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चलो थोड़ा घूमने चलें -दिनेश डॉक्टर

9 जनवरी 2020

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featured imageउन्नीस बरस पहले अक्टूबर 1998 में यही वक्त रहा होगा जब उस दिन फिलिप मुझे पेरिस में गार द ईस्ट स्टेशन पर सुबह सुबह छोड़ने आया था । तब भी मैं पेरिस से फ्रेंकफर्ट जाने वाली ट्रेन पकड़ रहा था । एक दूसरे से बतियाते हम बातों में इतने मशगूल हो गए कि ट्रेन के ऑटोमेटिक दरवाजे लॉक हो गए और ट्रेन चलने लगी । फिलिप एकदम घबरा गया क्योंकि अगला स्टेशन दो घंटे बाद जर्मनी के बॉर्डर स्ट्रासबर्ग में था और फिलिप के पास न पासपोर्ट था और न ही कोई आई डी प्रूफ । तब तक यूरोपीय यूनियन और शेनजेन देशो के बीच कोई करार भी नही था जैसा आज है । मैं भी एकदम घबरा गया । ट्रेन रफ्तार पकड़ने लगी थी । मैं बदहवासी में दरवाजा खोलने वाला बटन बार बार पुश कर रहा था कि पता नही कैसे दरवाजा खुल गया और फिलिप गाड़ी से नीचे कूद गया । बैलेंस बिगड़ कर गिरते गिरते बचा पर सँभल गया । दरवाजा फिर अपने आप बन्द होकर लॉक हो गया । जैसे ही ट्रेन चली मुझे वो सारी घटना वैसी की वैसी याद हो आयी । तब यही सफर छह घंटे में पूरा होता था लेकिन आज चार घंटे में ही उससे बहुत ज्यादा आरामदायक ट्रेन में साढ़े पांच सौ किलोमीटर का रास्ता बड़ी आसानी से कट जाता है । मुझे ट्रेन की यात्रा बहुत पसंद है । खास तौर पर यूरोप में तो ट्रेन में सफर करना खासा रूमानी अनुभव है । हरे भरे खेत खलिहान, आंखों को सुहाने वाली मीलों तक फैली हरी घास, खूबसूरत नदियां और पहाड़, तरतीब से बसे पुराने गांव और छोटे छोटे कस्बों के आकर्षक गिरजाघर देखते देखते मन ही नही भरता । ट्रेन तेज रफ्तार से भागी चली जा रही है । सुबह सात बजे चली थी । स्ट्रासबर्ग बस आने ही वाला है । अभी ट्रेन की पेंट्री कार से चाय लेकर आया हूँ और धीरे धीरे ठेठ हिंदुस्तानी अंदाज में सुड़क रहा हूँ । सामने की सीटों पर दो कम उम्र की खूबसूरत लड़कियां अपने अपने स्मार्ट फोन्स में खोई हुई हैं । एक नए कान में ईयर प्लग्स लगा रक्खे हैं शायद कोई फिल्म देखने में मशगूल है । दूसरी शायद कोई वीडियो गेम खेल रही है। अभी अभी ट्रेन एक लंबी टनल से गुजरी तो मेरे कान थोड़ी देर को बंद हो गए । तेज़ रफ़्तार से ट्रेन जैसे ही किसी सुरंग से गुजरती है तो पता नही कान क्यों बन्द हो जाते हैं । पहले ट्रेन यात्रा के दौरान यात्रीगण एक दूसरे से बात कर लेते थे । परस्पर एक दूसरे के शहर समाज और परिवार की सूचनाओ को बांट कर रास्ता भी कट जाता था और ज्ञान वर्धन भी हो जाता था । सहयात्रियों के बीच कभी कभी तो बड़ी प्रगाढ़ मित्रता भी हो जाया करती थी और यात्रा के बाद कई बार तो खतो ख़ितावत का सिलसिला भी शुरू हो जाया करता था । वार्तालाप की शुरुआत अक्सर ऐसे होती थी "और भाई साहब कहाँ तक जा रहे हो ? अच्छा सहारनपुर जा रहे हो ! अरे वहां तो मेरी बुआ की लड़की ब्याही है । आप कौन से मोहल्ले में रहते हो जी वहां ?" और जनाब बातचीत शुरू । फिर कुछ राजनीति का तड़का तो कुछ बदलते ज़माने का ज़िक्र । कुछ लड़के लड़कियों के बेशर्म फैशन के चर्चे तो कुछ बढ़ती महंगाई और 'हमारे जमाने में घी रुपये का सेर था' की ठंडी सांस के साथ पुरानी यादें ताज़ा करने दिलचस्पी । और बात बात में रास्ता खत्म । "अच्छा जी भाई साहब हमारा स्टेशन तो आ गया । कभी सहारनपुर आना हो तो मिलना ज़रूर जी । अब ये मानना कि आपका अपना घर है यहाँ " ! और फिर ऐसे ही किसी दूसरे तीसरे यात्री से चर्चा परिचय । और अगर ट्रेन लंबी दूरी की हो यानी कि बम्बई, लखनऊ या कलकत्ते जाने वाली तो फिर तो कहने ही क्या । इधर खाने का पैकेट खुला तो उधर देसी घी की पूरियों और अचार की सौंधी सौंधी महक पूरे कंपार्टमेंट में तैरती हुए हर नथूने में घुस कर मुंह में लार पैदा कर ही देती थी । "आओ भाई साहब आ जाओ आप भी खाओ , फिकर ना करो खाना बहुत है हमारे पास, अजी या तो भगवान की नेमत है जी " से चर्चा शुरू होकर कैसे कैसे रिश्ते बन जाते थे । लोग बीच बीच में सिगरेटें भी सुलगाते थे और कुल्हड़ों में चाय भी सुड़कते थे । किसी स्टेशन का समोसा मशहूर था तो किसी संडीले का लड्डू । कहीं गोधरा की चाय के इंतज़ार में यात्री हुलकते थे तो किसी स्टेशन पर झाल वाले सरसों के तेल की झाल मुड़ी नाक और आंखों में पानी टपकाती थी । कहीं मूंगफली के साथ हरी मिर्च और नमक की पुड़िया मिलती थी तो कहीं हरे हरे पत्तों पर पकोड़ियां या पूरियां । पिछली बार जब मैंने अपने ही देश में ट्रेन यात्रा की तो नज़ारा एकदम अलग था । हालांकि ट्रेन तथाकथित सभ्रांत शताब्दी एक्सप्रेस थी तो भी ज्यादातर यात्री ऊंची ऊंची आवाज में बड़े भद्दे तरीके से मोबाइल फोन पर बेवजह फालतू की बातें कर रहे थे । मुझे लगा कि बाते कम हो रही थी दूसरे सहयात्रियों को जताया ज्यादा रहा था कि हम बहुत ऊंचे पद पर हैं या बहुत पैसे वाले हैं । पूरिया पराठे और अचार की खुशबू गायब थी । लोग बर्गर कटलेट सेन्डविच और चिप्स खा रहे थे और पेप्सी पी रहे थे । ज्यादातर यात्री सहयात्रियों को पूरी तरह नज़रअंदाज कर खुद ही में खोए हुए थे । एकाध यात्री अखबार भी पढ़ रहा था । परिवार के साथ यात्रा करने वाले यात्रियों का भी यही हाल था । परिवार के सब सदस्य छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक अपने अपने फ़ोनों में ही घुसे हुए थे । आपस में बात थी तो सिर्फ इतनी, अरे तूने ये खा लिया, पापा मैं आपकी पेप्सी पीलूँ , अरे चिप्स का नया पैकेट खोल लो , घर में कोई फोन नही उठा रहा , वगैरा वगैरा । इसी बीच दो स्टेशन आकर निकल चुके हैं । मेरे सामने वाली दोनों लड़कियां पिछले वाले स्टेशन कार्ल्सह्यू में उतर गई थी । अब न कोई बगल में है और न ही सामने वाली सीटों पर । फ्रेंकफर्ट का रास्ता अभी एक घंटे का बचा है । ट्रेन की रफ्तार धीरे धीरे कम हो रही है । अगला स्टेशन मानहाइम आने ही वाला है।

दिनेश डॉक्टर की अन्य किताबें

दिल्ली

दिल्ली

बहुत सुन्दर. .. बातों ही बातों में एक पूरे युग की यात्रा का पूरा विवरण बयान कर दिया. .. बहुत सुन्दर. ..

