दिनेश शर्मा की सुबह सुबह की राम राम सब दोस्तो , बुजुर्गों बच्चों को । जो लोग वक़्त बेवक़्त हर रोज़ यहाँ वहाँ पूरे देश में जब चाहे मनमर्जी से लॉक डाउन लगाने और बढ़ाने की प्रस्तावना देते हैं वो सब सरकारी अमले के लोग है जिनकी पूरी पूरी तनख्वाहें हर महीने की एक तारीख को उनके खाते में पहुंच जाती है । जिन लोगों को ये लोग प्रस्तावना देते है वो मंत्री लोग हैं और राजतन्त्र का हिस्सा है । इनकी भी पूरी मोटी मोटी तनख्वाहें और उससे भी मोटे मोटे भत्ते और सुविधाएं निर्बाध रूप से इधर उधर की मोटी कमाई के अलावा इन्हें प्राप्त हो रही हैं । बाकी रही आम आदमी की बात ! बिजनेस ठप्प ! धंधा चौपट ! रोजगार बस सपनो में । इसी सरकारी तसल्ली पर टिका है कि वेक्सीन बन रही है - कोरोना कंट्रोल में है और घट रहा है और दूसरे हज़ारों लाखों मर गए पर तुम जिंदा हो । मुंह पर मास्क पहना है तो पता भी नही चलता कि बंदा खुश है या दुखी । रो रहा है या हंस रहा है । बस नकली स्माईलयों के ज़रिये हैप्पी सन्डे मंडे कर रहा है । शुक्र है मुल्क में न हिन्दू मुस्लिम दंगे हैं न नागरिकता कानून के पंगे है । हाय हाय हूय हूय करने वाले 'देशद्रोही' नज़रबन्दे हैं । खुश रहो अहले वतन भले ही रोज़ बढ़ रहे भूखे नङ्गे हैं । हैप्पी बुधवार ।