विएना’ खूबसूरत और दिलकश प्रेमिका की तरह एक शहर
विएना का अद्वितीय और विशाल शोन्नब्रुन्न पैलेस अप्रैल 12-18 , 2018
अगले रोज़ सुबह जल्दी तैयार होकर खुद का बनाया नाश्ता खाकर तीन सौ बीस बरस पुराना शोन्नब्रुन्न पैलेस देखने निकल पड़ा । रास्ते में एक साइकिल रैली जैसी कुछ निकल रही थी। हज़ारों की संख्या में साइकिल सवार गाते बजाते तरह तरह की रंग बिरंगी साइकिलों पर चले जा रहे थे। पता लगा कि आज आस्ट्रिया का कोई उत्सव है और हर साल लोग ऐसे ही उसे मनाते हैं। तीन ट्राम्स बदलकर श्लोस शोन्नब्रुन्न स्टेशन पर उतरा तो रिमझिम फुहार पड़ रही थी । पैलेस के मुख्य द्वार पर पहुँचा तो टिकट ख़रीदने के लिए पहले ही टूरिस्टस की लम्बी लाइन लगी हुई थी। जैसे ही हम भारतीय विदेशी करेंसी को भारतीय मुद्रा में परिवर्तित करते हैं तो सब चीज़ महँगी लगनी शुरू हो जाती हैं। भारतीय करेंसी के हिसाब से क़रीब साढ़े तीन हज़ार रुपए की टिकट थी । मुझे अपनी स्वर्गीय दादी का कथन याद आया ‘ओखली में सर दे ही दिया फिर मूसलों का क्या डर ‘ । चुपचाप लाइन में लगकर टिकट ख़रीदी और शोन्नब्रुन्न पैलेस में घुस गया ।
चार सौ पैंसठ एकड़ में फैला और लगभग डेढ़ हज़ार कमरों वाला शोन्नब्रुन्न पैलेस बहुत विशाल है और पूरा देखने के लिए कम से कम दो दिन ज़रूर चाहिए । शोन्न ब्रुन्न का अर्थ है - खूबसूरत झरना ! बारोक शैली में बना यह महल बहुत भव्य है । तड़क भड़क मगर सुरचिपूर्ण सज्जा वाली बोरोक स्थापत्य शैली सत्रहवीं शताब्दी में इटली में ईजाद हुई और अपनी घुमावदार आकृतियों, सोने की पालिश वाली मेहराबों और ऐश्वर्यपूर्ण सजावटों की वजह से शीघ्र ही पूरे यूरोप के सम्पन्न राज घरानों में फैल गयी । तरह तरह के वृक्षों से घिरे , फ़व्वारों से सज्जित और बड़े बड़े हरे भरे मैदानों में बने ये पैलेस या महल उस समय के यूरोप के राजपरिवारों की संपन्नता का साक्षात प्रमाण है ।
कुछ वर्षों से एक बहुत बड़ी तकनीकी सुविधा यूरोप के दर्शनीय स्थलों में मिलने लगी है। मुख्य द्वार पर ईयर फ़ोन्स के साथ एक मोबाइल की तरह का यंत्र उपलब्ध होता है - कहीं निशुल्क और कहीं कुछ फ़ीस के बदले। स्थानीय भाषा के सिवा अंग्रेज़ी, फ़्रेंच, इटालियन और स्पेनिश भाषा के चुनाव की सुविधा के साथ । उसे आप गले में लटका लें और घूमना शुरू कर दें । हर कक्ष में हर कलाकृति, वस्तु या पेंटिंग पर एक नम्बर लिखा होता है । जैसे ही उस यंत्र पर वो नम्बर पंच करेंगे तो फ़ौरन आपके द्वारा चयन की गयी भाषा में उस कक्ष, वस्तु, कृति या पेंटिंग का पूरा परिचय आपके कानों में सुनाई देना शुरू हो जाएगा । किसी भी महल या पैलेस की भव्यता को लिखना या शब्दों में बयान करना आसान नही है और अगर शोन्नब्रुन्न पैलेस जैसा विशाल महल हो तो भूल ही जाइए । पूरे महल को एक तरह से म्यूज़ियम में तब्दील कर दिया गया है। एक कमरें में सिर्फ़ चीनी मिट्टी के बेहद खूबसूरत बर्तन थे तो दूसर में सिर्फ़ चाँदी के । एक कमरे में सिर्फ़ कपड़े थे तो दूसरे में सिर्फ़ आभूषण। देखते जाओ और दाँतो तले अंगुली दबा कर चमत्कृत होते जाओ और थक जाओ तो कहीं बैठ जाओ । वैसे तो पूरा महल ही तरह तरह के अजूबों से भरा हुआ था पर मुझे ज़्यादा मज़ा आया अढ़ाई तीन सौ बरस पुरानी घोड़ों वाली पुरानी राजसी बग्गियों को देखने में । एक से एक शानदार पीतल मढ़ी और सोने की पालिश वाली और आरामदेह बग्गियाँ - एक से बढ़कर एक खूबसूरत । छोटे बच्चों के लिए अलग क़िस्म की छोटी बग्गियाँ । रानियों के लिए पर्दे वाली अलग। राजा के लिए चार -आठ या बारह घोड़ों वाली बड़ी बड़ी बग्ग़ियाँ । खुली बग्गियाँ, बंद बग्गियाँ, बर्फ़ पर चलने वाली बग्गियाँ । और सबसे अलग और अजीब थी काले रंग की एक बग्गी जिसमें काले रंग छह घोड़े जोत कर राजा फ़्रेंज जोसेफ के शव को शहर की सड़कों से दफ़नाने के लिए ले ज़ाया गया था।
बिना खम्बों वाले ‘हाल आफ सेलिब्रेशंस’ यानि उत्सव भवन का आकार और सजावट किसी को भी चमत्कृत कर सकते हैं। एक एक झाड़ फ़ानूस यानि शेंडलियर अद्वितीय और बेशक़ीमती है । ऊपर छत की ख़ूबसूरती और भव्यता ताकते ताकते जब गर्दन ज़्यादा ही दुखनी शुरू हो गयी तो लकड़ी की बैंच पर बैठ गया । महल की संसद का सभागार तो और भी कमाल का था । हक़ीक़त में कलात्मक अभिव्यक्ति का एक बेहतरीन नमूना ।
थक थका कर जब बाहर निकला तो छह घंटे से ज़्यादा हो चुके थे और महल अभी आधा भी नही देखा था । उसी शाम विएना के स्टेट ओपेरा में संगीत की एक भव्य प्रस्तुति थी । टिकट मैंने पहले ही आनलाइन बुक करवा लिया था । भूख बड़े ज़ोर से लग आयी थी । ट्राम स्टेशन के रास्ते में फ़ूड स्टोर से चीज़ सैंडविच और बीयर का कैन ख़रीदा, चलते चलते खाया पिया और शोन्नब्रुन्न से मेट्रो पकड़कर कार्ल्ज़ प्लाटज स्टेशन पर उतर गया । वहाँ से खरामा खरामा चलते दस मिनट में स्टेट ओपेरा की शानदार बिल्डिंग के पास पहुँच गया । कार्यक्रम शुरू होने में अभी वक़्त था तो इधर उधर चहलक़दमी शुरू कर दी। एक जगह बेहतरीन आइसक्रीम खाई तो दूसरी जगह काफ़ी पी। हर तरफ़ बड़े कमाल की कला कृतियाँ थी । गुलाबी रंग के एक ख़रगोश की कृति के साथ सब लोग सेल्फ़ी ले रहे थे तो मैंने भी ली।