10 जनवरी 2020

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आप ग़लत मैं सही

7 दिसम्बर 2019
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आप ग़लत मैं सही दिनेश डॉक्टर हर आदमी की अपनी धार्मिक और राजनीतिक विचारधाराहै । कोई कट्टर मुसलमान है तो कोई कट्टर हिन्दू , सिख या क्रिश्चियन । कोई नास्तिक है तो कोई आस्तिक ।

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गोली मार भेजे में गर भेजा वहशत करता है

8 दिसम्बर 2019
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गलीज़ और घिनौने हिजड़े ( किन्नर समाज के लोग नही) टाइप के नपुंसक लोग ही, जिनका न कोई व्यक्तित्व होता है और न ही जिनकी रीढ़ की हड्डी होती है, बलात्कार जैसे घृणित अपराध में प्रवृत्त होते है । ये स्साले गंदी नाली के ऐसे लिजलिजे कीड़े है जिनको जितनी भी सजा दो, कम है । ऐसे हरामियों की सज़ा सरेआम होनी चाहिए ।

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डंडा लेकर बैठिए मगर...

9 दिसम्बर 2019
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अपने मन के भावों को पकड़े और उन्हें कागज पर लिखें । परवाह न करें कि वो अच्छे हैं या बुरे । अच्छे बुरे भाव सबके मन में ही चलते है । अपने मन के द्वार पर एक डंडा लेकर बैठ जाइये। जैसे ही कोई बुरा विचार अंदर प्रवेश करने की कोशिश करे, उसे डंडा मार कर बाहर ही भगा दो । जब कोई बुरा विचार अंदर प्रवेश कर जाता ह

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कमीनों की यारी

10 दिसम्बर 2019
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वैसे तो हर इंसान में ही थोड़ा बहुत कमीनापन होता है पर जहां समझदार उस पर अंकुश लगाकर छिपा कर रखते है, बेवकूफों का जग ज़ाहिर हो जाता है । एक बात मैं आपको बताऊँ तो हो सकता है आप को अजीब लगे । कमीनापन इतनी बुरी भी चीज़ नही है जिससे डरा जाए । और कमीनों की यारी तो आपको इतना कुछ सिखा सकती है, जिसे आपने किसी स

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सेल्फियों की दुनियां

11 दिसम्बर 2019
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सेल्फियों का देशआज सुबह एक मित्र का मेसेज आया कि मैं जहां जहां घूम रहा हूँ , वहां के दृश्यों की अपने साथ सेल्फी लेकर पोस्ट क्यों नही कर रहा हूँ । क्यों सिर्फ कुदरत के नज़ारों को ही शूट करके शेयर कर रहा हूँ । दरअसल उनके लिखने की मंशा ये थी कि 'तुम किसी दूसरे के फोटो चुरा कर हमें इम्प्रेस कर रहे हो कि

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उम्मीद यानि डूबते को तिनके का सहारा - दिनेश डॉक्टर

12 दिसम्बर 2019
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अगर आपकी नीयत ठीक है और किसी के भले के लिए कर रहे है तो लोगों को उम्मीदें बांटे, भले ही झूठी ही क्यों न हो । कई बार झूठा दिलासा भी बहुत काम कर जाता है । ज़रूरी नही कि आप मुझसे सहमत हों । आपकी अपनी वज़हें हो सकती है मुझसे इत्तेफ़ाक़ न रखने के लिए । आप कह सकते है कि यार किसी को अंधेरे में क्यों रखना - जो

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महानगर का तपस्वी - दिनेश डॉक्टर

13 दिसम्बर 2019
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प्रोपर्टियों के रेट गिरने के बाद से वर्मा का हौसला काफी हिला हुआ था और कल शाम जब मैंने उसे कहा कि अब प्रॉपर्टीयों की कीमतें और भी गिरेंगी तो पहली बार उसकी आँखों में मैंने घोर उदासी और टूटन देखी । सामने वाली सोसायटी में वर्मा का एक दो बेड रूम वाला फ्लेट उसकी एक मात्र संपत्ति और सहारा बचा है । एक वक्त

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जो तूने उखाड़ना है उखाड़ ले !!! ,- दिनेश डॉक्टर

13 दिसम्बर 2019
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जब भी हमारे किसी विचार, कृत्य या कथन से हमारे परिवार, मित्र समुदाय या दूसरे परिचितों को किसी भी रूप में कष्ट होता है तो कहीं न कही हम कुछ ठीक नही कर रहे । इस स्थिति को हम यह कह कर नही टाल सकते कि "जो किसी ने उखाड़ना है उखाड़ ले मेरी मर्जी है मैं जो भी करूँ - इतनी बड़ी दुनिया है , इतने सारे लोग हैं -किस

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चाय पकौड़े और मन की बात - दिनेश डॉक्टर

15 दिसम्बर 2019
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जैसे जैसे बाकी मुल्क की तरह देश की राजधानी दिल्ली में भी इलेक्शन पास आते जा रहे हैं , वैसे वैसे एक के बाद एक मुफ्तखोरों के लिए पिटारे खुलते जा रहे हैं । बिजली फ्री, पानी फ्री, महिलाओं के लिए बस यात्रा फ्री, साठ से ऊपर वालों के लिए तीर्थ यात्रा फ्री, और तो और वाई फाई डेटा भी फ्री । अभी तो इलेक्शन में

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मुर्दा दिलों का जीना भी कोई जीना है - दिनेश डॉक्टर

15 दिसम्बर 2019
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ऐसा हो ही नही सकता कि आप की ज़िंदगी में कोई जिंदादिल इंसान न आया हो । जिस तरह पेड़ ऑक्सीजन देकर इस पृथ्वी ग्रह पर जीवन की रक्षा करते है, वैसे ही जिंदादिल इंसान अपने ठहाकों से इंसानियत को जिंदा रखते है । ये खुद भले ही परेशान रहते हों पर अपने आस पास के माहौल को खुश रखते है । महफ़िल में ये जहां भी हो, ठहा

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यार सुनो ! तुम जैसे हो ठीक हो !! दिनेश डॉक्टर

16 दिसम्बर 2019
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एक गधे और दो भाइयों की एक पुरानी कहानी है । आपने भी ज़रूर सुनी होगी । दो भाई एक गधे पर बैठ कर गांव से शहर की तरफ चल पड़े । लोगों ने ताना दिया की देखों सालों को शर्म नही आती । दो दो मुस्टंडे एक गरीब से गधे पर बैठे है । छोटा भाई पैदल चला तो फिर ताना सुना कि देखो साले बड़े भाई को शर्म नही आती खुद गधे पर

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फण्डा पाप और पुण्य का - दिनेश डॉक्टर

18 दिसम्बर 2019
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कई बरस पहले की बात है मैं दिल्ली से लंदन की फ्लाइट पर था । मैं जाकर बैठा ही था कि साथ वाली सीट पर सुप्रसिद्ध और जाने माने गायक श्री अनूप जलोटा जी आकर बैठ गए । इनके गाये भजन सुबह शाम हर घर में खूब बजते हैं । सेलिब्रिटीज़ को हर जगह लोगों की अटेंशन और इज़्ज़त खूब मिलती है। मैनें भी प्रणाम किया तो उन्होंन

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वधू की खुद्दारी का वध करने की सोचना भी मत - दिनेश डॉक्टर

