फलों , शहद और झरनों के देश क्रोएशिया में -4
14 सितम्बर 2019 से 5 अक्तूबर 2019
पोलेस का खूवसूरत मलजेट नेशनल पार्क
पोलेस में, जो बड़ी बोट द्वारा दुब्रोवोनिक से 1 घंटे 45 मिनट की दूरी पर है, शांत और खूवसूरत मलजेट नेशनल पार्क है । पार्क में घूमने के लिए वहाँ उतरते ही बैटरी वाली साइकिले किराए पर मिल रही थी । पार्क क्योंकि काफी बड़ा है तो किराए पर साइकिल लेना ही ठीक समझा गया । वापसी की बोट छह घण्टे बाद थी तो वक़्त काफी था । टूरिस्ट्स तो यहां भी थे पर ज्यादा नही । क्रोएशयन लोग मोल भाव में यकीन नही करते । जो दाम बोल दिया उससे टस से मस नही होंगे । साइकल का किराया दो सौ कून यानी दो हज़ार रुपए बताया गया । मैंने हिंदुस्तानी लिहाज़ में डेढ़ सौ पर बात पटाने की कोशिश की तो दुकानदार लड़के ने ठंडे लहजे में समझा दिया कि वो किसी भी तरह दो सौ से कम नही लेगा । साइकिल तो लेनी ही थी तो उसी भाव पर ले ली । साइकिल हल्की थी और हल्का सा पैडल घुमाते ही बैटरी पावर पुश देकर गति खुद ही बढ़ा देती थी ।
पूरा घने वन वाला हर भरा नेशनल पार्क एक बड़ी नीली शांत झील के चारो तरफ फैला हुआ था । चारो तरफ पांच छह किलोमीटर लंबा साइकिल ट्रेक था जिस पर सिर्फ पैडल वाली या बैटरी वाली साइकिल चलाने की ही इजाज़त थी । झील के बीच में एक छोटा से द्वीप था जहाँ एक छोटी बोट के ज़रिये पहुंच सकते थे । पता लगा वहां एक पुराना चर्च और खाने पीने का रेस्तरां है । भूख भी लगी थी तो पहुंच गया । वेटर एक लंबा तगड़ा शुष्क स्वभाव वाला पुलिस वाला ज्यादा नज़र आया । मुझ पर रौब डाल कर वो ऑर्डर भी ले गया जो मेरी मर्जी नही थी । एक बड़ी प्लेट में भुनी हुई मछली, झींगे, ऑक्टोपस और केकड़े ले आया । क्रोएशयन लोगों का मुख्य आहार सी फ़ूड ही है । इटली के प्रभाव की वजह से रिसोटो और पिज्जा भी खूब खाया जाता है । खाना तो ताज़ा और ज़ायकेदार था पर बिल देख कर जेब खुद ब खुद ही ढीली हो गयी । पुलिसिये वेटर का रौब देखकर कुछ टिप भी देनी पड़ी ।
वैसे तो क्रोएशयन लोग तबियत से खासे गर्मजोश होते है पर एकदम नही खुलते । शायद काफी अरसे तक कम्युनिज्म के प्रभाव ने वहाँ के लोगों को अपनी भावनाओं पर काबू पाकर पहले दूसरों को भांपने की आदत डाल दी है । एक बार बातचीत में खुल जाएँ तो बड़े बेतकल्लुफ होकर दोस्ती गांठ लेते हैं । क्रोएशिया में जो लोग सर्बिया या बोस्निया से आकर बसे हुए है वे थोड़े ज्यादा अग्रेसिव और मुंहफट हैं । क्रोएशयन लोग थोड़े मस्त थोड़े सुस्त और जिंदगी की जल्दबाज़ आपाधापी में ज्यादा यकीन न रखने वाले हैं ।
दरअसल क्योंकि पूरा क्रोएशिया ही लंबाई में एड्रियाटिक समुद्र के किनारे बसा हुआ है तो हर तरफ ऑलिव, सेब, संतरों, खुबानी, चेरी, अंगूर, स्ट्राबेरी, और अत्यंत स्वाद और बेहतरीन फलों के बगीचे है , मीठे तरबूज और खुशबूदार खरबूजे हैं । हर घर में किसी न किसी फल का पेड़ या अंगूर की बेल ज़रूर देखने को मिल जाती है । मेरे मकान मालिक ने रात में पहुँचते ही अपने बग़ीचे से किलो डेढ़ किलो मीठे अंगूरों की एक डलिया भेंट कर दी थी । आजकल चारों तरफ़ अंगूरों, अनारों, आलूबुखारों, ओलिव और सेब के पेड़ लदे खड़े हैं ।
दुब्रोवनिक में वीक एन्ड होने की वजह से भीड़ बेइंतहा बढ़ गयी थी । प्राचीन शहर का दर्शन बीच ही में छोड़ कर रोमन सम्राट वैलेरियस ऑरिलियस द्वारा सत्रह सौ बरस पहले बसाए एड्रियाटिक समुद्र के ही किनारे दो सौ चालीस किलोमीटर उत्तर में दूसरा शहर स्प्लिट है । गाड़ी उठाकर वहीं के लिए निकल पड़ा ।