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पौराणिक

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अनुभव करो कि समस्‍त आकाश तुम्‍हारे आनंद-शरीर से भर गया है।            सात शरीर होते है। आनंद-शरीर तुम्‍हारी आत्‍मा के चारों और है। इसलिए तो जैसे-जैसे तुम भीतर जाते हो तुम

दक्षिण के जंगलों में सांग्रीला नाम का एक कबीला था जिसमें भील जाति के शिकारी लोग रहते थे । इस कबीले का सरदार नाग नाम का भील था जो अपने नाम के अनुसार खूंखार और शक्तिशाली था । धनुर्विद्या में प्रवीण नाग

गरुड़ पुराण शिक्षा: गरुड़ पुराण में कई ऐसी बातें बताई गई हैं , जो किसी को भी जीवन में सफलता दिला सकती है । गरुड़ पुराण के एक शलोक के अनुसार, जिस किसी को भी अपने जीवन में उन्नति की इच्छा हों, उन्हें इन

एक जंगल में एक गर्भवती हिरनी बच्चे को जन्म देने वाली  थी। वह एकांत जगह की तलाश में घूम रही थी...कि उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखाई दी। उसे वह स्थान शिशु को जन्म देने के लिए उपयुक्त लगा।    उस स्

  सत्यम, शिवम और सुंदरम के बारे में सभी ने सुना और पढ़ा होगा लेकिन अधिकतर लोग इसका अर्थ या इसका भावार्थ नहीं जानते होंगे। वे सत्य का अर्थ ईश्वर, शिवम का अर्थ भगवान शिव से और सुंदरम का अर्थ क

सनातन धर्म में “कण-कण में भगवान” का सुंदर भाव हृदय को सदैव से आनंदित करता रहा है। शास्त्र और संतों के अनुसार इस जगत में जो कुछ भी चराचर रूप देख पा रहे हैं उसकी उत्पत्ति, प्रकृति रूपी माँ ‘योगमाया’ की

कैसे हुआ बालि और सुग्रीव का जन्म तथा कैसे पड़ा ऋष्यमूक पर्वत का नामआपको दो पौराणिक घटनाओं के बारे में बताएंगे-बालि और सुग्रीव का जन्म कैसे हुआ?ऋष्यमूक पर्वत का नाम कैसे पड़ा?1. ऋष्यमूक पर्वत का नाम कैसे

भरी दोपहर मे भद्र ने अग्नि जलाया। आग की लप्टे जिस दिशा मे अपनी लाल जिभा दिखा रही थी वहां भद्र चल पड़ा। ये कठिन काम सिर्फ भद्र ही कर सकता था इसलिए कबीले वालों ने उसका चुनाव किया सारा कबीला गैर आर्

हिन्दू संस्कारसोलह सोमवार व्रत विशेष रूप से विवाहित जीवन में परेशानियों का सामना करने वाले लोगों के लिए है। यह व्रत अच्छे एवं मनोवांछित जीवन साथी को पाने के लिए भी किया जाता है। सोलह सोमवार व्रत का प्

यह व्रत वैशाख कृष्ण पक्ष की एकादशी को किया जाता है। हिन्दू धर्म में इस पुण्य व्रत को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इस वर्ष  के दिन वरूथिनी एकादशी व्रत किया जाएगा। एकादशी व्रत पारण वरु

त्रिलोकी में यदि श्रीराम का कोई सबसे बड़ा भक्त या उपासक है तो वे हैं भगवान शिव जो ‘राम-नाम’ महामन्त्र का निरन्तर जप करते रहते हैं । भगवान शिव ने प्रभु श्रीराम की सौ नामों का द्वारा स्तुति की है, जिसे

शास्त्र में कहा है-'पापकर्मेति दशधा।' अर्थात् पाप कर्म दस प्रकार के होते हैं। हिंसा (हत्या), स्तेय (चोरी), व्यभिचार-ये शरीर से किए जाने वाले पाप हैं। झूठ बोलना (अनृत), कठोर वचन कहना ( परुष) और चुगली क

जिसने भी इस पृथ्वी जन्म लिया और ईश्वर में विश्वास करता है तो वह ईश्वर की भक्ति अवश्य करता है। पृथ्वी पर जन्म लेने वाले ज्यादातर लोग भगवान में आस्था रखते हैं और उनकी भक्ति करते हैं, परंतु हर मनुष्य का

आकर चारि लच्छ चौरासी। जोनि भ्रमत यह जिव अबिनासी॥कबहुँक करि करुना नर देही। देत ईस बिनु हेतु सनेही॥भावार्थ:- यह अविनाशी जीव अण्डज, स्वेदज, जरायुज और उद्भिज्ज चार खानों और चौरासी लाख योनियों में चक्कर लग

 तात्पर्य-वास्तव में राम अनादि ब्रह्म ही हैं। अनेका नेक संतों ने निर्गुण राम को अपने आराध्य रूप में प्रतिष्ठित किया है। राम नाम के इस अत्यंत प्रभावी एवं विलक्षण दिव्य बीज मंत्र को सगुणोपासक मनुष

भगवान् श्रीनारायण की अर्धांगिनी श्रीलक्ष्मीजी और चंद्रमा दोनों की उत्पत्ति समुद्र से होने के कारण हम लक्ष्मीजी को माँ कहते हैं और उनके भाई चंद्रमा को मामा।किंतु यदि आप सीताजी को माँ कहते हैं, तो आज

ब्रह्मा, विष्णु और महेश का पिता कौनस्त्रोत - शिवपुराणब्रह्मा, विष्णु और महेश के संबंध में हिन्दू मानस पटल पर भ्रम की स्थिति है। वे उनको ही सर्वोत्तम और स्वयंभू मानते हैं, लेकिन क्या यह सच है? क्य

क्यों भगवान मूर्ति में उपस्थित हो जाते हैं और पत्थर की मूर्ति भगवान बन जाती है ? भगवान के अर्चावतार से सम्बधित एक भक्ति कथा ।किसी नए काम को शुरू करने से पहले या किसी स्थान पर जाने से पहले यह कहा जाता

भारतीय संस्कृति में पुष्प का उच्च स्थान है। देवी-देवताओं और भगवान् पर आरती, व्रत, उपवास या पर्वो पर पुष्प चढ़ाए जाते हैं। धार्मिक अनुष्ठान, संस्कार, सामाजिक व पारिवारिक कार्यों को बिना पुष्प अधूरा समझ

 त्रियाचरित्रम्" अर्थात तीन प्रकार के चरित्र 1.सात्विक, 2. राजसिक ,  3.तामसिक ब्रह्माण्ड का सञ्चालन सुचारु रूप से चलाने के लिये उन्होंने तीन प्राकृतिक गुणों की रचना की जो

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