19 दिसम्बर 2019
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अक्सर ही यह सुनने को मिलता है कि 'हम बहू को बेटी बनाकर रक्खेंगे' । फिर कुछ दिन बाद क्लेश शुरू हो जाता है । एक दूसरे के लिए शिकायतों के अम्बार भी लग जाते है । साल दो साल होते होते स्थिति इतनी कटु हो जाती है कि कुछ अपवादों को छोड़ दें तो बेटी बनी बहू बेटे के साथ दूसरा घर बसा लेती है ।दरअसल हम मध्यमवर्ग

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हमारे पड़ोसी नीरू भाई लंठानी के लौंडे - दिनेश डॉक्टर

20 दिसम्बर 2019
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मेरे और मेरे जैसे बहुत सारे घोंचूओ के अम्बानी, अडानी, अदनानी न बन कर छोटे से फ्लेट के दड़बे में जिंदगी गुज़ार देने के पीछे हमारे पिता, दादा, परदादा, सगड दादा वगैरा की एक निहायत ही दकियानूसी सोच है। 'बस बेटा किसी से न कभी कर्ज़ लेना और न कभी किसी के आगे हाथ फैलाना' । और भी ज्ञान दिया गया - 'कर्ज़ लेने वा

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कुर्सी

21 दिसम्बर 2019
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मुझे पता है उसने मुझे देख लिया था पर फोन की स्क्रीन पर आंख जमाये शो ऐसे किया जैसे मै कमरे में हूँ ही नही । फिर खिड़की की तरफ देखते हुए फोन कान पर लगा कर उसने बात करनी शुरू कर दी ऐसा दिखा कर जैसे कोई बहुत ज़रूरी काल है । दरअसल दूसरी तरफ लाइन पर कोई था ही नही बावजूद इसके कि उसने हैलो हैलो बोलकर बातचीत ऐ

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काश दिमागों की हार्ड डिस्क फॉर्मेट हो सकती - दिनेश डॉक्टर

22 दिसम्बर 2019
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वैसे तो पॉलिटिक्स और पोलिटिकली सेंसिटिव मुद्दों पर मैं कुछ कहने से बचता हूँ क्योंकि आजकल हाल ये है कि मुंह खोलते ही कोई न कोई लेबल चस्पा कर दिया जाता है । पर आज ज़रूर कुछ कहने का मन है। मेरे एक तरफ 'ये' है और एक तरफ 'वो' । दोनों ही मेरे अपने प्रिय हैं । आप इन 'ये' और 'वो' का मतलब आसानी से निकाल सकते

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राजनेता उतने ही सच्चे है जितनी खुद को वर्जिन बताने वाली वेश्याएँ - दिनेश डॉक्टर

24 दिसम्बर 2019
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एक आध प्रतिशत अपवाद को छोड़ दें तो दुनिया भर के सियासतदां लोग, झूठ,सफेद झूठ, काला झूठ, हरा झूठ यानि के हर रंग का झूठ रोज़ रोज़ बार बार और लगातार हर जगह और हर वक़्त बोलते है । उस पर खुद ही विश्वास भी करने लगते है और फिर दूसरों को भी विश्वास दिलाने लगते है । किसी विद्वान ने कहा था कि एक झूठ सौ बार बोलने स

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हानि लाभ, जन्म मृत्यु, मान अपमान , बीमारी दुर्घटना को किसी ग्रहण से मत जोड़ें - दिनेश डॉक्टर

26 दिसम्बर 2019
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ग्रहण को लेकर जितने वहम हिंदुस्तानियों ने - वो भी खास तौर पर हिंदुओं ने पाल रक्खे है उनका मुकाबला दुनिया भर में नही । ग्रहण सीधे सीधे एक एस्ट्रोनॉमिकल या खगोलीय घटना है जो घूमते घूमते कभी पृथ्वी के बीच में आने से चन्द्रमा के साथ तो कभी चंद्रमा के बीच में आने से सूर्य के साथ घटती है । इसको किन किन ची

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विध्वंसक आस्था - इंसानियत की मौत -दिनेश डॉक्टर

27 दिसम्बर 2019
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फेथ यानी आस्था बडी अजीब शै है । हम मनुष्यों के पास जीवन की अनसरटेनिटी या अनिश्चितता से पार पाने के लिए आस्था या फेथ का ही सबसे बड़ा सहारा होता है । वो चाहे किसी गुरु में हो, मंदिर गुरुद्वारे में हो , अपने पूजा घर में हो, किसी प्रसिद्ध तीर्थ स्थान में हो या अपनी खुद की प्रार्थनाओं में हो । लेकिन जब हम

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सब कुछ लुटा के होश में आये तो क्या किया - दिनेश डॉक्टर

28 दिसम्बर 2019
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बदकिस्मती से कुछ दिनों से फिर वैसे ही हिन्दू मुस्लिम वाले खतरनाक मेसेज आने शुरू हो गए हैं । एक को ब्लॉक करो- दूसरा भेज देता है । उसको ब्लाक करो कोई तीसरा भेज देता है । मुझे पूरा यकीन है कि वैसे ही झूठ फैलाने वाले नफरत भरे मेसेज मुसलमानों के ग्रुप्स में भी भेजे जा रहे होंगे । कौन लोग हैं ये ? भारती

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बगल की सीट की बुढ़िया और महानायक की भुजिया - दिनेश डॉक्टर

29 दिसम्बर 2019
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महानायक बरसों की तरह इस बरस भी अंदर की बात वाला वार्मर अंदर ही अंदर पहने हुए खिसियाई हुई बुढ़िया की बगल में हवाई जहाज की फर्स्ट क्लास सीट पर बिगड़ैल बच्चे की तरह भुजिया चबाकर बुढ़िया को चिढ़ाते हुए, बिजली के तार कपड़े धोने का डिटर्जेंट घर की सीलन का कैमिकल बच्चों के कपड़े जूते सरिया लोहे के पाइप सोने क

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खीज - दिनेश डॉक्टर

30 दिसम्बर 2019
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सामने झक्क सफेद कलफदार कुर्ते पायजामें नेता जी बैठे थे । इंडिया किंग्स की सिगरेट की डब्बी सामने मेज पर पड़ी थी । शाम का वक्त था । स्कॉच की बोतल आधी हो चुकी थी । वो बोल रहे थे और मैं सुन रहा था । वो कह रहे थे कि उन्हें देश के लिए बहुत काम करना है । युवा पीढ़ी को नई दिशा देनी है । कौमी एकता मज़बूत करनी

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The Khan of khans Arif Mohammad Khan

31 दिसम्बर 2019
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*The Khan of khans ! Arif Mahammad Khan - Dr Dinesh Sharma*Mohammad Arif Khan's yearning and concern for bringing peace by connecting people on the basis of inherent spiritual element in every religion is so beautifully and clearly visible in his most interviews, lectures and public addresses. The

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एक और साल की शुरुआत

1 जनवरी 2020
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2020 के पहले ही रोज़ मुझे अच्छे से अहसास हो गया है कि मैं गंभीर रूप से सोशल मीडिया एडिक्ट हो चुका हूँ । रोज़ कोशिश करता हूँ कि किसी तरह इससे पार पा लूँ पर अक्सर हार जाता हूँ । जिस तरह सुबह उठते ही पहले आंखे चश्मा और फिर अखबार तलाशती थी अब पहले फोन चालू करने का बटन तलाशती है और फिर चश्मा तलाशती है । फ

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पाव भर जलेबी - जिव्हा सुख या आनंद । दिनेश डॉक्टर

2 जनवरी 2020
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कुछ अरसे पहले , हिंदी फिल्मों के मशहूर लेखक और प्रसिद्ध अभिनेता मरहूम कादर खान साहेब ने एक इंटरव्यू में मज़ाहिया अंदाज़ में एक बहुत बड़ी और गहरी बात कही । उन्होंने कहा एक वक़्त था हमेशा कुछ न कुछ खाने की भूख लगती थी पर जेब खाली थी और आज जेब में खूब पैसा है, जो चाहे जब चाहे खा लूँ पर ख्वाहिश ही नही होत

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लोगो का हाल वही है - दिनेश डॉक्टर

