फलों , शहद और झरनों के देश क्रोएशिया में -5
14 सितम्बर 2019 से 5 अक्तूबर 2019
सपनों के शहर स्प्लिट की तरफ़
पूरे रास्ते बांयी तरफ खूवसूरत नीला एड्रियाटिक समुद्र लहराता दिखाई देता है और कम चौड़ी महज दो लेन वाली सड़क पर चौकस रह कर ड्राइविंग करनी पड़ती है । बीच में कुछ जगह व्यू पॉइंट्स पर रुक कर फोटो भी लिए । हर तरफ फलों के बगीचे और अंगूर की बेले नज़र आती हैं । हवा बेहद साफ और तरोताजा करने वाली । रास्ते के बीच में थोड़ा हिस्सा बोस्निया का भी पड़ता है । वहां पासपोर्ट और गाड़ी के कागज चैक करने के लिए लम्बी लाइनें लगी थी । पर फिर भी अच्छी व्यवस्था होने की वजह से ज्यादा समय खराब नही हुआ ।
रास्ते में सड़क के किनारे फलों और फलों से ही बनी चीजों की बहुत दुकानें है । सारी दुकाने एक दूसरे की फोटो कॉपी ही हैं । सब में वैसे ही फल, वैसी ही चीजें और वैसी ही सजावट । बस दुकानदार भिन्न है । हमारे देश में भी ऐसी ही रवायत है यानी कि किसी किसी इलाके में आपको दसियों दुकानें एक जैसी ही मिल जाएंगी । सोचने की बात यह है की इन लोगों का धंधा कैसे चलता है - ये लोग प्रतिस्पर्धा करेंगे भी तो कैसे ? एक जैसी चीजें और एक जैसी कीमतें ।
आधा रास्ता पार कर लिया था । एक जगह वैसी ही एक दुकान पर रुक गया । मेरी कार रुकती देख कर युवा पति पत्नी, जो शायद बहुत देर से खाली बैठे थे, उछल कर खड़े हो गए । पति एक बड़ी सी ट्रे लेकर फुर्ती से आगे बढ़ आया । ट्रे में सूखे अंजीर, चाशनी चढ़े बादाम और चाशनी चढ़े संतरों के छिलकों के अलावा और भी कई चीज़े थी । ये सब स्वाद चखा कर ग्राहकों को लुभाने का उनका तरीका था । स्वाद और भूख की वजह से मैं मुफ्त में खूब सारे अंजीर, बादाम और न जाने क्या क्या खा गया पर दोनों पति पत्नी के खूबसूरत चेहरे फिर भी उत्साह से मुस्कराते रहे ।
फिर मैंने ऐसा बहुत कुछ खरीद लिया जिसकी मुझे ज़रूरत भी नही थी । मतलब खूब सारे फल, सूखे और ताज़े अंजीर, अंजीर का मुरब्बा और ऑलिव ऑयल की एक बड़ी खूवसूरत बोतल । हिंदुस्तानी पैंसों के हिसाब से खामखाह सत्रह अठारह सौ रुपयों की खरीदारी । स्वाद स्वाद में मुफ्त की चीजें खाना महंगा पड़ गया । पर इतने स्वाद अंजीर और फल जीवन में पहली बार खाये । एड्रियाटिक और मेडिटेरेनियन के इलाके में पैदा होने वाले फलों, सब्ज़ियों और दूसरे खाद्य पदार्थों का स्वाद बहुत बढ़िया और खास किस्म का होता है - उसको बयान करना ज़रा मुश्किल है ।
दरअसल सड़क के दोनो तरफ छोटे छोटे बहुत से गांव है और उनमे खूब फल और सब्ज़ियां पैदा होते है । गांवो में भी ज्यादातर परिवार के लोग इकट्ठे एक ही जगह रहते है । कुछ खेती करते है, कुछ घर का काम संभालते हैं और कुछ सड़क के किनारे दुकानों में अपने खेत के उपज की फल सब्जियां बेचते है ।
स्प्लिट पहुंचकर शाम को सत्रह सौ बरस पुराने शहर की गलियों की खाक छानने निकल पड़ा । सदियों से चलने से हुए चिकने पत्थर के सड़क की तंग गलियों से गुज़र रहा था कि आवाज आयी 'इंदिरा गांधी' । चौंक कर रुक कर देखा तो बांयी तरफ एक पुराने गिरजे की सीढ़ियों पर दो लोग सिगरेट के कश लगाते बियर पी रहे थे । मुझ हिंदुस्तानी को देखकर उन्होंने ही आवाज़ लगायी थी । थोड़ी गप्प लगाने के लिए रुक गया । मैं हैरान हुआ कि पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के नाम से उनकी मृत्यु के इतने साल बाद भी यहाँ के लोग वाकिफ़ हैं । बात हुई तो पता लगा कि उनके हिसाब से इंदिरा गांधी - गांधी जी की इकलौती संतान है और इसीलिए उन्हें याद है । मैंने उन्हें हकीकत बताई तो भी उन्हें कोई फ़र्क़ नही पड़ा । दोनो गांधी -इंदिरा गांधी ही कहते रहे ।
दुनियाँ में जितनी जल्दी और बेतकल्लुफी से शराबियों में दोस्ती होती है वो एक कमाल की चीज़ है । क्योंकि मेरी रहने की जगह और पुराने शहर का रास्ता इसी संकरी गली के चर्च की सीढ़ियों से होकर निकलता था तो दो ही दिनों में आते जाते उन 'बियर मित्रों' से दोस्ती हो गयी । बियर पीते पीते मैंने उन्हें बताया कि उनकी खुशकिस्मती है कि वे क्रोएशिया में चर्च की सीढ़ियों पर बैठ कर रोज़ बियर पीने को स्वतंत्र है क्योंकि अगर वे हिंदुस्तान में किसी भी धर्मस्थल की सीढ़ियों पर बैठ कर ऐसी जुर्रत करते तो बहुत पहले ही उनकी लिंचिंग करके उन्हें मार दिया गया होता । जैसे ही मैंने यह बात उन्हें बतायी तो दोनो मित्र ही बियर पीना भूल कर गम्भीरता से मेरा चेहरा देखने लगे । दोनो इस बात पर कुछ कहना चाहते थे पर कह नही पाए । एक ने माहौल की गम्भीरता को हल्के में उड़ाते हुए सिर्फ यही कहा , 'मेरे दोस्त भाड़ में जाए तुम्हारा मुल्क -तुम यहीं स्प्लिट में क्यों नही बस जाते' ।