‘विएना’ खूबसूरत और दिलकश प्रेमिका की तरह एक शहर - 3
विएना का फ़िल हारमोनिक आर्केस्ट्रा अप्रैल 12-18 , 2018
विएना के एक सौ पैंतालीस संगीतकारों वाले फ़िल हारमोनिक आर्केस्ट्रा की प्रस्तुति और वो भी विएना के स्टेट ओपेरा में एक ऐसा अनुभव है जिसे कोई भी देख ले तो जीवन भर न भूले । यह एक ऐसा स्तब्ध कर देने वाला सम्मोहक अहसास है जो हमेशा के लिए आपके अवचेतन में दर्ज हो जाता है। लगभग डेढ़ सौ उच्च्कोटि के अनुभवी संगीतकार एक रस होकर आरोह अवरोह की ऐसी प्रस्तुतियाँ देते हैं कि आप किसी और ही दुनियाँ में पहुँच जाते हैं। भले ही आपके कान बम्बिया फ़िल्मी संगीत या विशुद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत सुनने के अभ्यस्त हों पर कुछ स्वर लहरियाँ ऐसी होती हैं कि आपको पकड़ ही लेती हैं और आपको किसी और ही दुनियाँ में ले जाती हैं । स्टेट ओपेरा हाउस के अकौस्टिक्स यानी स्वर संयोजना तकनीकी रूप से इतनी सम्पूर्ण है कि छोटे से वाद्य यंत्र की छोटी सी तरंग साफ़ और स्पष्ट सुनायी पड़ती है ।
इतने एक घंटे की प्रस्तुति के बाद मध्यांतर हुआ । बाहर काफ़ी, चाय, सॉफ़्ट ड्रिंक्स, बीयर और हल्के फ़ुल्के सनैक्स के काउंटर लगे थे । लोग बड़ी शालीनता से मंद स्वर में एक दूसरे से बतिया रहे थे । कोई सैल फ़ोन पर चिल्ला नही रहा था । कोई भद्देपन से ज़ोर ज़ोर से हंस नही रहा था । दो घंटे बाद कंसर्ट समाप्त हुआ तो बहुत देर तक तालियाँ बजती रही । कलाकारों को बार बार मंच पर आकर सबका अभिवादन स्वीकार करना पड़ा और दर्शकों की माँग पर दस मिनट की एक और प्रस्तुति देनी पड़ी ।
अगली सुबह मार्ग्रेट का, जो मुझे साल्जबर्ग के किले से उतरते वक़्त टकराई थी और जिसने मुझे वियना की घूमने वाली जगहों की लिस्ट बना कर दी थी, फोन आ गया । जब मैंने बताया की मैं वियना में ही हूँ तो बहुत खुश हुई और दोपहर को लंच पर मिलने का प्रस्ताव दिया । मैं बहुत भाग्यशाली हूँ कि मुझे अपनी सारी विदेश यात्राओं में सब देशों के स्थानीय लोगों का बहुत स्नेह सम्मान मिला है । पिछले छत्तीस बरसों में अड़तालीस से ऊपर देशों की यात्राएं कर रहा हूँ , सैंकड़ो विदेशी शहरों में घूम चुका हूँ, हज़ारों विदेशियों से मिल चुका हूँ , उनके घरों में ठहर चुका हूँ पर आज तक एक भी बुरा अनुभव नही हुआ । उनके प्रेम और सौहार्द ने बार बार मुझे अंदर तक छुआ है और अभिभूत किया है ।
उसी दिन दोपहर तय समय और स्थान पर जब मार्ग्रेट को मिलने पहुंचा तो स्थानों के मिलते जुलते नामों की वजह से थोड़ी ग़लतफ़हमी हो गयी । मैं उसे कहीं और ढूंढ रहा था और वो कहीं और थी । खैर फाइनली बीस मिनट देर से जब हम मिले तो एक दूसरे को देख कर मोबाइल फोन्स टेक्नॉलजी का, जिसकी वजह से हम एक दूसरे को ढूंढ पाए, शुक्रिया अदा करते हुए हंसने लगे । मार्ग्रेट मुझे अपने आफिस ले गयी और वहीं आफिस कैंटीन में बैठ कर लंच किया । पास ही ‘वियनर रथुआस’ यानी वियना के सिटी हाल की लगभग डेढ़ सौ बरस पुरानी भव्य इमारत थी । 1575 कमरों वाली छह मंज़िली विशाल इमारत लगभग बीस हज़ार वर्गमीटर के क्षेत्र में फैली हुई थी । सौ मीटर ऊँचे बीच के टावर पर साढ़े पाँच मीटर ऊँची भिन्न धातुओं के मिश्रण से बनी एक प्रतिमा थी। इतने समय बाद भी पूरी इमारत वैसे की वैसे ही खड़ी हैं। मेरे सात साल पुराने मकान में ठेकेदार महोदय की ईमानदारी की वजह से जगह जगह क्रेक्स और पानी की लीकेज का खूबसूरत आर्टवर्क दृष्टि गोचर होता है ।
मार्ग्रेट का फिर फ़ोन आया । उसका मंगेतर मार्टिन मुझे दो दिन बाद डिनर पर इनवाइट करना चाहता था । मुझे वास्तव में बड़ा सुखद आश्चर्य हुआ । मार्ग्रेट ने मार्टिन से फोन पर बात करवाई और डिनर तय हो गया । सदा मुस्कराते हुए हैंडसम और सौम्य मार्टिन से डिनर पर मिलकर बहुत अच्छा लगा । भावुक लमहों में विदा लेते वक़्त मैंने दोनों को भारत यात्रा का निमंत्रण दिया और वादा लिया कि मुझे भी उनकी आवभगत करने का मौका मिलेगा ।