3 जनवरी 2020
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साल भले बदला हो कलयुग का काल वही है !मुल्क का हाल वही है लोगों की चाल ढाल वही है पाप पुण्य समझाते गुरुघंटालों का माया जाल वही है रोज रोज महंगी होती रोटी दाल वही है टी आर पी के चक्कर में मीडिया का बवाल वही है पैसों की ताकत पर नेताओं का ख़याल वही है वोटों की घेराबंदी में फिरकापरस्तों का मवाल वही है प

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छुटभैय्ये नेताओं की खंडित भारतीयता- दिनेश डॉक्टर

5 जनवरी 2020
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महीने में दो चार बार जाति के नाम पर युवा जोड़ों की, जिन्होंने अंतर्जातीय विवाह करने की हिम्मत जुटायी, हॉनर किलिंग या सम्मान के नाम पर हत्याओं की खबर अख़बार में छप ही जाती हैं । लड़का यदि उच्च जाति का है और लड़की अपेक्षाकृत निम्न जाति की , तो फिर भी लोगों के क्रोध इतने भयंकर नही होते पर यदि स्थिति विपरी

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सब पर भारी - भक्ति की दुकानदारी ! दिनेश डॉक्टर

6 जनवरी 2020
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एक भजन ‘मेरे घर के आगे साईं राम तेरा मंदिर बन जाए, मैं खिडकी खोलू तो तेरा दर्शन हो जाये’ मकान या बिल्डिंग बनाने वाले मिस्त्रीयों, कांट्रेक्टरों कारपेंटरों के मोबाइल फोन्स की रिंगर टोन पर बजता हुआ ख़ासा लोकप्रिय हो रहा है | मेरे इस छोटे से शहर में ही साईं बाबा के आठ दस मंदिर तो इसके बजते बन ही चुक

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विचारों का रैला - दिनेश डॉक्टर

7 जनवरी 2020
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कई बार विचार शून्य हो जाते हैं. आज कुछ ऐसा ही दिन है. आज अन्दर बाहर एक मौन का अहसास है. अभी एक कव्वे ने कांव कांव की, फिर बगल की सड़क से एक मोटर साइकिल निकली, फिर दूर कहीं एक कार का हार्न बजा. मन चुपचाप रहा बस सुनता रहा. ऐसा बहुत कम होता है. अक्सर तो मन में हर पल विचारों के, कल्पनाओं के, आकांक्षाओं क

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'माया तेरे तीन नाम- चरती, चरता और श्री चरत राम' - दिनेश डॉक्टर

8 जनवरी 2020
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कुछ भी कह लो सुन लो या पढ़ लो पर सच्चाई तो यही है कि ज्यादातर लोग अक्ल के बजाय पैसे और शक्ल से न चाहते हुए भी प्रभावित हो ही जाते हैं । किसी के पास महंगी गाड़ी देखी तो इंप्रेस हो गए , किसी की शक्ल फिल्मी हीरो हीरोइन जैसी नज़र आयी तो इम्प्रेस हो गए । किसी स्वामी जी या बाबा जी का फाइव स्टार जैसा भव्य आश्

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चलो थोड़ा घूमने चलें -दिनेश डॉक्टर

9 जनवरी 2020
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उन्नीस बरस पहले अक्टूबर 1998 में यही वक्त रहा होगा जब उस दिन फिलिप मुझे पेरिस में गार द ईस्ट स्टेशन पर सुबह सुबह छोड़ने आया था । तब भी मैं पेरिस से फ्रेंकफर्ट जाने वाली ट्रेन पकड़ रहा था । एक दूसरे से बतियाते हम बातों में इतने मशगूल हो गए कि ट्रेन के ऑटोमेटिक दरवाजे लॉक हो गए और ट्रेन चलने लगी । फिलिप

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चलो थोड़ा घूमने चलें - 2 कल से आगे । दिनेश डॉक्टर

11 जनवरी 2020
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मानहाइम आकर चला गया । कुछ लोग उतरे कुछ चढ़े । आजकल बिना किसी अपवाद के हर देश शहर में सबलोग अपने मोबाइल में ही मस्त रहते हैं । ट्रेन पर समस्त उद्घोषणा तीन भाषाओ में बारी बारी से होती है । पहले फ्रेंच फिर जर्मन और सबसे अंत में अंग्रेजी में । ट्रेन मिनट मिनट के हिसाब से एकदम सटीक समय पर चल रही है। रास्त

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जितना भी घूम लो - यूरोप से मन नही भरता : दिनेश डॉक्टर

12 जनवरी 2020
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प्राकृतिक सौंदर्य से घिरे खूबसूरत वीसबादन शहर के प्राचीन गिरजे घरों , संडे मार्केट, पास ही बहती राइन नदी और थोड़ी ही दूर पर हरे भरे पर्वतों की श्रंखला, बेहतरीन बियर और सुस्वादु भोजन परोसते रेस्तराओं के खूबसूरत अनुभव डॉक्टर भतीजे के खुशदिल परिवार के साथ हुए । मस्तीभरा वीकेंड बिताकर वापस पेरिस लौट आया

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साल्जबर्ग 'द साउंड ऑफ म्यूजिक' : दिनेश डॉक्टर

13 जनवरी 2020
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वैसे तो साल्जबर्ग हमेशा से ही बेहद खूबसूरत शहर रहा है पर हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री जूली एंड्रयूज़ की 1965 में रिलीज हुई सुपर हिट फिल्म साउंड ऑफ म्यूजिक , के बाद और भी प्रसिद्ध हो गया । फ़िल्म की अधिकांश शूटिंग इसी शहर में हुई थी और 55 साल बाद आज भी बहुत सी टूरिस्ट कम्पनियां 'साउंड ऑफ म्यूजिक' टूर पर

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किला और वो खूबसूरत ऑस्ट्रियन लड़की - दिनेश डॉक्टर

13 जनवरी 2020
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कल से आगे -नदियों, नहरों से मुझे बहुत लगाव है । पानी का हर स्रोत मुझे बांध लेता है । जिस शहर के बीच से कोई नदी या नहर निकलती है मन होता है कि बस यहीं बस जाऊं । भले ही फ्रांस में सीन नदी के किनारे बसे शहर हों या जर्मनी में बेहद खूबसूरत और चौड़ी राइन नदी के किनारे बसे शहर, ये हमेशा मुझे अंदर तक छूते र

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हेलब्रुन्न पैलेस और पानी का जादू : दिनेश डॉक्टर

15 जनवरी 2020
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कल से आगे ;अच्छी गहरी नींद के अगली सुबह उठ कर खटाखट तैयार होकर होटल के रेस्तरां में मुफ्त का हल्का सा नाश्ता करने के बाद रिसेप्शन पर तहकीकात की तो अल्टास्टड होफव्रट होटल की खूबसूरत और समझदार रिसेप्शनिस्ट ने दो महत्वपूर्ण सुझाव दिए। पहला साल्जबर्ग कार्ड खरीदने का, जिसके द्वारा न सिर्फ शहर के भीतर सम

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मिराबेल पैलेस का महिला वायलन बैंड - दिनेश डॉक्टर

19 जनवरी 2020
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पिछले वृतांत से आगे पहाड़ी से नीचे उतर कर पैलेस के परिसर से वापस बस स्टैंड पर आकर पच्चीस नम्बर की बस पकड़ कर साल्जबर्ग शहर के सेंटर में उतर गया । सुबह का मुफ्त का नाश्ता कभी का पच चुका था और अच्छी खासी भूख लग आयी थी । पश्चिमी देशों में रेस्तरांओं में खाना खाना आपके टूरिस्टिक बजट को अच्छा खासा हल्का कर

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साल्जबर्ग में आखिरी दिन : दिनेश डॉक्टर

22 जनवरी 2020
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केबल कार सुबह साढ़े सात बजे चलनी शुरू होती थी । नाश्ता सुबह साढ़े छह बजे ही लग जाता था । जल्दी जल्दी नाश्ता कर वापस पच्चीस नम्बर बस के स्टैंड पर पहुंच गया । बस भी जल्दी ही मिल गयी और साढ़े आठ बजे तक केबल कार स्टेशन पर पहुंच गया । मन प्रसन्न हो गया जब देखा कि केबल कार पर्यटकों को ऊपर ले जा रही है । हवा

