से भरे हैं, लेकिन शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है. जहां एक साथ

रात्रि के अंतिम प्रहर को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। हमारे ऋषि मुनियों ने इस मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। उनके अनुसार यह समय निद्रा त्याग के लिए सर्वोत्तम है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल

महाभारत को हम सही मायने में विश्व का प्रथम विश्वयुद्ध कह सकते हैं क्योंकि शायद ही कोई ऐसा राज्य था जिसने इस युद्ध में भाग नहीं लिया।आर्यावर्त के समस्त राजा या तो कौरव अथवा पांडव के पक्ष में खड़े दिख रह

‘मटकी में घनीभूत नाद शक्ति द्वारा प्रक्षेपित नाद तरंगों के स्त्रोत के कारण, मृतदेह के आस पास निर्मित रज-तमात्मक तरंगों का निरंतर उच्चाटन होता है । इस कारण अनिष्ट शक्तियों के आक्रमण से मृत देह का निरंत

मनुष्य की मृत्यु के बाद वो आत्मा क्यों सपनों में आती है और भविष्य में होने वाली बुरी घटनाओं की जानकारी क्यों देती है ? क्या है इसका वायो वैज्ञानिक रहस्य ?हमारे ऋषियों के अनुसार 7 लोक , 7 ग्र

जयपुर के आराध्य गोविन्द देवजी का विग्रह (प्रतिमा) भगवान श्रीकृष्ण का साक्षात स्वरुप है। पौराणिक इतिहास, किवदंतियों और कथाओं की मानें तो यह कहा जाता है कि श्रीगोविन्द का विग्रह हूबहू भगवान श्रीकृष्ण के

एक वृद्ध संत ने अपनी अंतिम घड़ी नज़दीक देख अपने बच्चों को अपने पास बुलाया और कहा- मैं तुम बच्चों को चार कीमती रत्न दे रहा हूँ, मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम इन्हें सम्भाल कर रखोगे और पूरी ज़िन्दगी इनकी सह

कहते हैः- जैसे तिल में तेल समाया रहता है,                   वैसे ही इस जड़ शरीर में चैतन्य का वास है।चैतन्य की शक्ति से ही ये जड़ शरीर,हिलता-डुलता, चलता

श्री गणेश पूजा अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण व कल्याणकारी है। चाहे वह किसी कार्य की सफलता के लिए हो या फिर चाहे किसी कामनापूर्ति स्त्री, पुत्र, पौत्र, धन, समृद्धि के लिए या फिर अचानक ही किसी संकट मे

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