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खूबसूरत वियना की बाहों में : दिनेश डॉक्टर

26 जनवरी 2020
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विएना पहुंचा तो लगा जैसे विएना शहर नही एक खूबसूरत लड़की है जिसने मुझे आगे बढ़कर अपनी बाहों में भर लिया है। सबसे पहले उतर कर पूछताछ खिड़की पर गया और लोकल ट्रामों, ट्रेनों और अंडर ग्राउंड ट्यूब रेलवे के बारे में जानकारी ली । पता लगा कि विएना शहर के भीतर सब प्रकार के पब्लिक ट्रांसपोर्ट में निर्विघ्न जितन

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वाह विएना ! वाह !! : दिनेश डॉक्टर

29 जनवरी 2020
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श्वेडन प्लाटज़ बड़ा स्टेशन था । यहां से मुख्य ट्रेन स्टेशन , बस स्टेशन और हवाई अड्डे के लिए अंडर ग्राउण्ड ट्यूब रेलवे के नेटवर्क थे । बगल में ही डेन्यूब के किनारे छोटा सा नाव पोर्ट था जहां से हंगरी में बुडापेस्ट और स्लोवाकिया में ब्रात्सिलावा के लिए जेट बोट्स चलती थी । बुडापेस्ट पांच घंटे में और ब्रात

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वाह विएना ! वाह !!

29 जनवरी 2020
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श्वेडन प्लाटज़ बड़ा स्टेशन था । यहां से मुख्य ट्रेन स्टेशन , बस स्टेशन और हवाई अड्डे के लिए अंडर ग्राउण्ड ट्यूब रेलवे के नेटवर्क थे । बगल में ही डेन्यूब के किनारे छोटा सा नाव पोर्ट था जहां से हंगरी में बुडापेस्ट और स्लोवाकिया में ब्रात्सिलावा के लिए जेट बोट्स चलती थी । बुडापेस्ट पांच घंटे में और ब्रात

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उम्र भर सफर में रहा : दिनेश डॉक्टर

3 फरवरी 2020
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अगली सुबह मार्ग्रेट का, जो मुझे साल्जबर्ग के किले से उतरते वक़्त टकराई थी और जिसने मुझे वियना की घूमने वाली जगहों की लिस्ट बना कर दी थी, फोन आ गया । जब मैंने बताया की मैं वियना में ही हूँ तो बहुत खुश हुई और दोपहर को लंच पर मिलने का प्रस्ताव दिया । मैं बहुत भाग्यशाली हूँ कि मुझे अपनी सारी विदेश यात्रा

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घुमक्कड़ी का कीड़ा : दिनेश डाक्टर

9 फरवरी 2020
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घुमक्कड़ी का कीड़ा बचपन से ही मुझे ख़ासा परेशान करता रहा है । मुझे याद है कि हमारे पड़ोस में रहने वाले एक किसान का भतीजा कुछ दिन के लिए हमारे गाँव में आया था ।मेरी उम्र रही होगी बामुश्किल दस ग्यारह बरस की । वो जर्मनी में कहीं सेटल था । जैसे ही मुझे पता लगा कि वो जर्मनी में रहता है , मैं घंटो उसके पा

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नशा माटो के शराबखाने का : दिनेश डाक्टर

11 फरवरी 2020
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समुद्र के किनारे चलते चलते रास्ते में एक शांत सी दुकान देखी तो कुछ पीने और सुस्ताने के इरादे से उसमे ही घुस गया । यह दरअसल एक शराब खाना था जो मुख्य टूरिस्ट मार्ग पर न होने की वजह से इस समय वीरान था । अंदर रेड और व्हाइट वाइन के कांच के बड़े बड़े जार थे, लकड़ी के बड़े बड़े गोल हौद थे जिनमे वाइन बनन

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क्रोएशिया की खूबसूरती और बिंदास लोग : दिनेश डाक्टर

17 फरवरी 2020
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वैसे तो क्रोएशयन लोग तबियत से खासे गर्मजोश होते है पर एकदम नही खुलते । शायद काफी अरसे तक कम्युनिज्म के प्रभाव ने वहाँ के लोगों को अपनी भावनाओं पर काबू पाकर पहले दूसरों को भांपने की आदत डाल दी है । एक बार बातचीत में खुल जाएँ तो बड़े बेतकल्लुफ होकर दोस्ती गांठ लेते हैं । क्रोएशिया में जो लोग सर्बिया य

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दुनिया के सबसे खूबसूरत राष्ट्रीय उद्यानों में : दिनेश डाक्टर

22 फरवरी 2020
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क्रोएशिया में लैंड होने के बाद बहुत जगह एक बात बहुत सारे क्रोएशयन ने कई बार जो बड़े गर्व से दोहराई वो है यहां के पानी के बारे में उनका विश्वास । ' आप बोतल के पानी में पैसा खराब न करे ! हमारे हर नल का पानी किसी भी बोतल के पानी से ज्यादा अच्छा और शुद्ध है । क्योंकि मेरे अपने देश में बहुत सारी बीमारियों

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कुछ और आग लगाओ - दिनेश डॉक्टर

27 फरवरी 2020
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बदकिस्मती से कुछ दिनों से फिर वैसे ही हिन्दू मुस्लिम वाले खतरनाक मेसेज आने शुरू हो गए थे । एक को ब्लॉक करो- दूसरा भेज देता था । उसको ब्लाक करो कोई तीसरा भेज देता था । मुझे पूरा यकीन है कि वैसे ही झूठ फैलाने वाले नफरत भरे मेसेज मुसलमानों के ग्रुप्स में भी भेजे जा रहे थे । कौन लोग थे ये ? भारतीय तो

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कुछ और आग लगाओ - दिनेश डॉक्टर

27 फरवरी 2020
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बदकिस्मती से कुछ दिनों से फिर वैसे ही हिन्दू मुस्लिम वाले खतरनाक मेसेज आने शुरू हो गए थे । एक को ब्लॉक करो- दूसरा भेज देता था । उसको ब्लाक करो कोई तीसरा भेज देता था । मुझे पूरा यकीन है कि वैसे ही झूठ फैलाने वाले नफरत भरे मेसेज मुसलमानों के ग्रुप्स में भी भेजे जा रहे थे । कौन लोग थे ये ? भारतीय तो

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असग़र वज़ाहत की बेशक़ीमती सोच : दिनेश डाक्टर

1 मार्च 2020
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प्रसिद्द लेखक और अभिन्न मित्र डॉ असग़र वज़ाहत ने , जो सबकी तरह दंगो के बाद के मौजूदा हालत से बहुत दुखी और मायूस है , कल एक दिल को छूने वाला मेसेज भेजा है | आप सब पाठकों से शेयर कर रहा हूँ और प्रार्थना कर रहा हूँ कि आप भी अपने विचारों से ज़रूर अवगत कराएं |

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लाल छतरी वाली लड़की : दिनेश डाक्टर

3 मार्च 2020
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लाल छतरी वाली लड़की : सबसे पहले मैने उसे शाम के समय सड़क के किनारे बने मंदिर की सीढ़ियों के पास देखा था । हाथ में फूल, अगरबत्ती लिए वह अपने आराध्य की प्रतिमा के सामने आंख बन्द किये बड़े श्रद्धा भाव से चुपचाप कुछ फुसफुसा रही थी । मैं लंबी वाक से होटल की तरफ लौट रहा था । थोड़ा थक गया था । मंदिर के पास बन

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जो कोरोना से डर गया वो मर गया : दिनेश डॉक्टर

7 मार्च 2020
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दुनिया में जितने लोग हर 30 मिनट में अलग अलग वजहों से मर ही जाते है, कोरोना से उतने लोग पिछले 100 दिनों में मरे हैं । पैनिक न हों और न ही फैलाएं । वैसे भी दुनिया की आबादी में हर मिनट 250 बच्चे जुड़ जाते है । इंसानों की प्रजाति का इस ग्रह से सफाया सिर्फ इंसान ही कर सकते है - कोई वायरस नही । गुड़ मॉर्नि

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मुझे मार दीजिये

10 मार्च 2020
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आप सभी के लिये पाकिस्तान के मशहूर शायर अहमद फ़राज़ की एक नज़्म जो पाकिस्तान के कट्टरवादी संगठनो पर चोट करती है का हिन्दी अनुवाद पेश है. काफ़िर हूँ, सिर फिरा हूँ मुझे मार दीजियेमैं सोचने लगा हूँ मुझे मार दीजिये है एहतराम हज़रते-इंसान मेरा दिलबेदीन हो गया हूँ मुझे मार दीजिये मैं पूछने लगा हूँ सबब

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पापा ऑफ हो गए : दिनेश डाक्टर

18 मार्च 2020
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पापा ‘आफ’ हो गए : दिनेश डाक्टर श्रीनाथ के बड़े लड़के ने दिवाकर को फोन पर सूचना दी कि पापा ‘आफ’ हो गए | पहले तो दिवाकर को कुछ समझ में नहीं पड़ा कि लड़का क्या कह रहा है पर जब उसने लड़के की अंग्रेजी भाषा की योग्यता पर गौर किया तो सारी बात समझ में आ गयी कि श्रीनाथ चल बसा |दिवाकर को दरअसल इस समाचार का बहु

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क्या कोरोना 'रिसेट' बटन है : दिनेश डॉक्टर

22 मार्च 2020
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*Is Corona the RESET button ?* by Dinesh DoctorHuman race, which considers itself formidable and omnipotent or all powerful, is feeling helpless against an small and silent enemy. The enemy is so tiny that it is not even visible. For sure this corona crises too will be tackled and dealt with sooner

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कोरोना महामारी के बाद की दुनिया कैसी होगी - युवाल नोह् हरारी

22 मार्च 2020
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बेस्ट सेलर्स - सेपियन और होमोडुएस लिखने वाले प्रसिद्ध लेखक हरारी के बहुत कमाल के लेख का हिंदी अनुवाद । यह लेख फाइनेंशियल टाइम्स में छपा है । अवश्य ही पढ़ने योग्य है । *इस कोरोना संकट के बाद की दुनिया कैसी होगी?*दुनिया भर के इंसानों के सामने एक बड़ा संकट है. हमारी पीढ़ी का शायद यह सबसे बड़ा संकट है.

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टक्कर सुपर वायरस और सुपर पावर्स की - सुवीर अग्निहोत्री

24 मार्च 2020
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The virus has shaken the nations of the world but not their mindset. The dread of this new killer has not taught them how stupid it is to make arms and weapons against each other when an invisible army of micro-organism is surrounding the humans. This army is producing new strains of soldiers to po

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बस ! दो हफ्ते और !! - दिनेश डाक्टर

30 मार्च 2020
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बस! सिर्फ पन्द्रह दिन और !!डॉ दिनेश शर्मामुझे लगता है कि कोरोना के खिलाफ इस महायुद्ध में कुछ अपवादों को छोड़कर जिस तरह देश की बड़ी जनता ने पिछले आठ दिनों में धैर्य, संकल्प और साहस का परिचय दिया है - वो पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बनने वाला है । जिस कठोर व्यवस्था और लॉक

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धर्म का मर्म- असग़र वज़ाहत

1 अप्रैल 2020
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मरकज़ की घटना पर जनाब असग़र वज़ाहत साहेब के विचारधर्म का मर्म- असग़र वज़ाहतदिल्ली में निजामुद्दीन इलाके के मरकज़ में जो घटना घटी उसने बहुत से सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे पहली बात यह की बिना प्रशासन को विश्वास में लिए इतने लोगों का जमा करना और वह भी इस माहौल में जमा करना कितना उचित है और कितना नहीं । दूसरी

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काश : दिनेश डाक्टर

11 अप्रैल 2020
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काश दिनेश डॉक्टरसत्रह लाख पीड़ित ! एक लाख से ऊपर मौतें !! सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका परेशान हैरान !!! हम सब पूछ रहे है खुद से ही कि क्या होगा ? क्या दुनिया वापस पहले जैसी हो पाएगी ? क्या हम पहले की तरह मर्

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ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है - दिनेश डाक्टर

20 मई 2020
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ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है ? दिनेश डाक्टर बीते दिनों में एक विचार बार बार मन में उभरता रहा है कि आने वाली दुनिया पता नही अच्छी होगी या बुरी पर जीवन उतना अच्छा नही रहेगा । बहुत सारी बंदिशें होंगी, ढेर सारे डर होंगे, हर वक़्त लोगों को लेकर मन में वहम होंगे । ये खाऊं के न खाऊं, वहां जाऊं कि

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अपने अपने लॉक डाउन - दिनेश डाक्टर

23 मई 2020
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अपने अपने लॉक डाउन दिनेश डाक्टर "तो और क्या खबर है "- सिंह साहेब ने गुप्ता जी पूछा ।"खबर तो वही कल वाली है । तब्लीगियों की वजह से केस बढ़ते जा रहे है । साले हरामी जगह जगह थूक रहें है , पेशाब कर रहे है, कमरों के सामने हग रहे है । अब तो मजदूर भी भाग रहें है । वैसे अमरीका का बहुत बुरा हाल है । ला

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रोटी - दिनेश डाक्टर

13 जून 2020
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रोटी जैसे ही बड़ी सी रोटी बिना किसी चकले बेलन के उसने अपनी मजबूत पानी लगे हाथों के बीच गोल गोल थपकते हुए फैला कर लकड़ी वाले चूल्हे के ऊपर रक्खे उल्टे गोल तवे पर डाली - छुन्न की आवाज हुई और रोटी के सिकने की मीठी मीठी महक झोपड़ी से बाहर आकर मेरे नथुनों से टकराने लगी । रोटी

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ये दिन भी देर सबेर गुज़र ही जायेंगे

14 जून 2020
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अक्सर मित्रों से चर्चा में मेरे इस वक्तव्य से कि कोरोना काल और उसके बाद के समय में अपराध और आत्महत्या बहुत बढ़ सकते है, अधिकांश लोग सहमत थे । अब ऐसा होता दिख रहा है । पिछले दिनों अपराध बहुत बढ़े है । आज अत्यंत आकर्षक व्यक्तित्व के धनी और गुणवान अभिनेता सुशांत राजपूत ने आत्महत्या कर ली । पिछले दिनों स

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अलस का मौसम - दिनेश डाक्टर

15 जून 2020
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अलस का मौसम हवा थी गीलीसीली सीली कुछ नशीलीमौसम की खुमारीबदन में थी भारीसोता ही रहाफिर जिस्म को बड़ी मुश्किल सेउठाया, समेटाशाल खींच करबदन से लपेटाउठूं या वापस लेट जाऊंइसी में जीती सुबह की खुमारीफिर लुढका तकिये पेलिए अलसाया जिस्म भारीस्लो मोशन में भोर का शोर हुआधीरे धीरे आँख खुलीकमरे में थी फैलीरोशनी ध

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गुरु जी - दिनेश डाक्टर

18 जून 2020
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गुरु जी दिनेश डाक्टर जून की कड़क दोपहरी और मंत्री जी के बंगले का लम्बा चौड़ा ड्राइंग रूम |घुसते ही बांयी तरफ दीवार से सटे बड़े वाले सोफे पर ठीक पंखे के नीचे और खिड़की पर लगे एयर कंडिशन के सामने खरार्टे मारती अस्त व्यस्त भगवें कपड़ो में लिपटी मध्यम शरीर की एक आकृति लेटी है | घुटनों से ऊपर चढ़े खद्दर के

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फ़ंडा 'हैप्पी बर्थ डे' का - दिनेश डाक्टर

28 जून 2020
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फेस बुक की मेहरबानी से दो रोज़ पहले मेरा बर्थ डे न चाहते हुए भी जैसे तैसे मन ही गया । न चाहते हुए इसलिए क्योंकि बचपन में ही मेरे दिंवगत दादा जी ने 'जन्मदिन मसले' पर ऐसा फ़लसफ़े से लबरेज़ भाषण दिया कि ताउम्र के लिए मुझे जन्मदिन मनाने से गुरेज हो गया । हुआ यूँ गाँव में एक पंजाबी शरणार्थी परिवार आकर बसा औ

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क़िस्सा गिलहरी और कोरोना का - दिनेश डाक्टर

29 जून 2020
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फुदकती फुदकतीमेरी खिड़की परफिर आ बैठी गिलहरीछोटी सी लीची कोकुतर कुतर छीलाफिर मुझसे पूछाक्या हुआ सब खैरियत तो हैदेखती हूँ कई महीनों सेकैद हो महज घर में न बाहर जाते होन किसी को बुलाते होबस उलझे उलझे उदास नज़र आते हो ? मैंने देखा उसकीचौकन्नी आंखों कोसफेद भूरीचमकती धारियों कोछोटे छोटे सुंदर पंजो कोपल पल ल

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शाश्वत थकन - दिनेश डाक्टर

9 जुलाई 2020
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क्यों रहता हैबिना बात व्यथितऔर मानता हैखुद को अभिशप्त- बाधितसुख गर सुख दे पातेतो तू सही में सुखी होतापर यहाँ तो मूक वेदना की धार बहती है अनवरत निरन्तर तेरे भाल पर पता नही अंदर से बाहर को या बाहर से अंदर कोक्षरित देह क्षरित मनदिनोंदिन बुढाता तन चल शून्य होया खो जा शून्

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कोरोना से कानपुर वाया चीन लद्दाख - दिनेश डाक्टर

10 जुलाई 2020
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कोरोना से कानपुर वाया चीन लद्दाख - दिनेश डाक्टरपहले थी दिन रातखबरें सिर्फ कोरोना की छाईकितने मरेकितनो ने निज़ात पायीहो रही थी कोविड सेहर वक़्त आरपार की लड़ाईफिर जैसे ही चीनियों ने लद्दाख में सेंध लगाईएंकरों

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गुलाश और पालिंका के देश हंगरी में कुछ दिन - दिनेश डाक्टर

11 जुलाई 2020
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छह साल बाद यात्रा संस्मरण लिखना न तो आसान है और न ही उत्साहपूर्ण । साढ़े तीन महीने से दुनिया भर में घूमने की पुरानी स्मृतियों के सहारे वक़्त काट रहा था कि पिछले हफ़्ते पुराने काग़ज़ खंगालते खंगालते एक नोट पैड हाथ आ गया । मैं भूल ही गया था कि हंगरी यात्रा के दौरान मैंने कुछ हल्के फुल्के नोट्स बनाए

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सरकारी तसल्ली - दिनेश डॉक्टर

15 जुलाई 2020
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दिनेश शर्मा की सुबह सुबह की राम राम सब दोस्तो , बुजुर्गों बच्चों को । जो लोग वक़्त बेवक़्त हर रोज़ यहाँ वहाँ पूरे देश में जब चाहे मनमर्जी से लॉक डाउन लगाने और बढ़ाने की प्रस्तावना देते हैं वो सब सरकारी अमले के लोग है जिनकी पूरी पूरी तनख्वाहें हर महीने की एक तारीख को उनके खाते में पहुंच जाती है । जिन लोग

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न खुश - न उदास - दिनेश डॉक्टर

19 जुलाई 2020
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न खुशन उदासभले मैं अकेलाया सब आसपासशून्य की बढ़ती हुई प्यासवही लोगवही जमीन वही आकाशफिर भी परिवर्तन की आसदिन वैसे ही चढ़तावैसे ही ढलतावैसी ही रात होतीवैसे ही सोता अजीब से सपनो में खोताफिर नई सुबह होतीवो ही सब करने कोजो रोज ही होतामन न पूरा न आधाहर तरफ बंदिशों की बाधासब कुछ हासिलपर जैसे न कुछ सधा न साधा

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‘सालज़बर्ग का “हेलब्रुन्न पैलेस यानी जादुई क़िला” 12-15 अप्रैल 2018 - दिनेश डाक्टर

23 जुलाई 2020
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12-15 अप्रैल 2018 ‘सालज़बर्ग का “हेलब्रुन्न पैलेस यानी जादुई क़िला”अच्छी गहरी नींद के बाद अगली सुबह 12 अप्रेल को उठ कर खटाखट तैयार होकर होटल के रेस्तरां में मुफ्त का नाश्ता करने के बाद रिसेप्शन पर तहकीकात की तो अल्टास्टड होफव्रट होटल की खूबसूरत और समझदार रिसेप्शनिस्

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प्यार हो और कहना पड़े ? - दिनेश डाक्टर

24 जुलाई 2020
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प्यार हो और कहना पड़े ? क्या मेरी आंखों में मेरी सांसो मेंमेरे सुनने मेंमेरे कहने में तुम्हे प्यार नज़र नही आता ?क्या मेरी सोच में मेरी चिंता में मेरी दृष्टि मेंमेरी सृष्टि में तुम हमेशा नही रहती ? क्यूँ तुम्हारा रोनानम करता है मुझेऔर तुम्हारा हँसनाउल्लासितक्यूँतुम्हारा मान - अपमानकरता मुझे भीआनन्दित

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सालज़्बर्ग में मोज़ार्ट का घर अप्रैल 12-18 , 2018 - दिनेश डाक्टर

27 जुलाई 2020
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सालज़्बर्ग में मोज़ार्ट का घर अप्रैल 12-18 , 2018केबल कार सुबह साढ़े सात बजे चलनी शुरू होती थी । नाश्ता सुबह साढ़े छह बजे ही लग जाता था । जल्दी जल्दी नाश्ता कर वापस पच्चीस नम्बर बस के स्टैंड पर पहुंच गया । बस भी जल्दी ही मिल गयी और साढ़े आ

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सालज़्बर्ग में आख़िरी दिन - अप्रैल 12-18, 2018 - दिनेश डाक्टर

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सालज़्बर्ग में आख़िरी दिन - अप्रैल 12-18, 2018साल्ज़ाश नदी के किनारे बसे इसी पुराने शहर के दूसरे छोर पर एक भव्य और खूबसूरत प्राचीन केथेड्रेल था । कुछ प्रार्थना जैसी हो रही थी । मैँ भी बन्द आंखों से शांत होकर बैठ गया । थोड़ी देर बाद वहां से निकल कर लव लॉक ब्रिज के पास से

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‘विएना’ खूबसूरत और दिलकश प्रेमिका की तरह का एक शहर - दिनेश डाक्टर

29 जुलाई 2020
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‘विएना’ खूबसूरत और दिलकश प्रेमिका की तरह का एक शहरअप्रैल 12-18 , 2018
ट्रेन से उतरा तो खूबसूरत विएना ने मुझे आगे बढ़कर अपनी बाहों में भर लिया । सबसे पहले उतर कर पूछताछ खिड़की पर गया और लोकल ट्रामों, ट्रेनों और अंडर ग्राउंड ट्यूब रेलवे के बारे में जानकारी ली । पता लगा कि विएना शहर के भीतर सब प्रकार के

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क्या ये सच है - दिनेश डाक्टर

30 जुलाई 2020
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क्या ये सच है - दिनेश डाक्टतुम्हे ये क्या हो गया हैतुम्हारी साँसों मेंक्यों ज़हर की बू है ?तुम्हारे माथे की शिकनक्यों तुम्हारे दिल में उतर आयी है ?तुम्हारी बात बात में आग के शोलेक्यूं कर भड़कते है ?तुम्हारे दोस्तअब एक ही मजहब/धर्म केक्यों कर हो गए है ?तुम तो हमेशा 'हम' कहा करते थेअब तुम्हारी बातों मे

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विएना का अद्वितीय और विशाल शोन्नब्रुन्न पैलेस अप्रैल 12-18 , 2018 - दिनेश डाक्टर

31 जुलाई 2020
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विएना’ खूबसूरत और दिलकश प्रेमिका की तरह एक शहर विएना का अद्वितीय और विशाल शोन्नब्रुन्न पैलेस अप्रैल 12-18 , 2018अगले रोज़ सुबह जल्दी तैयार होकर खुद का बनाया नाश्ता खाकर तीन सौ बीस बरस पुराना शोन्नब्रुन्न पैलेस देखने निकल पड़ा । रास्ते में एक साइकिल रैली जैसी कुछ निकल रही थी। हज़ारों की संख्या में साइक

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राम - दिनेश डाक्टर

1 अगस्त 2020
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राम !औरों को शाप मुक्त करके भीस्वयम रहे अभिशप्तकभी दूसरों के क्रोध से संतप्ततो कभी अपनो से त्रस्त !!राम !अकारण नही हुआ वनवास तुम्हे और न ही पत्नी हरण !!न होता -तो कैसे बनतेसहनशीलता के उत्कर्षयुग पुरुष !राम !हर युग में कोई तो विष पीता हैआक्रोश और अपमान काशिव होने को ! अकारण भग्न नही हुआ तुम्हारा जन्म

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‘विएना’ खूबसूरत और दिलकश प्रेमिका की तरह एक शहर - 3 - दिनेश डाक्टर

4 अगस्त 2020
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‘विएना’ खूबसूरत और दिलकश प्रेमिका की तरह एक शहर - 3विएना का फ़िल हारमोनिक आर्केस्ट्रा अप्रैल 12-18 , 2018विएना के एक सौ पैंतालीस संगीतकारों वाले फ़िल हारमोनिक आर्केस्ट्रा की प्रस्तुति और वो भी विएना के स्टेट ओपेरा में एक ऐसा अनुभव है जिसे कोई भी देख ले तो जीवन भर न भूले । यह एक ऐसा स्तब्ध कर देने व

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‘विएना’ खूबसूरत और दिलकश प्रेमिका की तरह एक शहर - 4 / दिनेश डाक्टर

5 अगस्त 2020
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‘विएना’ खूबसूरत और दिलकश प्रेमिका की तरह एक शहर - 4विदा विएना विदा ! फिर लौट आऊँगा !!! अप्रैल 12-18 , 2018
अगले सात दिनों में विएना में इतने म्यूजियम देखे, इतने पुराने किले और तकनीकी रूप से इतनी पुरानी पर उत्कृष्ट इमारते देखी और इतना घूमा देखा कि एक पूरी किताब उस पर आराम से लिखी जा सकती है। ग्लोब म्

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फलों , शहद और झरनों के देश क्रोएशिया में -1 दिनेश डाक्टर

6 अगस्त 2020
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फलों , शहद और झरनों के देश क्रोएशिया में -114 सितम्बर 2019 से 5 अक्तूबर 2019सितम्बर 1935 में श्री राहुल सांकृत्यायन जी ने एक महीने तक जो यात्रा बाकू, कुहीन, तेहरान, इस्फ़हान, कुम, शीराज़, पर्सेपोलिस, मशहद, ज़ाहिदान, बिलोचिस्तान जैसे दुर्गम स्थानों की, वो भी बसों, द्रकों और छकड़ा कारों के ज़रिए, वह वा

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फलों , शहद और झरनों के देश क्रोएशिया में ( 2 ) दिनेश डाक्टर

10 अगस्त 2020
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फलों , शहद और झरनों के देश क्रोएशिया में -214 सितम्बर 2019 से 5 अक्तूबर 2019माटों का शराब खाना और उसकी चिन्ताएँ पुराने शहर के मुख्य दरवाज़े पर जबरदस्त भीड़ का रेला था । लंबी डीलक्स बसों में से उतर कर टूरिस्ट ग्रुप्स के झुंड के झुंड जमा थे । मुझे दिल्ली में होने वाली राजनीतिक रैलियों की याद आ गयी ।

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पुराने शहर का तिलिस्म - दिनेश डाक्टर

11 अगस्त 2020
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फलों , शहद और झरनों के देश क्रोएशिया में -314 सितम्बर 2019 से 5 अक्तूबर 2019पुराने शहर का तिलिस्म माटो ने बताया था अगर पुराना शहर देखना है तो शाम का वक़्त बढ़िया रहेगा क्योंकि उस वक़्त ज्यादा टूरिस्ट खाने पीने में मस्त रहते हैं और शहर के अंदर रात के वक़्त जो लाइटिंग इफ़ेक्ट्स आते है वो पुराने शहर की ड

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पोलेस का खूवसूरत मलजेट नेशनल पार्क - दिनेश डाक्टर

12 अगस्त 2020
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फलों , शहद और झरनों के देश क्रोएशिया में -4 14 सितम्बर 2019 से 5 अक्तूबर 2019पोलेस का खूवसूरत मलजेट नेशनल पार्कपोलेस में, जो बड़ी बोट द्वारा दुब्रोवोनिक से 1 घंटे 45 मिनट की दूरी पर है, शांत और खूवसूरत मलजेट नेशनल पार्क है । पार्क में घूमने के लिए वहाँ उतरते ही बैटरी वाली साइकिले किराए पर मिल रही

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सपनों के शहर स्प्लिट की तरफ़ - दिनेश डाक्टर

13 अगस्त 2020
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फलों , शहद और झरनों के देश क्रोएशिया में -5 14 सितम्बर 2019 से 5 अक्तूबर 2019सपनों के शहर स्प्लिट की तरफ़ पूरे रास्ते बांयी तरफ खूवसूरत नीला एड्रियाटिक समुद्र लहराता दिखाई देता है और कम चौड़ी महज दो लेन वाली सड़क पर चौकस रह कर ड्राइविंग करनी पड़ती है । बीच में कुछ जगह व्यू पॉइंट्स पर रुक कर फोटो भी

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दुनिया के सबसे खूबसूरत प्लिटविच और सिबनिक नेशनल पार्क्स में - दिनेश डाक्टर

15 अगस्त 2020
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फलों , शहद और झरनों के देश क्रोएशिया में -6 14 सितम्बर 2019 से 5 अक्तूबर 2019दुनिया के सबसे खूबसूरत प्लिटविच और सिबनिक नेशनल पार्क्स में क्रोएशिया में लैंड होने के बाद बहुत जगह एक बात बहुत सारे क्रोएशयन ने कई बार जो बड़े गर्व से दोहराई वो है यहां के पानी के बारे में उनका विश्वास । ' आप बोतल के पान

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फिर एक और शहर में हमेशा के लिए बसने का मन - दिनेश डाक्टर

17 अगस्त 2020
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फलों , शहद और झरनों के देश क्रोएशिया में -7 14 सितम्बर 2019 से 5 अक्तूबर 2019फिर एक और शहर में हमेशा के लिए बसने का मन जहाँ रुका हूँ , वो घर एक पहाड़ी पर है । नीचे पूर्व में नीले समुद्र का विशाल फैलाव है । सीढियां उतर कर पन्द्रह बीस मिनट में समुद्र का किनारा है । दांयी तरफ बहुत विशाल और खूवसूरत म

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पैर में शनि का चक्कर यानी टर्की के शहर इस्तांबुल में आदतन घुमक्कड़ !

19 अगस्त 2020
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पैर में शनि का चक्कर यानी टर्की के शहर इस्तांबुल में आदतन घुमक्कड़ !मई - 2014जब मैं छोटा था तो किन्ही पंडित जी ने मेरी जन्म कुंडली देखकर कहा था कि जातक के पैर में शनि का चक्कर है इसलिए ये हमेशा घूमता ही रहेगा । मुझे लगता है कि वैसा ही चक्कर ज़रूर बहुत घुमक्कडों के पैरों में होता होगा । यह बात मैं टर

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